
Jagdamba Babu Gaon Aa Rahe Hai
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
120
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
240 mins
Book Description
चित्रा जी की कलम की पगडंडी चेतना की पगडंडी है। यह केवल उनके ही डग भरने के लिए नहीं है। सैकड़ों, हजारों पाँवों के नीचे भीगी दूब बिछाने के लिए है। उनका कथा साहित्य वादों, नारों एवं आन्दोलनों से अधिक अपने समय और समाज के सच और अन्तर्विरोधों में दुबकती मानवीय संवेदना का रचनात्मक आख्यान है। उनकी रचना दृष्टि में विचारहीनता की परिधि से बाहर निकलने का संकल्प है; पराधीनता को कुचलनेवाली विवेक दृष्टि को जागृत करने का हठ है।</p> <p>साहित्य का सांस्कृतिक कार्यक्षेत्र मनुष्य का मानसिक जगत है। लुकाच की मान्यता है कि साहित्य मनुष्य के विवेक को वाणी देता है। स्वयं लेखिका मुर्दों के गाँव में चेतना की पगडंडी बनना चाहती हैं। उनकी कहानियाँ पढ़ते हुए जो बिम्ब बनते हैं, उनका अन्तर्निहित अर्थ एक प्रकाशपूर्ण क्षण में उद्घाटित होकर ग्रहण होता है। कहानी की प्रकृति जनतांत्रिक होती है और उसका रसास्वादन अनुभवपरक बोध से होता है। चित्रा मुद्गल की कहानियाँ अनुभवपरक बोध से पाठक को कहानी के पुनर्सृजन में लीन कर विविध अर्थों का निर्माण करती हैं। प्रकाशपूर्ण ये क्षण संवेदनाओं के सघन, सार्थक क्षण हैं, जो अनुभव का, संवेदनाओं का विस्तार करते हैं और कहानी एक समग्र प्रभाव को संप्रेषित करती है...</p> <p>मनुष्य जब अपनी क्षुद्रताओं, कमजोरियों और छलावों को स्वीकार करता है तो इस स्वीकार से वह आत्मोन्नयन करता है। गौरतलब है, उनकी कहानियाँ उपदेशात्मक या निर्देशात्मक नहीं, निर्णयात्मक और क्रियात्मक संकल्पों से सम्पन्न हैं।</p> <p>—डॉ. भूपेन्द्र कलसी