Mere Bachche
Author:
Arthur MillerPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
अमेरिका ही नहीं, विश्व के श्रेष्ठ नाट्यकार आर्थर मिलर का नाटक ‘ऑल माइ संस’ एक ऐसी ही कृति है जो एक ओर व्यक्तिगत स्वार्थ एवं संकुचित दृष्टिकोण तथा दूसरी ओर सामाजिक हित एवं सहज मानवीयता के संघर्ष को मूर्त करती है। यह संघर्ष तब और अर्थपूर्ण तथा मार्मिक हो उठता है जब हम इसके एक छोर पर पिता को और दूसरे छोर पर पुत्र को पाते हैं। जिओ केलर सेना के लिए दागी सिलिंडर दे देते हैं जिसके फलस्वरूप 21 पायलट मर जाते हैं। यद्यपि इसके लिए वे पकड़े जाते हैं पर चालाकी से सारा दोष अपने साझीदार के सिर डाल वे मुक्त हो जाते हैं। जब इस तथ्य का उनके पुत्र क्रिस केलर को पता चलता है तो वह अत्यन्त क्षुब्ध होता है; देश के प्रति, देशवासियों के प्रति ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए पिता को जेल ले जाने को तैयार हो जाता है। पिता अपनी भूल स्वीकार करते हैं और अपने को गोली मारकर उस भूल का प्रायश्चित्त करते हैं। विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में लिखे गए इस नाटक का कथानक सार्वभौम महत्त्व का है; ऐसी स्थिति किसी भी देश, किसी भी काल में पाई जा सकती है जब लोभ के कारण, व्यक्ति स्वार्थ के लिए एक व्यक्ति देश एवं समाज का बहुत बड़ा अहित कर बैठता है। हम सही मायनों में लड़ाई की विभीषिका से भले ही न गुज़रे हों, पर आए दिन जनकल्याण के कामों में जो धोखाधड़़ी, लूट-खसोट दिखलाई पड़ती है वह कम बड़ा अपराध नहीं है, उसका ‘ऑल माइ संस’ की घटनाओं से अद् भुत साम्य प्रतीत होता है।
ISBN: 9789360867089
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: विजय तेंडुलकर की मूल मराठी नाट्य कृति ‘अशी पाखरे यती’ का यह हिन्दी अनुवाद अब पूरे देश की नाट्य सम्पदा का महत्त्वपूर्ण अंश है। जहाँ भी रंगमंच जीवन्त है, वहाँ यह नाटक लगातार खेला जा रहा है। कितने ही नगरों में दर्शकों की माँग पर इस नाटक के अनेकानेक प्रदर्शन हुए हैं जो कृति के समग्र प्रभाव का आकलन तो करते ही हैं—लोकरुचि के स्वस्थ परिवार की भी सूचना देते हैं। नाटक में तमाम शिल्पगत विशेषताएँ भरी हुई हैं। सबसे अचरज की बात यह है कि यह नाटक साधारण दर्शक से लेकर सुरुचि सम्पन्न आभिजात्य बौद्धिक वर्ग को भी तीन घंटे तक अपने अन्दर बाँधे रहता है। इस अर्थ में यह कृति सचमुच नाट्य जगत की अभूतपूर्व घटना है—जैसा कि भारतीय पत्र-पत्रिकाओं ने इसके बारे में एक स्वर से घोषणा की है। इस नाटक ने हर स्तर के दर्शकों को बरबस आकर्षित और अभिभूत किया है। अपने भीतर प्रवाहित करुणा की धारा को संपुंजित किए हुए दर्शकों को यह नाटक हँसाता चलता है। यह इस नाटककार की अपनी विशेषता है।
Rangdarshan
- Author Name:
Nemichandra Jain
- Book Type:

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Description:
आधुनिक भारतीय रंगमंच के वैचारिक आधार क्या हैं—उसकी अपार विविधता का फलितार्थ क्या है—उसमें आधुनिकता और परम्परा के बीच कैसी बतकही और आवाजाही होती रही है आदि ऐसे प्रश्न हैं जो आधुनिक भारतीय रंगदृष्टि को विन्यस्त करने और उसे समझने के लिए ज़रूरी हैं। हमारी उत्तर-औपनिवेशिक जहनियत की यह विडम्बना है कि ऐसे प्रश्न अक्सर भारतीय भाषाओं में तीखेपन और बेबाकी के साथ उत्सुकता और जिज्ञासा से प्रेरित होकर उठाए ही नहीं गए। इन प्रश्नों को ज़िम्मेदारी और सयानेपन से उठाने की पहल प्रसिद्ध हिन्दी कवि-आलोचक और रंगसमीक्षक नेमिचन्द्र जैन ने की : ऐसा पहली बार हिन्दी में ही नहीं बल्कि सारी भारतीय भाषाओं में भी पहली बार ही हुआ है। 'रंगदर्शन’ उसी का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जो आज भी भारतीय रंगमंच के आधुनिक दौर को समझने-बूझने में एक अनिवार्य उपकरण बना हुआ है।
‘रंगदर्शन’ में जहाँ एक ओर रंगशाला, नाट्य-प्रशिक्षण, दर्शक-वर्ग, व्यावसायिकता आदि का गम्भीरता से विश्लेषण है, वहीं दूसरी ओर उसमें नाटक का अध्ययन, रचना-प्रक्रिया, नाट्य-रूप और भाषा, परम्परा की प्रासंगिकता, रंगदृष्टि की खोज आदि मुद्दे उठाकर भारतीय रंगालोचना को पुष्ट बौद्धिक ऊर्जा और आभा देने की कोशिश है। यह अकारण नहीं है कि हिन्दी के अलावा बांग्ला, मराठी, अंग्रेज़ी आदि में भी इस पुस्तक को दिशादर्शी और महत्त्वपूर्ण माना गया है।
Swatantroyottar Hindi Natak : Mulya-Sankraman
- Author Name:
Jyotishwar Mishra
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Description:
स्वाधीनता प्राप्ति के बाद हमारे देश में उपजी एक ज्वलन्त समस्या है मानवमूल्य-संक्रमण। डॉ. ज्योतीश्वर मिश्र ने स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटकों में दर्शित इस मूल्य-संक्रमण का गम्भीर और प्रामाणिक विवेचन ग्रन्थ में किया है। इसमें स्वतंत्रता के बाद लिखे गए लगभग सौ नाटकों को उपयुक्त उद्धरणों सहित सन्दर्भित किया गया है। स्पष्ट है कि अध्ययन कुछ इने-गिने चर्चित नाटकों तक ही सीमित नहीं रहा। यह लेखक की श्रमशीलता का तथा ग्रंथ की विवेचन-पद्धति उसकी प्रौढ़ दृष्टि का स्पष्ट परिचय देती है। नाटकों के कथ्य तथा शिल्प पर लेखक द्वारा की गई टिप्पणियाँ बहुत ही सार्थक एवं व्यंजक हैं। ग्रंथ की भाषा विषयवस्तु के सर्वथा अनुरूप, प्रभावशाली तथा प्रवाहपूर्ण है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि साहित्य और समाजशास्त्र दोनों विषयों के अध्येता इस ग्रंथ से बहुत लाभान्वित होंगे।
—प्रोफ़ेसर मोहन अवस्थी
Khamosh ! Adalat Jari Hai
- Author Name:
Vijay Tendulkar
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Description:
प्रसिद्ध मराठी नाटककार विजय तेन्दुलकर ने भारतीय रंगमंच को नाटकों के माध्यम से समकालीन समाज की उन उलझी हुई सच्चाइयों से अवगत कराया जो आधुनिक जीवन की उपज हैं और जिनको काले और सफ़ेद के नैतिक खानों में बाँटकर नहीं समझा जा सकता, बल्कि उनको समझने के लिए हमें आधुनिक व्यक्ति की उन तमाम सीमाओं और उत्कंठाओं को समझना होता है जिनसे वह बरबस बँधा होता है।
अपने अनूठे रचनात्मक साहस के साथ विजय तेन्दुलकर ने रंगमंच जैसी सार्वजनिक विधा के माध्यम से ऐसी अनेक विचलित करनेवाली सच्चाइयों की तरफ़ इशारा किया, जिनको छूने का साहस अक्सर रंगमंच में नहीं हुआ था।
‘ख़ामोश! अदालत जारी है’ उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक है। असंख्य मंचनों, चर्चाओं और फ़िल्मांकनों के चलते अधिकांश लोग इस नाटक से परिचित हैं। नाटक के भीतर चलते इस नाटक की मुख्य पात्र लीला बेनारे की जीवन-कथा जैसे-जैसे खुलती है हमें हमारे आसपास के समाज, उसकी सफ़ेद सतह के नीचे सक्रिय स्याह मर्दाना यौन-कुंठाओं और स्त्री के दमन की कई तहें उजागर होती जाती हैं।
नाटक का सर्वाधिक आकर्षक पहलू इसका फ़ॉर्म माना गया है। एक अदालत के दृश्य में मानव-नियति की विडम्बनाओं के उद्घाटन को जिस प्रकार नाटककार ने साधा है, वह अद्भुत है। यही कारण है कि रंगकर्मी हों, नाट्यालोचक हों या दर्शक—हर किसी के लिए यह नाटक भारतीय रंगमंच के इतिहास में मील का एक पत्थर है।
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