Jali Thee Agnishikha
Author:
Mahashweta DeviPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
ऐतिहासिक उपन्यास लेखन पर कोई स्पष्ट राय अब तक नहीं बन सकी है। रोमांस और त्रासदी का अंकन कर उपन्यासकार अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है। लेकिन प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी ‘इतिहास-सृजन’ को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी से निभाती हैं। ऐसे लेखन के लिए एक ख़ास प्रवणता, कथा के बजाय देश, काल, पात्र और आचार-व्यवहार की प्रामाणिक जानकारी का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा मौजूदा समय की पकड़ भी। महाश्वेता जी में ये सभी विशेषताएँ मौजूद हैं।</p>
<p>पहले उपन्यास ‘झाँसी की रानी’ के बाद ‘जली थी अग्निशिखा’ में पुनः रानी लक्ष्मीबाई केन्द्र में है। महाश्वेता जी का लेखन अपने मिज़ाज और तेवर में नितान्त भिन्न है। बिलकुल नई सूचनाएँ, नया अनुभव और नई भाषा। लोक मुहावरे और ठेठ देशज शब्दों के इस्तेमाल से उन्हें परहेज़ नहीं है, दरअसल उनका आग्रह सामाजिकता के प्रति अधिक रहता है। प्रस्तुत उपन्यास में अंग्रेज़ों और उनके सेनापति ह्यूरोज़ के लिए झाँसी और रानी दोनों पहेली हैं। रानी की ताक़त के सम्मुख अंग्रेज़ सैनिक हताश हैं। ह्यूरोज़ जानना चाहता है कि झाँसी की रानी आख़िर क्या बला है? ग्वालियर शहर (जहाँ उनका डेरा है) से पूरब की तरफ़ धू-धू जल रही अग्नि किन लोगों ने जलाई होगी? सारे द्वन्द्व उसके अन्दर चलते रहते हैं। जब उसे पता चलता है कि रानी अदम्य इच्छाशक्ति, साहस और संघर्ष से लैस शान्त, सभ्य और बुद्धिमान महिला है तो वह अवाक् रह जाता है। उसकी यह धारणा ख़त्म हो जाती है कि भारतीय महिलाएँ अनपढ़, गँवार और फूहड़ होती हैं।</p>
<p>रानी के संघर्ष के बहाने उपन्यास उस समय की जीवन स्थितियों, विडम्बनाओं, विद्रूपताओं तथा अंग्रेज़ों की क्रूरताओं को भी सामने लाता है। इतिहास में रुचि रखनेवालों के लिए एक ज़रूरी किताब।
ISBN: 9788171197897
Pages: 107
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Uske Hisse Ki Dhoop
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

-
Description:
परम्परागत भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बीच मानवीय स्वतंत्रता, ख़ासकर नारी-स्वातंत्र्य का सवाल सदा ही अनदेखा किया जाता रहा है, और मृदुला गर्ग का यह उपन्यास परम्परागत ही नहीं, बल्कि आधुनिकता के घिसे-पिटे वैचारिक चौखटे से भी बाहर निकलकर यह सवाल उठाता है कि स्त्री-पुरुष सम्बन्धों का आधार क्या है—प्रेम अथवा स्वतंत्रता? और क्या इन सम्बन्धों का सत्य सिर्फ़ मनोगत है अथवा इनके समानान्तर कोई दैहिक सच्चाई भी है?
देखा जाए तो मृदुला गर्ग का यह बहुचर्चित उपन्यास एक त्रिकोणात्मक प्रेम-कथा है, लेकिन प्रेम इसकी समस्या नहीं है—समस्या है स्वतंत्रता, जो स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से मूल्यवान है। प्रेम अगर व्यक्ति की स्वतंत्रता और उसके वैयक्तिक विकास को बाधित करता है तो वह अस्वस्थ है। लेखिका ने इस विचार को उस गहराई से चित्रित किया है जहाँ उसकी रागात्मकता पाठ को मुग्ध कर लेती है और प्रत्येक स्थिति पाठकीय संवेदना का अटूट हिस्सा बन जाती है।
Eyes I Have Been Searching For
- Author Name:
Haseena T
- Book Type:

- Description: For avyukta falling in love was everything. She is vibrant that way, but she never knew where to find love until she met those eyes.
Jeene Ke Liye
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

-
Description:
‘जीने के लिए’ राहुल सांकृत्यायन का दूसरा उपन्यास है। अपने पहले उपन्यास ‘बाईसवीं सदी’ में उन्होंने दो सदी बाद आने वाले समय का चित्र खींचा था, इसलिए यथार्थ आधारित होते हुए भी उसमें कल्पना का समावेश अधिक था। लेकिन इस उपन्यास में वे अपने समसामयिक देश-काल को आधार बनाते हैं और यथार्थ की जमीन पर उतर आते हैं। वह देश-काल है पहले विश्वयुद्ध के बाद का जिसमें परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं और पूरी दुनिया के सामने चुनौतियाँ जटिल से जटिलतर होती जा रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में ‘जीने के लिए’ की कहानी अपना स्वरूप ग्रहण करती है जिसमें भारतीय जनगण द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से अपनी आज़ादी के लिए किये जा रहे संघर्ष का मर्मस्पर्शी चित्रण है।
यह बात अलग से ध्यान खींचती है कि इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय जनजीवन के रोजमर्रा के चित्रों के साथ-साथ उसके वैचारिक आलोड़न का अंकन भी राहुल करते चलते हैं जिसका पता उपन्यास की ऐसी पंक्तियों से मिलता है—‘मुट्ठी भर विदेशी हिन्दुस्तान जैसे बड़े देश को गुलाम नहीं बना सकते, इसका सारा दोष हमारे समाज की बनावट के मत्थे है’; ‘राष्ट्र की एकता मंचों पर लम्बे-लम्बे भाषण से नहीं होगी। इसके लिए हमें ठोस काम करना होगा। वह ठोस काम यही है कि देश के भीतर धर्म और जाति-भेद ने जितनी दीवारें कड़ी की हैं,उन्हें गिरा देना।’
वस्तुतः ‘जीने के लिए’ उपन्यास एक तरफ हमारे गुजरे दौर की विश्वसनीय कहानी प्रस्तुत करता है तो दूसरी तरफ उन आदर्शों की याद दिलाती है जिन्हें मूर्त करना एक समर्थ समाज और राष्ट्र के रूप में हमारे आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है।
Boudam
- Author Name:
Fyodor Dostoyevsky
- Rating:
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dozakh
- Author Name:
Syed Zaigham Imam
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास मज़हब और इनसानियत के बीच चलनेवाली एक अजीबो-ग़रीब कशमकश की कहानी है। एक ऐसे लड़के की दास्तान जिसे हिन्दू या फिर मुसलमान होने का मतलब ठीक से नहीं पता। मालूम है तो सिर्फ़ इतना कि वह एक इनसान है, जिसकी सोच और समझ किसी मज़हबी गाइडलाइन की मोहताज नहीं है।
असल में इस उपन्यास की कहानी के बहाने भारतीय समाज के उस धार्मिक ताने-बाने को उकेरने की कोशिश की गई है जो मज़हब और नफ़रत की राजनीति के उभरने से पहले देश के शहरों और क़स्बों की विरासत था, जहाँ मुसलमान अपने धर्म के प्रति सजग रहते हुए भी इस तरह बचाव की मुद्रा में नहीं होते थे, जैसे आज हैं।
उपन्यास का नायक अलीम अहमद उर्फ़ अल्लन उसी माहौल का रूपक रचता है और अपनी सहज और स्वतःस्फूर्त धार्मिकता के साथ हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों की सीमाओं के परे चला जाता है। उपन्यास में कम उम्र में होनेवाले प्रेम की तीव्रता, एक मुस्लिम परिवार की आर्थिक तंगी, पीढ़ियों के टकराव और एक बच्चे के मनोविज्ञान का भी बख़ूबी अंकन हुआ है।
बनारस की पृष्ठभूमि में लिखे गए इस उपन्यास में कई जगह भद्दी गालियाँ हैं और कहीं-कहीं हालात से उपजी अश्लीलता भी। लेकिन इस सबके बावजूद यह उपन्यास अपने आप में मुकम्मल है और कई बार दिल को छूता है। आँखों की कोर गीली कर जाता है।
Murda-Ghar
- Author Name:
Jagdamba Prasad Dixit
- Book Type:

-
Description:
मुरदा-घर सामाजिक विसंगतियों और विषमताओं का यथार्थपूर्ण चित्रण है। वर्तमान अर्थव्यवस्था के तहत गाँवों के उजड़ने की प्रक्रिया जैसे-जैसे तेज़ होती गई, महानगरों में गन्दी बस्तियों और झोंपड़पट्टियों या झुग्गी-झोंपड़ियों का उतनी ही तेज़ी से विस्तार होता गया। इन बस्तियों में मानव-जीवन का जो रूप विकसित हुआ, वह काफ़ी विकृत और अमानवीय है। वेश्यावृत्ति और अपराध-कर्म का यहाँ विशेष रूप से विकास हुआ।
‘मुरदा-घर’ में झोंपड़पट्टी की वेश्याओं की दयनीय स्थिति का शक्तिशाली चित्रण है। विद्रूप यथार्थ ‘मुरदा-घर’ के केन्द्र में ज़रूर है, लेकिन उपन्यास की मुख्य धारा करुणा और संवेदना की है। विकृत से
विकृत स्थितियों से गुज़रते हुए भी उपन्यास के पात्र नितान्त मानवीय और संवेदनशील हैं। ‘मुरदा-घर’ में वर्तमान राज्य-तंत्र के अमानवीय रूप को भी उकेरा गया है। पुलिस-स्टेशन, हवालात, कचहरी वग़ैरह का जो रूप यहाँ सामने आया है, काफ़ी अमानवीय और नृशंस है।
‘मुरदा-घर’ आज की हमारी पूरी व्यवस्था पर एक प्रश्नचिह्न है। जैसा कि एक आलोचक ने कहा है, ‘मुरदा-घर’ आधुनिक हिन्दी उपन्यासों की दुनिया में एक चुनौती है। इसका सामना करना आसान नहीं है।’
Aaspas Se Gujrate Hue
- Author Name:
Jayanti
- Book Type:

- Description: ‘अनु–––सर्दियों की एक ख़ुशनुमा ढलती साँझ में मेरे ज़ेहन में आई थी। शाम से लेकर पूरी रात वह मेरे साथ रही। अगले ही दिन मैंने तय कर लिया कि अनु को आकार देना चाहिए। अनु जैसी किसी से मैं आज तक मुखातिब नहीं हुई हूँ। पर टुकड़ों में उसकी छवियाँ मेरे आसपास से गुज़रती रही हैं। आज के दौर की एक सामान्य-सी युवती है अनु, जो कुछ परवरिश के तौर–तरीक़े के चलते, तो कुछ परिस्थितिवश और बहुत कुछ अपने स्वभावगत गुण–अवगुण की वजह से लीक से हटकर चलने की कोशिश में लगी है।’ इस उपन्यास की नायिका के बारे में लेखिका का यह वक्तव्य, अगर बहुत ज़्यादा नहीं तो इतना तो बताता ही है कि वह ‘लीक से हटकर’ चलनेवाली युवती है, उसके ख़ाका को पूरा करने के लिए इतना–भर और जोड़ लेना काफ़ी होगा कि वह हमारे दरवाज़े के बाहर खड़े, ‘इन्स्टैंट’ वर्तमान से उठी हुई नायिका है—अपनी टुकड़ा–टुकड़ा छवियों में ही आकार लेती हुई।
Raja Momo Aur Peelee Bulbul
- Author Name:
Vikas Kumar Jha
- Book Type:

-
Description:
गोवा भारत का सबसे छोटा प्रान्त है। इसका क्षेत्रफल मात्र 3,702 वर्गमील है और यह दो जिलों का प्रान्त है—उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा। अरब सागर, मनोहारी जंगल, छोटे-छोटे अनूप पहाड़, काजू के सघन बगीचे, प्रसिद्ध मद्य फ़ेनी, दूर-दूर तक फैले धान के खेत, हमेशा आनन्द से छलकते समुद्र-तट और देश-विदेश के पर्यटकों से सुसज्जित इस नन्हे प्रान्त की शक्ल बाहर से जगमग ‘परी-लोक’ सरीखी है। पर इसकी आत्मा आज भी गहरे अवसाद में है।
1947 में भारत की आज़ादी के बावजूद अगले 14 वर्षों तक गोवा पुर्तगाली शासन में रहा और एक लम्बे मुक्ति संग्राम के बाद इसे 1961 में स्वतंत्रता मिल सकी। पर गोवा को आज तक अपनी विडम्बनाओं से मुक्ति नहीं। इस स्थायी अवसाद की स्थिति में छोटे क़द-बुतवाले गोवा का वज़न बेहिसाब बढ़ चुका है। अत्यधिक वज़न की समस्या से जूझते गोवा का स्थान वज़न के मामले में भारत के अन्य सभी प्रान्तों से ऊपर है।
प्राचीन काल से परम्परावादी इस प्रान्त को निरन्तर सामाजिक-सांस्कृतिक पतन ने भीतर से क्षयग्रस्त कर रखा है। ज़माने से वैश्विक अय्याशी का केन्द्र रहा गोवा खनन माफ़िया, ड्रग माफ़िया, गोवा को कंक्रीट का जंगल बनानेवाले भवन माफ़िया और वन-माफ़िया के करतबों से चुपचाप ख़ून के आँसू टपका रहा है। हिन्दी साहित्य में गोवा सदैव से हाशिये पर रहा है। पहली बार हिन्दी साहित्य में गोवा को लेकर बड़े फ़लक पर लिखा गया यह बृहत् उपन्यास देश के सबसे छोटे प्रान्त को केन्द्रीय विमर्श में लाने की पेशकश करता है।
Nar Naari
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास कृष्ण बलदेव वैद के सबसे चर्चित और बहस तलब रचनाओं में से एक है। उन्होंने हिन्दी की मुख्यधारा से अकसर दूर ही रहते हुए भाषा को ऐसी कृतियाँ दी हैं जो शिल्प के हमारे साथ सोचने के तरीक़ों को भी विचलित करती रही हैं।
‘नर नारी’ उपन्यास स्त्री की समूची सामाजिक, पारिवारिक और दैहिक इयत्ता को केन्द्र में रखता है, और उनसे जुड़े प्रश्नों पर एक संकुल भावभूमि के परिप्रेक्ष्य में विचार करता है। पितृसत्तात्मक सामाजिक तंत्र में सम्पत्ति के उत्तराधिकार, विवाह-संस्था की वैधता, यौन- शुचिता और इससे जुड़े कई विधि-निषेधों पर अत्यन्त ज़ोर दिया जाता है। पति-पत्नी, बहन-भाई, माँ-बेटे आदि सभी सम्बन्ध अन्तत: इन्हीं सब के सन्दर्भ में परिभाषित होते दिखते हैं।
इनके बीच ही मौजूद है स्त्री-पुरुष का आदिम रिश्ता जो एक दूसरी की उपस्थिति को एक प्राकृतिक और समान भूमि पर परिभाषित करता है। बाँझ माँजी, रसीला, सीमा और मीनू आदि इस उपन्यास के ऐसे स्त्री पात्र हैं जिनका जीवन और दृष्टिकोण इन तमाम प्रश्नों पर अलग-अलग ढंग से प्रकाश डालता है।
संवादों के बीच से ही दृश्यों को साकार करते हुए उपन्यास को पढ़ना जैसे अपने ही मन की भीतरी तहों की यात्रा करने जैसा है। लेखक कहीं पर न पात्रों का बाहरी विवरण देता है, न परिस्थितियों का, फिर भी सब जैसे पाठक की आँखों के सामने साकार होता चलता है। एक पठनीय और विचारणीय उपन्यास।
Babal Tera Des Mein
- Author Name:
Bhagwandas Morwal
- Book Type:

-
Description:
‘बाबल तेरा देस में’ आख्यान है—स्त्री के उन दु:खों का, जो अपने ही घर के असुरक्षित, अभेद्य क़िले में क़ैद है। इसकी रेहलगी, बजबजाती अन्धी सुरंगों में कहीं पिता, तो कहीं भाई; कहीं ससुर, तो कहीं-कहीं पति के रूप में एक आदमख़ोर भेड़िया घात लगाए बैठा है; और जिसके हरेक नाके पर तैनात है एक पहरेदार अपने हाथ में थामे धर्म-ग्रन्थों के उपदेशों एवं तथाकथित आदेशों की धारदार नुकीली बरछी।
‘बाबल तेरा देस में’ इसी क़िले की पितृसत्तात्मक ईंट-गारे से चिनी मज़बूत दीवारों और महराबों के बीच दादी, जै़तूनी, असग़री, जुम्मी, पारो, शकीला, शगुफ़्ता, समीना, जै़नब, मैना और मुमताज़ का मौन प्रतिवाद है—वह भी बाहर की दुनिया से नहीं बल्कि हाजी चाँदमल, दीन मोहम्मद, हनीफ़, फ़ौजी, जगन प्रसाद, मुबारक अली तथा कलन्दर जैसे अपने ही घरों के पहरुओं से।
यह विमर्श नहीं है समृद्ध संसार की स्त्रियों की उस मुक्ति का, जो उन्हें कभी और कहीं भी मिल सकती है, अपितु यह अपनी निजता और शुचिता बचाए रखने का लोमहर्षक उपाख्यान भी है। लोकजीवन और क़िस्सागोई की तरंगों से लबरेज़ यह ऐसे जीवन्त-समाज का आख्यान भी है, जो पाठकों को कथा-रस के विभिन्न आस्वादों तथा अपने अभिनव कला-पक्ष से मुठभेड़ कराता, रेत-माटी से सने पाँवों की ऊबड़-खाबड़ मेड़ों पर, जेठ की तपती धूप में चलने जैसा अहसास दिलाता है। भगवानदास मोरवाल का यह उपन्यास ‘बाबल तेरा देस में’ निःसन्देह उस अवधारणा को तोड़ता है कि आज़ादी के बाद मुस्लिम परिवेश को आधार बनाकर उपन्यास नहीं लिखे जा रहे हैं।
Sidhyon Par Cheetah
- Author Name:
Tejinder
- Book Type:

-
Description:
उत्तराखंड के देहरादून से चेन्नई जा पहुँचा भारत सरकार का एक क्लास वन सिख ऑफ़िसर रंधावा। समुद्र के और वहाँ के दरिद्रनारायण बाशिन्दों के क़रीब पहुँच जाने पर उसे अनुभव होने लगा है कि ‘ग़रीब आदमी की हथेलियों में लिखी हुई रेखाएँ, पेंसिल से खींची हुई होती हैं और उन्हें मिटानेवाले सारे रबर पैसेवालों के हाथों में होते हैं।’ “अंकल, आप नहीं समझते, इस डायरी के शब्दों में कितनी एनर्जी और कितना पैशन है।”
“लेकिन ये सड़ी और तर्कहीन नफ़रत से भरे हुए हैं...”
“पर अंकल, जागीरसिंह ठीक कहता था, मैं भी अपने रास्ते में जो आएगा, उसे छोड़ूँगा नहीं, आई विल किल हिम।”
“तुम्हारे रास्ते का मतलब?”
“समुद्र की पीठ पर अपना घर बनाने का रास्ता।” समुद्र की पीठ पर अपना घर बनाने का रास्ता महज़ शिवा के दिमाग़ में नहीं, अनेक विद्वानों के मस्तिष्कों से उपजा है। प्रोफ़ेसर लक्ष्मीनारायण श्रीनिवास राघवन ने एक दिन शिवा को कान्नेमारा लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर बैठकर समझाया था—‘अंग्रेज़ कलकत्ते से ज़्यादा मद्रास को प्यार करते थे, इसीलिए उन्होंने यहाँ कान्नेमारा लाइब्रेरी बनवाई। यहाँ पर जो किताबें हैं और उनमें द्रविड़ियन ज्ञान की जो फ़ायर है, वह सोने की तरह है, जिसके सामने काशी के वेद फीके हैं। नो आर्यन फ़िलासफ़र कैन ईवन स्टैंड नीयरबाय।’
“आप यह समुद्र के उस पार के द्वीप में जो लड़ाई चल रही है, उसके बारे में क्या सोचती हैं?” रंधावा ने नीला नारायणन से पूछा था।
“दे डोन्ट नो देम सेल्व्स, उन्हें क्या चाहिए। वे अपने घर के लिए लड़ रहे हैं इसीलिए हमारे घर बन रहे हैं।” टी.वी. पर ब्रेकिंग न्यूज़ के तहत बताया जा रहा था कि बारिश से हुई बर्बादी के बाद रात के टोकन बटोरने की कोशिश में एक तमिल क़स्बे में अपने ही लोगों की भीड़ से कुचलकर बयालीस लोग मर गए थे।
जागीरसिंह और शिवा दोनों दिग्भ्रमित नौजवानों ने अन्ततः अपने विचारों को सच मानते हुए, उनकी रक्षा में मौत का चोग़ा ओढ़ लिया था। उपन्यास में धड़ल्ले से किए गए तमिल वाक्यों के उपयोग से यह विश्वास नहीं हो सकता कि लेखक एक हिन्दीभाषी क्षेत्र का निवासी है।
सिर्फ़ हिन्दी ही नहीं, एक ज्वलन्त, अछूते विषय पर अब तक किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई एक अनोखी, कालजयी रचना।
—विद्यासागर नौटियाल
Sardhana Ki Begham
- Author Name:
Rangnath Tiwari
- Book Type:

-
Description:
ऐतिहासिक उपन्यास में अपने समय की कहानी होती है जिसमें विराट काल-पुरुष के आँसू और मुस्कान, समय की सीमा को लाँघकर अविकल रूप से छलकते रहते हैं।
‘सरधाना की बेग़म’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है जिसमें बेग़म समरू और आयरिश सोल्जर जॉर्ज थॉमस की रूहानी कशमकश साकार हो उठी है।
‘सरधाना की बेग़म’ एक अजीबो-ग़रीब शख़्सियत। सियासत जिसके ख़ून में रची-बसी थी और मक्कारी जिसके वजूद का हिस्सा। मैदाने-जंग में वह जब मर्दाना भेष में अपनी कवायदी फ़ौज और लाव-लश्कर के साथ उतरती तो अच्छे-अच्छों के छक्के छूट जाते।
दिल्ली का बादशाह शाहआलम उसे अपनी बेटी कहता और शाहआलम के वकील-ए-मुतल्लक (वजीर) माधोजी सिन्धिया उसे अपनी समशिरा बहन अर्थात् सगी बहन कहते और जिससे राखी बँधवाते।
‘‘संगीत उसकी साँसों में था
और नृत्य की लय उसके तन-बदन में
सूफ़ी तसव्वुफ़ उसका ईमान था
और ईसा मसीह की प्रेम-संवेदना
उसकी कहानी इकादत’’
जाट, मराठा, पठान, जर्मन, फ़्रांसीसी, आयरिश तथा अंग्रेज़ जांबाज़ों के हौसलों को बार-बार चकमा देकर अपनी बहादुरी और हुस्नोजमाल का भरम क़ायम रखनेवाली क़यामत का नाम है—‘सरधाना की बेग़म’, जिसके ज़िक्र के बिना अठारहवीं शताब्दी के उत्तरी भारत की अन्दरूनी कहानी अधूरी रह जाती है।
Pati-Patni Samvad
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: संसार में जितने मानवीय सम्बन्ध हैं, उनमें सबसे विचित्र है पति-पत्नी सम्बन्ध। इस पर हज़ारों उपन्यास लिखे गए लेकिन पति-पत्नी के इन्द्रधनुषी सम्बन्ध के सातों रंग उनमें कितने खिले हैं, यह बताना मुश्किल है। यह इसलिए मुश्किल है कि मानवीय आयाम के नीचे अन्तरंग दाम्पत्य आयाम का छिप जाना स्वाभाविक है। लेकिन कुछ ऐसे कथाशिल्पी आगे आए जिन्होंने दाम्पत्य जीवन की विचित्रताओं को सविस्मय देखा, लेकिन उनके विश्लेषण का प्रयास नहीं किया। बिमल बाबू ने ऐसा ही किया है। गोलक बाबू को जब रेलवे की नौकरी नहीं मिली थी तब वे एक अस्वस्थ लखपति की मालिश करने का काम करते थे। उस लखपति की नौजवान पत्नी से उनका अवैध सम्बन्ध हो गया। उस महिला के पीछे उन्होंने अपने बीवी-बच्चों को तिलांजलि दे दी। लेकिन जब वे चल बसे तब उस महिला ने उनकी गिरस्ती को अपना लिया। गोलक बाबू के बेटे उसके अपने बेटे हो गए और वह रोज़ गोलक बाबू के चित्र पर माला चढ़ाती है, लेकिन ऐसा क्यों हुआ? चिकित्सक के रूप में डॉक्टर दास ने जितना धन कमाया, उतना बहुत कम लोग कमा पाते हैं। धन के पीछे वे अपनी पत्नी तक को भूल गए। बहुत दिनों बाद बिमल बाबू जब डॉक्टर दास की पत्नी से मिले तब मिसेस दास मिसेस शर्मा बन चुकी थीं। उसने अपने ड्राइवर शर्मा को अपना जीवनसाथी बना लिया था। शर्मा भी मिस्टर शर्मा हो गया था। वह ट्रांसपोर्ट कम्पनी का मालिक था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ? पल्टू सेन मामूली क्लर्क से करोड़पति बना। उसने अपनी पत्नी को सुखी करने के लिए क्या नहीं किया? लेकिन उसकी पत्नी कहाँ सुखी हो सकी? उसने अपने शरीर में आग लगाकर आत्महत्या कर ली। उसी घटना में पल्टू सेन बुरी तरह जलकर कई दिन बाद चल बसा। मरते समय उसे पता चला कि उसकी असली पत्नी कोई और है। लेकिन ऐसा क्यों हुआ?
Main Ravindranath ki Patni
- Author Name:
Ranjan bandyopadhyay
- Book Type:

-
Description:
‘मैं रवीन्द्रनाथ की पत्नी’ एक ऐसी पुष्पलता की कहानी है जिसे एक विराटवृक्ष के साहचर्य में आने की कीमत अपने अस्तित्व को ओझल करके चुकानी पड़ी।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की पत्नी थीं—मृणालिनी देवी। उनका सिर्फ एक ही परिचय था कि वे विश्वकवि की सहधर्मिणी हैं। उनका जीवन मात्र अट्ठाइस वर्षों का रहा, जिनमें से उन्नीस वर्ष उन्होंने रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में जिये। रवीन्द्रनाथ की विराट छाया में मृणालिनी का अन्तर्जगत हमेशा अँधेरे में रहने को ही अभिशप्त रहा। रवीन्द्रनाथ से इतर उनका अपना कोई अस्तित्व मानो रहा ही नहीं।
लेकिन क्या सचमुच ऐसा ही था? क्या अपने निजी जीवन में मृणालिनी ने दाम्पत्य का सहज सुख पाया और अपने जीवनसाथी की सच्ची सहधर्मिणी हो पाई थीं? क्या उन्हें रवीन्द्रनाथ की पत्नी के रूप में प्रेमपूर्ण जीवन जीने को मिला था? इन तमाम सवालों का जवाब है यह उपन्यास जिसमें एक स्त्री के सम्पूर्ण मन-प्राण की व्यथा इस तरह अभिव्यक्त हुई है जो इतिहास को नई रोशनी में देखने की माँग करती है।
एक अविस्मरणीय कृति!
Chanakya
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

-
Description:
चाणक्य सुविख्यात उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा की अन्तिम कथाकृति है। मगध-सम्राट् महापद्म नन्द और उसके पुत्रों द्वारा प्रजा पर जो अत्याचार किए जा रहे थे, राज्यसभा में आचार्य विष्णुगुप्त ने उनकी कड़ी आलोचना की; फलस्वरूप नन्द के हाथों उन्हें अपमानित होना पड़ा। विष्णुगुप्त का यही अपमान अन्ततः उस महाभियान का आरम्भ सिद्ध हुआ, जिससे एक ओर तो आचार्य विष्णुगुप्त ‘चाणक्य’ के नाम से विख्यात हुए और दूसरी ओर मगध-साम्राज्य को चन्द्रगुप्त-जैसा वास्तविक उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ।
भगवती बाबू ने इस उपन्यास में इसी ऐतिहासिक कथा की परतें उघाड़ी हैं। लेकिन इस क्रम में उनकी दृष्टि एक पतनोन्मुख राज्य-व्यवस्था के वैभव-विलास और उसकी उन विकृतियों का भी उद्घाटन करती है जो उसे मूल्य-स्तर पर खोखला बनाती हैं और काल-व्यवधान से परे आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं।
इस उपन्यास की प्रमुख विशेषता यह भी है कि चाणक्य यहाँ पहली बार अपनी समग्रता में चित्रित हुए हैं। उनके कठोर और अभेद्य व्यक्तित्व के भीतर भगवती बाबू ने नवनीत-खंड की भी तलाश की है। अपने महान जीवन-संघर्ष में स्वाभिमानी, संकल्पशील, दूरद्रष्टा और अप्रतिम कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ वे एक सुहृद् प्रेमी और सद्गृहस्थ के रूप में भी हमारे सामने आते हैं। निश्चय ही, ‘चित्रलेखा’ और ‘युवराज चूण्डा’ जैसे ऐतिहासिक उपन्यासों के क्रम में लेखक की यह कृति भी स्मरणीय है।
Wah Samay Yah Samay
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

-
Description:
‘वह समय’—कृष्णा जी ने इस टुकड़े को यही नाम दिया था, जिसे ‘ज़िन्दगीनामा’ के दूसरे भाग का हिस्सा होना था। सम्बन्धों के सामाजिक तर्कों और नैतिक आग्रहों के ऊपर चलती दिलों की यह कहानी शाह जी और राबयाँ की है। शाह जी अपने आधे को पार कर चुके हैं और राबयाँ जवानी की सीढ़ियाँ चढ़ रही है—तुकें मिलाती है, कवित्त लिखती है, शाह जी उसके लिखे को दुरुस्त करते हैं, उसे पढ़ाते-सिखाते हैं। इसी में उम्र, मज़हब और परिवारों की हदों से ऊपर उठ दोनों कहीं जुड़ जाते हैं...और उस दिन जब कचहरी से लौटते हुए शाह जी बाढ़ में घिर जाते हैं, राबयाँ अपनी छत से उन्हें देखती है और उन्हें बचाने पानी में कूद जाती है...दोनों को ढूँढ़ लिया जाता है, लेकिन शाह जी फिर लौट नहीं पाते, चले ही जाते हैं, और राबयाँ उनके पीछे... यह कहानी इश्क़ की है, इश्क़ की रूहानियत की, ...कृष्णा सोबती की क़लम ही इसकी पवित्रता को इतने सुच्चेपन से आँक सकती थी!
इस जिल्द में मौजूद दूसरी कृति का सम्बन्ध इस समय से है—आज की दिल्ली से। रियल एस्टेट के मगरमच्छों के हत्थे चढ़े एक युवक की यह कहानी पैसे के उथले दलदल में छपछपाते उस तबक़े के बारे में बताती है, जिसके लिए सबसे पहला और सबसे आख़िरी मूल्य पैसा ही है। यह भी कि गाँवों-क़स्बों से रोटी-रोज़गार की तलाश में आए लोगों को यह दलदल कैसी सफ़ाई से अपनी गिरफ़्त में ले लेता है!
Chakrateerth
- Author Name:
Amritlal Nagar
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत उपन्यास ‘चक्रतीर्थ’ में कुषाणों और यूनानियों की दासता से ट्रस्ट और विखंडित भारत के पुनर्संगठित होकर एक सशक्त और समृद्ध देश बनने की यह प्रेरणादायक रंगारंग भारतीय छवियों से भरपूर, यह रोचक राष्ट्र-कथा पढ़कर आपको आज के भारत की समस्याओं पर गहराई से विचार करने की स्फूर्ति मिलेगी।
यह इतिहास कथा उस भावनात्मक आन्दोलन से जुड़ी है जिसने पहली बार भारत की सभी जातियों के उत्तम विचार और संस्कार लेकर तथा ब्राह्मण और श्रमण धर्म का उचित समन्वय करके समूचे भारत को वह एकता प्रदान की जिसके सही और ग़लत प्रभावों से यह देश आज तक बँधा हुआ है।
पुरानी दुनिया में भारत के महत्त्वपूर्ण स्थान और विश्वव्यापी मानव संस्कृति की रसभीनी छटा फहराने वाला, भारतीय साहित्य में अपने रंग का अकेला, यह उपन्यास आपके हाथों में है।
उपन्यास का पहला पृष्ठ पढ़ना आरम्भ कीजिए और फिर अन्तिम पृष्ठ पूरा पढ़े बिना आप इसे छोड़ नहीं सकेंगे।
Romeo Juliet Aur Andhera(LOK)
- Author Name:
Kunal Singh
- Book Type:

- Description: भाषा, जाति, धर्म, नस्ल और क्षेत्र को दरकिनार करके किया गया प्रेम एक ताजी, भव्य, सम्मोहक और रोशन दुनिया की कोंपल अपने भीतर रखता है, पर जब हम भीतर और बाहर रोशनी से भर रहे होते हैं तो ठीक हमारे पीछे अँधेरा अपने ज़ंग लगे नाख़ूनों में धार दे रहा होता है। रोशनी और अँधेरे के बीच का यह आदिम खेल सभ्यता के कथित विकास के साथ और भी बर्बर होता गया है। ‘रोमियो जूलियट और अँधेरा’ पढ़ते हुए हम जानते हैं कि हमारे कोमलतम और सपनीले दिनों में बर्बरता सबसे अधिक हमारी ताक में रहती है। यहाँ दो युवा दिलों की मुहब्बत पर तमाम हत्यारी साज़िशों की भुतहा छायाएँ गिर रही हैं। यहाँ भाषा, नस्ल और स्थानीय बनाम बाहरी के द्वन्द्व हैं जिनकी शतरंजी बिसात पर राजनीतिक गोटियाँ सेंकी जा रही हैं, जिनकी गिरफ़्त में आने के बाद पीड़ित लोग अपने ही जैसे दूसरे पीड़ितों के प्रति ज़हर से भर रहे हैं। यहीं, इसी जगह से उपन्यास में अँधेरा प्रवेश करता है। असम की राजनीति में जो ताक़तें और तत्व आज निर्णायक होकर राज कर रहे हैं, उन सबकी गहरी पदचापें इस उपन्यास में सुनी और देखी जा सकती हैं। और यह सब यहाँ एक ऐसी सम्पन्न भाषा में दर्ज हो रहा है जो स्वाद, रंग, गन्ध, ध्वनियाँ, मौसम, रोशनी और अँधेरा सब कुछ को साकार कर देती है। जिसमें आप किसी कली का चटकना या फूल का मुरझाना सुन और देख सकते हैं। जिसमें असम की धरती का ताप दर्ज हुआ है। पढ़ते हुए एक भीषण आह के साथ हम जानते हैं कि हर भाषा के अपने दुख, मातम और अँधेरे हुआ करते हैं।
Ek Tanashah Ki Premkatha
- Author Name:
Gyan Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
यह कथा है—प्रेम में तानाशाही की। प्रेम की तानाशाही की भी और तानाशाहों के प्रेम की भी। प्रेम जो समर्पण से शुरू होता है। फिर धीरे-धीरे इसका पलड़ा किसी एक तरफ झुकने लगता है और तब शुरू होती है भूमिका ताक़त के प्रति हमारे अनन्य प्रेम की, जिसके सामने कोई प्रेम अर्थ नहीं रखता।
यह उपन्यास ऐसे तीन प्रेमियों की कथाओं से शुरू होता है, जिन्हें अब भी लगता है कि वे प्रेम कर रहे हैं, लेकिन दरअसल वे कर रहे हैं तानाशाही, कब्ज़ा और क्रूरता। सम्बन्ध उनके लिए एक दलदल बन चुका है, जिससे निकलने को उनकी वह रूह छटपटाती रहती है जिसने कभी सारी दुनिया को छोड़कर प्रेम का वरण किया था; लेकिन जब तक वे अपनी इस छटपटाहट को समझ पाते, एक चौथा प्रेमी कथा में प्रवेश करता है जिसे लगता है कि उससे बड़ा प्रेमी कोई है ही नहीं। यह देशप्रेमी है, देश का बादशाह, जिसे लगता है कि प्रेम बस एक ही होता है—देशप्रेम, बाकी हर प्रेम उसकी राह में बस रुकावट पैदा करता है। असली कथा यहीं से शुरू होती है...
व्यंग्य को उपन्यास के विराट विस्तार में सफलतापूर्वक साधे रखनेवाले ज्ञान चतुर्वेदी का यह सातवाँ उपन्यास है। अपने हर उपन्यास में उन्होंने अपनी कथा-भूमि और कहन-शैली को एक नया आयाम दिया है। वे हर बार आगे बढ़े हैं। बुंदेलखंड की खाँटी खुरदुरी ग्रामीण जमीन से लेकर क़स्बाई और शहरी पृष्ठभूमि तक उनका व्यंग्य लगातार अपनी धार को और-और तेज करता रहा है।
इस उपन्यास में उन्होंने प्रेम जैसे सार्वभौमिक तत्त्व को अपना विषय बनाया है और उसे वहाँ से देखना शुरू किया है जहाँ वह अपने पात्र के लिए ही घातक हो उठता है। वह आत्ममुग्ध प्रेम किसी को नहीं छोड़ता चाहे प्रेमी के लिए प्रेमिका हो, पति के लिए पत्नी हो या शासक के लिए देश।
Thoda Sa Khula Asman
- Author Name:
Ram Kathin Singh
- Book Type:

-
Description:
उपन्यास की कहानी पूर्वी जर्मनी की पृष्ठभूमि पर रची गयी है, जिसकी आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था मार्क्सवादी सिद्धान्तों पर आधारित थी। साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना के प्रयास में दमनकारी नीतियों का पालन हुआ जिससे भय का एक ऐसा वातावरण पैदा हुआ कि लोग डरे-सहमें रहते। गुलामों की तरह जिन्दगी जीते। किन्तु एक दिन जब जन-जन के मन में व्याप्त असन्तोष की आग भभक उठी, तब पूरी व्यवस्था जलकर राख हो गयी। कम्युनिस्ट शासन का अन्त हो गया। लोग स्वतन्त्र हो गये...।
बर्लिन की दीवाल ढहने के बाद मची भगदड़ में हजारों परिवार बिखर गये। आल्फ्रेड की पत्नी का मनोरोग-चिकित्सा-संस्थान पहुँच जाना तथा आजादी की मशाल जलाने वाले जुर्गेन का जहर देकर मार दिया जाना, उस त्रासदी के बस उदाहरण मात्र थे...।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...