Surang

Surang

Authors(s):

Sanjay Sahay

Language:

Hindi

Pages:

168

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

336 mins

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Book Description

90 के दशक में बड़ी तेज़ी से बदल रही थी हिन्दी कहानी और उतनी ही तेज़ी से बदल रहा यह हमारा देश। वह एक खौलते हुए यथार्थ का समय था जिसे कथा साहित्य में दक्षता के साथ प्रस्तुत करनेवाले लेखकों में संजय सहाय बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। संजय सहाय की कहानियों का पहला संग्रह था—‘सुरंग’। ‘सुरंग’ को एक तरह से बेहतरीन कहानियों का निवास भी कहा जा सकता है जहाँ हर कहानी में मनुष्य जाति का कोई न कोई ज़ख़्म और कोहराम है। अच्छी कथाओं का मोक्ष यह होता है कि उन्हें कभी मोक्ष नहीं मिलता, हमेशा इसी दुनिया में जीना-मरना उनकी नियति और सिद्धि है। इसीलिए ‘सुरंग’ की कहानियाँ अपने प्रकाशन के क़रीब दो दशक बाद आज भी प्रासंगिक और समकालीन हैं, बल्कि कई अर्थ में पहले से भी अधिक। वे मौजूदा समाज के प्रातिनिधिक चरित्र उस हिंसा का प्रत्याख्यान करती हैं जो सर्वाधिक बेबस और मुफ़लिस का आखेट करती है। संजय सूक्ष्मता में जाकर हिंसा की सत्ता-संरचना का विखंडन करते हैं; यह अनायास नहीं है कि संजय की कहानियों में ख़ून, हथियार, प्रहार, वर्दी आदि बार-बार आते हैं। इन्हीं के समानान्तर सिर उठाती देखी जा सकती है, साधारण इनसान की रुलाई, चीख़ और प्रतिरोध की आवाज़।</p> <p>‘सुरंग’ की कहानियों में देखा जा सकता है कि दृश्यान्तर बहुत हैं। ‘शेषान्त’, ‘मध्यान्तर’, सरीखी कहानियों में बहुत सारे लोग मिलकर विविध दृश्य रचते हैं तो ‘खेल’, ‘सुरंग’, ‘टोपी’ जैसी कहानियों में एक-दो पात्रों की आँख के सामने अनेक अपने-अपने क़िस्सों के दृश्यों के साथ प्रकट होते हैं। यूँ भी कह सकते हैं, संजय के यहाँ जीवन अनोखेपन और चाक्षुषता के साथ है। ‘अविश्वसनीय’ और ‘सुरंग’ में जहाँ लोग-बाग ज़्यादा नहीं हैं, वहाँ उनकी जगह समय का विस्तृत फलक है। ‘अविश्वसनीय’ में संजय ने स्त्री के दु:ख तथा उसके प्रति पुरुष-सत्ता के नज़रिए को शान्त, बढ़ा, बाजिरह कहा है। ‘सुरंग’ की सुरंग इतिहास के रक्तपात से भरी हुई है। यह सुरंग अतीत से चलकर बरास्ते वर्तमान होते हुए भविष्य तक का उद्घाटन करती है जिसमें शक्तियों की बेरहमी, अन्याय और बेदखली गश्त कर रही है।</p> <p>संक्षेप में कहें, ‘सुरंग’ की कहानियाँ ऐसी हैं जो कभी-कभी रची जा पाती हैं लेकिन लम्बे वक़्त के लिए साथ रह जाती हैं।</p> <p>—अखिलेश

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