Griha Vatika

Griha Vatika

Authors(s):

Pratibha Arya

Language:

Hindi

Pages:

171

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

342 mins

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Book Description

आज से हज़ारों वर्ष पूर्व भी मनुष्य अपने घर के चारों ओर फूल, घास व कमल के तालाब आदि लगाता रहा होगा। बेबीलोन के ‘हैंगिंग गार्डन’ विश्व के सात आश्चर्यों में एक माने गए हैं। आज जब हम गृह वाटिका की बात करते हैं तो हमारे सामने उद्यान कला का एक दीर्घ इतिहास साकार हो उठता है। रूप योजना कैसी भी क्यों न रही हो, घर के भीतर, आसपास, रास्तों, दीवारों को, फूलों की झाड़ियों, लताओं, वृक्षों द्वारा सजाने की परम्परा बहुत पुरानी रही है। गुफाओं में रहनेवाले मानव ने जब घर बनाकर स्थिर जीवनचर्या शुरू की तो उसे सजाने-सँवारने का काम भी शुरू कर दिया। जीवन में जब स्थिरता आ जाती है तो मानव-मन कला-सौन्दर्य की ओर झुक जाता है। प्राचीन भारतीय उद्यानों में लतामंडप, पुष्पित लताओं, झाड़ियों वाली वीथियाँ, कुंज, सुगन्धित पुष्प व कमल फलों के जलाशयों का वर्णन मिलता है। वासन्ती लता, लवंग-लता, नवमल्लिका जैसी सुगन्धित लताओं एवं वृक्षों के झुरमुट से घिरी वीथियाँ एवं वाटिकाएँ, जहाँ गृहवासी अपने परिवार के सदस्यों के साथ आमोद-प्रमोद के क्षण व्यतीत करता था। मुग़लकालीन उद्यान सीढ़ीदार होते थे, साथ-साथ उनमें पानी की नहरें व फुहारें अवश्य होते थे। मध्य एशिया से सर्द एवं फलों से भरे प्रदेश से आए मुग़ल बादशाहों ने वहाँ की स्मृति को याद रखते हुए और भारत की गर्मी से बचने के लिए जल की योजना वाटिकाओं में ख़ूब बनाई। उद्यान की योजना का रूप, आकार चाहे अलग रहा हो परन्तु मूल में एक प्रवृत्ति ही काम करती रही—वह थी प्रकृति की सुन्दर आकर्षक विविध प्रकार की वनस्पतियों, पौधों, झाड़ियों, वृक्षों, लताओं को आकर्षक रूप में लगाना, उसे सँजोना और प्राकृतिक भूदृश्यों को अपनी कल्पना के पुट द्वारा अपने घर के भीतर प्रस्तुत करना।</p> <p>उद्यान कला के भी मूलभूत सिद्धान्त लगभग सभी जगहों पर एक जैसे ही होते हैं। इन्हें जानने व समझने के बाद पौधों की देखभाल का कार्य काफ़ी सरल हो जाता है। उद्यान कला एक वैज्ञानिक विषय है, परन्तु शौक़ के रूप में अपनाए जाने पर यह आनन्द व अनुभव का विषय बन जाता है।

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