Aapatkal Aakhyan : Indira Gandhi Aur Loktantra Ki Agni Pariksha

Aapatkal Aakhyan : Indira Gandhi Aur Loktantra Ki Agni Pariksha

Authors(s):

Gyan Prakash

Language:

Hindi

Pages:

416

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

832 mins

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Book Description

लोकतांत्रिक भारत के इतिहास के सबसे अँधेरे पलों में से एक का प्रभावी और प्रामाणिक अध्ययन, जो हमारे वर्तमान दौर में, लोकतंत्र पर मँडरा रहे वैश्विक संकटों पर भी रौशनी डालता है।</p> <p>—<strong>सुनील खिलनानी</strong><strong>;</strong><strong> </strong>इतिहासकार, राजनीति विज्ञानी &nbsp;</p> <p>एक ऐसे दौर में, जब दुनिया एक बार फिर अधिनायकवाद के ज़लज़लों से रू-ब-रू हो रही है, ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान’ आपातकाल (1975-77) को बेहतर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए हमें इतिहास के उस दौर में ले जाती है, जब भारत ने स्वतंत्रता हासिल की थी। यह किताब इस मिथक को तोड़ती है कि आपातकाल एक ऐसी आकस्मिक परिघटना थी जिसका एकमात्र कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री का सत्तामोह था, इसके बरक्‍स यह तर्क देती है कि आपातकाल के लिए जितनी ज़िम्मेदार इन्दिरा गांधी थीं, उतने ही ज़िम्मेदार भारतीय लोकतंत्र और लोकप्रिय राजनीति के बनते-बिगड़ते नाज़ुक सम्बन्ध भी थे। यह ऐसी परिघटना थी जो भारतीय राजनीति के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुई।</p> <p>ज्ञान प्रकाश आपातकाल के ठीक पहले के वर्षों में घटी घटनाओं का विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए बताते हैं कि लोकतांत्रिक बदलाव के वादे के अधूरे रह जाने ने कैसे राज्य सत्ता और नागरिक अधिकारों के बीच मौजूद नाज़ुक सन्तुलन को हिला दिया था। कैसे उग्र होते असन्तोष ने इन्दिरा गांधी की सत्ता को चुनौती दी और कैसे उन्‍होंने वैध नागरिक अधिकारों को निलम्बित करने के लिए क़ानून को ही अपना हथियार बनाया। जिसने भारत की राजनीतिक व्यवस्था पर कभी न मिटने वाले घाव के निशान छोड़े और निकट भविष्य में जाति और हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीति के लिए द्वार खोल दिये।&nbsp;

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