
Pratinidhi Kahaniyan : Mithileshwar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
147
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
294 mins
Book Description
मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं। प्रेमचन्द और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है। दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है।</p> <p>इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं। ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आज़ादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है। बदलने के नाम पर ग़रीब के शोषण के तरीक़े बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियाँ पहुँची हैं।</p> <p>निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इज़ाफ़ा करते हैं और उनकी निराडम्बर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं।