Hitler Ka Yatna-Griha
Author:
Ajay Shankar PandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 40
₹
50
Unavailable
हर जन्म लेनेवाले की मृत्यु निश्चित है। मृत्यु भयावह नहीं है, भयावह है उसकी कल्पना। इसीलिए शायद ईश्वर ने मानव–जाति को सचेत कर दिया कि उसकी मृत्यु अवश्यंभावी है, उसे कोई टाल नहीं सकता। परन्तु यह कब और कैसी होगी, इसे रहस्य बना दिया।</p>
<p>किन्तु इतिहास के उस काले काल में हिटलर के कॉन्सन्ट्रेशन कैम्पों में बन्द लाखों अभागों को यह मालूम था कि उन्हें कब और कैसी मौत मरना है। उन्हें पता था, अमुक दिन, अमुक समय अपने सगे–सम्बन्धियों से सदा–सदा के लिए बिछुड़ जाना है।</p>
<p>मौत को साक्षात् सामने देखकर उन क़ैदियों की कैसी मन:स्थिति रही होगी? मौत को क़रीब पा क्या वे लोग विचलित नहीं हो रहे होंगे? क्या वे अपने भीतर जीने की ललक समाप्त कर मृत्यु की कामना कर रहे होंगे?</p>
<p>मौत के मुँह की ओर धीरे–धीरे बढ़ते लाखों बच्चों, नवयुवकों, वृद्धाओं की रोंगटे खड़े कर देनेवाली छवियों का संचयन है हिटलर का यातना–गृह! ऐसा यातना–गृह जहाँ हिटलर की क्रूरता का नंगा नाच देखने के लिए अभिशप्त थे क़ैदी! उन्हीं की हक़ीक़त से रू-ब-रू करवाती है यह पुस्तक ‘कॉन्सन्ट्रेशन कैम्प में तीन घंटे’।
ISBN: 9788171198917
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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भूपेन पर दूसरी किताब है इन्हीं टिमथी हाइमन की। ब्रिटिश कलाकार, कला मर्मज्ञ और भूपेन के परम मित्र। एक पारखी की पैनी नज़र है टिमथी की किताब में। ऐसी किताब भी नहीं लिख पाऊँगा मैं।
फिर भी लिख रहा हूँ। महेन्द्र जैसा फक्कड़ी सृजनशील न सही, दुस्साहस तो है ही मेरे इस प्रयास में। दोषी दरअसल भूपेन है। अपने जीते जी देश और विदेश में होनेवाली अपनी प्रदर्शनियों के आधे दर्जन ब्रोशर मुझसे लिखवाकर बगैर कुछ कहे समझा गया कि मण्डन मिश्र के तोता-मैना शास्त्रार्थ कर सकते थे तो मैं अपने दोस्त के अन्तरंग संस्मरण तो लिख ही सकता हूँ।
23 साल की निरन्तर गहराती दोस्ती रही भूपेन के साथ। अनेक रूप देखे उसके। उन सब के बेबाक विवरण हैं यहाँ। वह भी है जो इस किताब को लिखने के दौरान जाना : कि भूपेन नितान्त विलक्षण लेखक है और उसके साहित्य के साथ न्याय नहीं हुआ है। —इसी पुस्तक से
Goswami Tulsidas Ki Jiwangatha
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
- Book Type:

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Description:
गोस्वामी तुलसीदास का जीवन-चरित प्राय: उनके जीवनकाल से ही लिखा जाता रहा है। इसमें सन्देह नहीं कि उन्होंने अपनी दीर्घायु के बीच पर्याप्त ख्याति अर्जित कर ली थी और मुग़ल सम्राट अकबर, राजा मानसिंह, अछल रहीम खानखाना, मीराँबाई, राजा टोडर आदि ने उनकी श्रीरामभक्ति के प्रति पर्याप्त श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया था। साहित्य की परम्परा में उनकी कालजयी कृति श्रीरामचरितमानस की चर्चा भक्ति एवं रीतिकाल से ही बराबर होती चली रही है।
गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा की मूल समस्या है कि इन पाँच सौ वर्षों के अवशेषों में बाबा को कहाँ खोजा जाए? यहाँ बाबा तुलसीदास की खोज का आधार उनकी कृतियाँ तथा पाठ हैं। प्रत्येक सर्जक अपनी कृति के पाठ में वर्ण से लेकर उसकी समग्र प्रबन्ध रचना तक व्याप्त रहता है—कण-कण में व्याप्त निर्गुण ब्रह्म की भाँति। साधक के लिए, अणु-अणु में व्याप्त ब्रह्म से आत्मसाक्षात्कार करके, उसे समाधि चित्त में उतारना बड़ी दुर्लभ समस्या है। ठीक उसी प्रकार, तुलसी की कृतियों में सर्वत्र व्याप्त महात्मा तुलसीदास का आत्मसाक्षात्कार करके उन्हें स्वानुभूति एवं सृजन के स्तर पर उतारना लेखक की वर्षपर्यन्त तक की चेष्टा रही है। इसे औपन्यासिक कृति का रूप देने के लिए ‘क्वचिदन्यतोपुपि’ का भी उसे आधार लेना पड़ा है—किन्तु चेष्टा यही रही है कि कृतियों का सृजन करके उन्हीं में विलीन गोस्वामी तुलसीदास को शब्दों से कैसे रेखांकित किया जाए। जो बन पड़ा, वह सामने है।
इस कृति के प्रकाशन में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए अयोध्या शोध-संस्थान, अयोध्या-फ़ैज़ाबाद के निदेशक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह तथा रजिस्ट्रीकरण अधिकारी व विशेष कार्याधिकारी डी.ए.पी. गौड़ का प्रकाशक हृदय से आभार व्यक्त करता है।
Aur Babasaheb Ambedkar Ne Kaha : Vols. 1-6
- Author Name:
DR. B.R. Ambedkar
- Book Type:

- Description: वह अम्बेडकर ही थे जिनके सिद्धान्तों ने दलित वर्ग को नई चेतना प्रदान की। और बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा...उन्हीं के 1920 से लेकर 1956 तक के लेखों, अभिलेखों और अभिभाषणों का संकलन है। पाँच खंडों में विभाजित इस रचनावली में डॉ. अम्बेडकर की उसी सामग्री को लिया गया है जो अभी तक केवल मराठी में उपलब्ध थी। हमें खुशी है कि हम इस सामग्री को पहली बार सीधे हिन्दी में उपलब्ध करा रहे हैं। पहले खंड में बाबासाहेब के 1920 से 1928 तक के लेख व अभिभाषण प्रस्तुत हैं। अपने भाषणों में डॉ. अम्बेडकर ने जहाँ ब्राह्मणवाद पर कड़ा प्रहार किया, वहीं उन्होंने दलितों को भी नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। प्रथम खंड में प्रस्तुत सामग्री बताती है कि किस तरह से हजारों सालों से दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादतियों के खिलाफ लडऩे के लिए बाबासाहेब ने दलित वर्ग को मानसिक रूप से सुदृढ़ किया और उन्हें उनके उद्धार का रास्ता भी दिखाया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह खंड दलित वर्ग ही नहीं बल्कि सामाजिक क्रान्ति में विश्वास रखनेवाले सभी महानुभावों की जिज्ञासाओं को तुष्ट करेगा।
The Sour Mango Tree
- Author Name:
P Lankesh +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: The Sour Mango Tree is a homage to a life less ordinary. Palya Lankesh was an author, journalist, screenplay writer, poet and translator. His multi-faceted and prolific oeuvre encompasses essays scripts and stories, among much else. This volume is a translation of his memoir, Hulimavina Mara which includes his prose and poetry and is a rare glimpse into the mind of the maverick. Twenty-five years after Lankesh left us, this volume enables us to truly appreciate the significance of his legacy.
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