Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar)

Mahatirth Ke Antim Yatri (Lhasa—Kaliashnath—Mansarovar)

Authors(s):

Bimal Mitra

Language:

Hindi

Pages:

364

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

728 mins

Buy For ₹450

* Actual purchase price could be much less, as we run various offers

Book Description

सन् 1956 में तिब्बत का दरवाज़ा विदेशियों के लिए लगभग बन्‍द हो चुका था और राजनैतिक कारणों से भारत के साथ तिब्बत का सम्‍पर्क भी लगभग टूट चुका था। उन्हीं दिनों, बिना किसी तैयारी के, बिमल दे घर से भागे और नेपाली तीर्थयात्रियों के एक दल में सम्मिलित हो ल्हासा तक जा पहुँचे। उस समय उनकी उम्र मात्र पन्‍द्रह वर्ष थी। यात्रियों में वह नवीन मौनी बाबा। ल्हासा में उन्‍होंने तीर्थयात्रियों का दल छोड़ा, और वहाँ से अकेले ही कैलास खंड की ओर कूच कर गए। 'महातीर्थ के अन्तिम यात्री' में उसी रोमांचक यात्रा-अनुभाव का वर्णन है। बिमल दे ने स्वयं इसे ‘एक भिखमंगे की डायरी’ कहा है। किन्‍तु इस पुस्तक में मिलेगा तिब्बत का दैनंदिन जीवन तथा महातीर्थ का पूर्ण विवरण।

More Books from Rajkamal Prakashan Samuh