
Yugpath
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
106
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
212 mins
Book Description
युगपथ पंत जी की कविताओं का ऐतिहासिक संग्रह इस अर्थ में है कि यह उनकी प्रतिमा के युगान्तरकारी मोड़ को रेखांकित करता है। कल्पना-पंखों पर व्योम में विचरना छोड़कर वह इसमें धरती पर आ उतरते हैं। इसलिए यहाँ ‘पल्लव’ जैसी ‘कोमलकान्त कला’ नहीं, बल्कि ‘एक नवीन क्षेत्र के अपनाने का प्रयास’ है, युग-धर्म के अनुरूप चलने का भाव है। इसी में कवि पहले-पहल पुरातन के प्रति रोष जताते और नूतन का आह्वान करते दिखाई पड़ते हैं।</p> <p>‘युगपथ’ की कविताएँ दो खंडों में विभक्त हैं : ‘युगान्त’ और ‘युगान्तर’। प्रथम खंड की कविताओं में कवि ने जीवन से जुड़ी प्रकृति के गीत गाए हैं और अपनी धरती के प्रति असीम आसक्ति दिखाई है। दूसरा खंड महत्त्वपूर्ण सामयिक सन्दर्भों से सम्बद्ध है। बापू के प्रति कवि की भाव-भीनी श्रद्धांजलि तथा कवीन्द्र रवीन्द्र और अरविन्द के प्रति भावोद्गार इसी खंड में हैं।