
Shiv Ki Chhati Par Kali Ka Paon
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
104
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
208 mins
Book Description
पके हुए प्रेम की एक पहचान यह भी है कि सृजन के शिल्प में वह कभी-कभी कच्चा भी रह जाता है। इस तरह की लिखाई उत्कृष्टता की आकांक्षा व दबाव से मुक्त, सहज और स्वाभाविक होती है। काफ़िर की कविताएँ इसी सरलता से पैदा हुई हैं, जो दुनिया में प्रेम की उपस्थिति पर भरोसा जगाती हैं। इन कविताओं से गुज़रते हुए मैंने पाया कि इनकी बनावट में वैशिष्ट्य का आग्रह नहीं, किंतु जीवन की धड़कती हुई ध्वनि जहाँ-तहाँ गूँजती है।</p> <p>काफ़िर की कविताओं में महज़ प्रेम नहीं है, बल्कि एक पक्के प्रेमी की तरह तबाह हो जाने की पर्याप्त चाह भी है। इस जटिल सरंचना वाले अंधकारपूर्ण संसार में उनकी कविताओं का प्रेमी ऐसा प्रतीत होता है मानो बिना बिजली वाले किसी गाँव में अमावस की तिथि पड़ी हो और सुदूर आकाश में सितारे जगमगा रहे हों। </p> <p>इस दौर में प्रेम की कविता एक बड़ी चुनौती से जूझ रही है। प्रेम की अभिव्यक्ति में भावों की तीव्रता को गति की तीव्रता ने विचलित किया है। इस कठिनाई से उबरने का उपाय है एक सघन जीवन से जन्मा धैर्य और अपनी कला के प्रति वीतरागी भाव। काफ़िर की कविता में व्याप्त तीव्र भावनात्मक संवेग और निर्वाण की अवस्था के प्रति मद्धम आसक्ति एक तरह का विरोधाभासी दृश्य रचते हैं। नए-नए उपमान या बिम्बों से विस्मय जगाने वाली तकनीक नहीं, बल्कि उपरोक्त विरोधाभास के आंतरिक संघर्ष से उपजा धैर्य इन कविताओं की प्राणवायु है। —बाबुषा कोहली