Kathak Vitan : Kathak Ki Tatha- Katha
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
270
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
540 mins
Book Description
्दी में स्वयं उसके अंचल में जन्मी-विकसी शास्त्रीय कलाओं पर बहुत कम विचार हुआ है : कथक इस दुखद स्थिति का अपवाद नहीं है। नृत्य विदुषी रश्मि वाजपेयी की कथक पर यह पुस्तक उनके निजी नृत्यानुभव, रसास्वादन और आलोचना-दृष्टि से लिखा गया एक ऐसा वृत्तान्त है जो पिछले चार दशकों में कथक में जो महत्त्वपूर्ण हुआ, उसकी समझ और संवेदना के साथ किया गया लेखा-जोखा है। उससे कथक की वर्तमान स्थिति, समस्याओं और सम्भावनाओं का एक गतिशील चित्र अनायास उभरता है। इस वितान में बिरजू महाराज, कार्तिक राम, कुमुदिनी लाखिया से लेकर युवतर कथक-कलाकारों पर सूक्ष्म विश्लेषण है। साथ ही कथक के विभिन्न पक्षों; जैसे—अभिनय, कविता, समग्र सौन्दर्य, संगीत, मूल-स्वरूप, तालीम, प्रयोग, वेशभूषा आदि पर विचार किया गया है। कथक-प्रस्तुति को लेकर कुछ ज़रूरी सवाल उठाए गए हैं। यह सब पहली बार ऐसी भाषा में किया गया है, जिसमें आलोचना की सूक्ष्मता, जटिलता समझकर संवेदनशील ढंग से उसका सम्प्रेषण, समझ और संवेदना का सहज संयोग सभी हैं। हिन्दी में कथक को समझने, उसका गहरा रसास्वादन करने और उसमें अन्तर्निहित आशयों और व्यापक सांस्कृतिक अभिप्रायों को विश्लेषित करने के लिए जिस नए मुहावरे और दृष्टि की ज़रूरत है, उसकी एक सार्थक कोशिश यहाँ साफ़ नज़र आती है। उसमें सृजन और आलोचना, विचार और संवेदना घुले-मिले हैं, वैसे ही जैसे कथक में अपने श्रेष्ठ क्षणों में होते है