Upsanhar
Author:
Kashinath SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
<strong>‘</strong>उपसंहार’ में कृष्ण के जीवन के अन्तिम दिनों की कथा कही गई है जो जितनी मार्मिक है उतनी ही उद्वेलक भी। यह जितनी कृष्ण की कथा है उतनी ही द्वारका के बनने और बिगड़ने की भी। कृष्ण ‘महाभारत’ के सर्वप्रमुख चरित्र हैं—योगेश्वर, युगन्धर, लीला-पुरुष, पूर्णावतार और ईश्वर। द्वारका उनकी देन है, उनकी सृष्टि। लेकिन महाभारत जैसे महायुद्ध के उपरान्त इसी द्वारका में कृष्ण का एक और रूप दिखलाई पड़ता है। यह रूप ईश्वरीय अलौकिकता से दूर एक ऐसे मनुष्य का है जिसकी असाधारण उपलब्धियों के पीछे खड़ी विफलताएँ अब एक-एक कर सामने आ रही हैं।</p>
<p>जिस द्वारका को उन्होंने अपने मन-प्राण से साकार किया था, वही तिनका-तिनका बिखर रहा है। जिस कृष्ण के विराट रूप के सामने कुरुक्षेत्र में अठारह अक्षौहिणी सेना दृष्टि खो बैठी थी, वही कृष्ण अब अवश नज़र आते हैं। आख़िर क्या है जय का सच्चा अर्थ? क्या तमाम सफलताएँ अन्ततोगत्वा विफलता में ही तिरोहित होती हैं? मानवीय जीवन के ऐसे अनेक मूलभूत प्रश्नों पर ‘उपसंहार’ उपन्यास नए सिरे से प्रकाश डालता है। अपने संक्षिप्त कलेवर के बावजूद इसका स्वर महाकाव्यात्मक है। ‘महाभारत’ के बारे में कहा जाता है कि जो कुछ दुनिया में है, वह ‘महाभारत<em>’</em> में है और जो उसमें नहीं है, वह कहीं नहीं है। ‘उपसंहार’ पढ़कर इस कथन की सत्यता को भी समझा जा सकता है।
ISBN: 9788126728657
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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