Ek Adhpaka Sa Natak
Author:
Chirag KhandelwalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
हिन्दी में मौलिक नाटकों की कमी की शिकायत से भरे माहौल में एक अधपका-सा नाटक सुखद विस्मय और भरोसेमन्द आश्वस्ति की तरह है। युवा नाटककार चिराग़ खंडेलवाल की यह कृति मौजूदा दौर के विपर्यय को उसकी पूरी बेतरतीबी के साथ उजागर करती है। इसके किरदार ऐसे हालात से रू-ब-रू हैं जो सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर जितने विघटनकारी हैं, व्यक्तिगत स्तर पर भी उतने ही मारक और व्यर्थताबोध भरने वाले हैं। दरअसल पूरा परिदृश्य ही बेतुकेपन, विवेकहीनता और विसंगितयों से खंडित है। ऐसे में सम्पूर्णता सम्भव नहीं है। नाटक इस यथार्थ को रेखांकित करते हुए सम्पूर्णता के स्वप्न को जगाता है।</p>
<p>एक अधपका-सा नाटक की एक उल्लेखनीय विशेषता इसका सरल फ़ार्म है। पारम्परिक ढाँचे को पूरी तरह नकारे बिना, ‘नाटक के अन्दर नाटक’ जैसी युक्ति को अपनाते हुए नाटककार ने मानो सारे बन्धन खोलकर यह सुविधा दे दी है कि पात्र अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ एक-एक शब्द जोड़ते हुए इसको अद्यतन कर सकते हैं और अपने समय-समाज के प्रासंगिक सवालों को इसमें शामिल कर सकते हैं। इस तरह यह नाटक हमेशा नया और समकालीन बना रहता है।
ISBN: 9788119835706
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
शरद जोशी हिन्दी व्यंग्य साहित्य के श्रेष्ठ सृजकों में से एक हैं। साहित्य की रचनात्मक मूल्यवत्ता के प्रति सतत जागरूक रहकर अपने परिवेश, जीवन और समाज की हर छोटी-बड़ी विसंगति को उघाड़ने और उसके मूल पर चोट करने में उन्होंने कहीं चूक नहीं की।
प्रस्तुत पुस्तक में शरद जी के दो व्यंग्य नाटक संगृहीत हैं—‘अन्धों का हाथी’ तथा ‘एक था गधा उर्फ़ अलादाद ख़ाँ।’ दोनों ही नाटक समकालीन राजनीतिक परिदृश्य को प्रस्तुत करने के साथ-साथ राजनीति की अविच्छिन्न अन्तर्धारा और वृत्तियों से गहरा परिचय कराते हैं। एक ओर जनसामान्य तो दूसरी ओर जन-विशेष। सामान्यजन को मूर्ख बनाए रखने तथा इस्तेमाल करते रहने का एक अन्तहीन दुश्चक्र राजनीति का स्वभाव, शौक़, ज़रूरत या कहें कि उसका मौलिक अधिकार है—विडम्बना यह कि वह भी कर्तव्यों की शक्ल में।
राजनीति के तहत सतत घट रही इस मूल्यहंता त्रासदी की गहरी पकड़ इन नाटकों में मौजूद है। लेखक ने सहज अभिनेय नाट्य-शिल्प और सुपाठ्य भाषा-शैली के सहारे अपूर्व व्यंग्यात्मक वस्तु का निर्वाह किया है।
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