
Kala Ka Rasta
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
‘कला का रास्ता’ में सुपरिचित हिन्दी कवि, कला और फ़िल्म लेखक विनोद भारद्वाज की विगत वर्षों में अख़बारों और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखी गई टिप्पणियों का एक प्रतिनिधि चयन है। ज़ाहिर है, ये टिप्पणियाँ किसी ख़बर, घटना, प्रदर्शनी आदि से जुड़ी हैं। पर इन्हें पढ़ते हुए आधुनिक भारतीय कला के कुछ नए-पुराने नामों के बारे में कई तरह की आत्मीय जानकारियाँ मिलती हैं। 2007-2010 के समय में भारतीय कला बाज़ार ने ऊँचाई भी पकड़ी। और विश्व आर्थिक मन्दी ने उसके लगभग अतियथार्थवादी विकास पर ब्रेक भी लगा दी। इस पुस्तक में विभिन्न प्रसंगों में सूजा, हिम्मत शाह, मनजीत बावा, हुसेन, सुबोध गुप्ता आदि चर्चित भारतीय आधुनिक कलाकारों के दिलचस्प निजी संस्मरण भी हैं। पश्चिम के महान आधुनिक कलाकार पिकासो पर भी इस पुस्तक में दुर्लभ सामग्री है। उल्लेखनीय है कि हुसेन और सूजा दोनों ही पिकासो से प्रभावित रहे हैं। विनोद भारद्वाज ने 1970 में एम.ए. मनोविज्ञान की पढ़ाई के दौरान बहुचर्चित कवि और तत्कालीन साप्ताहिक ‘दिनमान’ के सम्पादक रघुवीर सहाय की प्रेरणा और सहयोग से कला प्रदर्शनियों और कला-पुस्तकों आदि पर लिखना शुरू किया था। रघुवीर सहाय कविता में बोलचाल की भाषा के पक्षधर थे। शुरू में वह बच्चन से इसी कारण प्रभावित भी हुए थे। विनोद भारद्वाज के कला-लेखन की शुरू से ही एक ख़ास पहचान बोलचाल की भाषा है। अकादेमिक आडम्बर से वह दूर रहते हैं। कला-लेखन या समीक्षा में वह कविता लिखने के पक्ष में नहीं रहे हैं। अख़बार की ज़रूरतों के कारण कहीं-कहीं कुछ टिप्पणियों में दोहराव पाठकों को मिलेगा, पर यह पुस्तक उन्हें कला के एक दूसरे और लम्बे रास्ते में ले जाएगी। इस रास्ते में रहस्य और रोमांच भी है। कला की दस्तावेज़ी दुर्लभ जानकारियाँ भी हैं। अमृता शेरगिल, नागजी पटेल, परमजीत सिंह, मनजीत बावा, रवीन्द्रनाथ, हुसेन, सूजा, कृष्ण खन्ना, तैयब मेहता, सुबोध गुप्ता, विकास भट्टाचार्य, संजय भट्टाचार्य, सुदीप राय, दरोज, मनीष पुष्कले, किशोर शिंदे, यूसुफ आदि नए-पुराने कलाकारों पर कई दस्तावेज़ी जानकारियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। साथ में हैं आज की कला के अनगिनत ज़रूरी सवाल और सन्दर्भ।