Rajnaitik Kahaniyan
Author:
VolgaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 48
₹
60
Unavailable
ये कहानियाँ उस राजनीति का पर्दाफ़ाश करती हैं जो भारतीय समाज में स्त्री-शरीर के इर्द-गिर्द बुनी गई हैं। संविधान और क़ानून से लेकर परिवार और व्यक्ति की मानसिकता तक में इस राजनीति के सूत्र गुँथे हैं। लेखिका का मानना है कि शरीर के शोषण से स्त्री को मानसिक रूप से दमित रखना, उसके व्यक्तित्व के विकास को रोककर उसके शरीर को नियंत्रित रखना एक गहरी राजनीति है जो पुरुष-प्रधान समाजों के मूल्यों के साथ गुँथी हुई है। अपना निजी काम समझकर जिसमें स्त्रियाँ अपनी पूरी ऊर्जा उँडेल देती हैं, वे काम दरअसल उनके लिए नहीं होते। समाज की धारणा यह है कि शरीर तथा मन, दो अलग-अलग इकाइयाँ हैं, और वह अवसर के अनुसार कभी मन तो कभी शरीर को अहमियत देने लगता है। लेखिका का कहना है कि हम अपने शरीर से अलग नहीं हैं, अब इस बात को स्पष्ट रूप से कहना अनिवार्य है।
ISBN: 9788171199280
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
60 Ke Bad Ki Kahaniyan
- Author Name:
Vijay Mohan Singh
- Book Type:

- Description: सन् 1965 के सितम्बर महीने में जब यह संकलन पहली बार छपकर आया, तब तक इसमें सम्मिलित 14 कहानीकारों में से किसी का भी कोई कहानी-संग्रह प्रकाशित नहीं हुआ था। सबकी तीन, चार, पाँच कहानियाँ इधर-उधर पत्र-पत्रिकाओं में छपी थीं। इस 'यूथ ब्रिगेड' की संरचना का आइडिया श्री (स्व.) विजयमोहन सिंह के दिमाग़ की उपज था। इसे साकार करने का सारा श्रेय उन्हीं को जाता है! मोटा-मोटी 15 से 20 बिल्कुल नए और लगभग अनछपे कहानीकारों से पत्र-व्यवहार और अनुमति लेकर (और कुछ की अनुमति न मिलने के कारण) उन्होंने हर कहानीकार की दो-दो कहानियों के साथ इस संग्रह की योजना को रूप दिया। आश्चर्यजनक रूप से इन कथाकारों में उन्होंने कुछ ऐसे प्वाइंट्स ढूँढ़ निकाले, जो पूर्ववर्ती कथा-रचना से इन्हें अलग करते थे। वह मुख्य प्वाइंट है—'सम्बन्धों से मोहभंग'। माँ-बाप, भाई-बहन, प्रकृति और मनुष्य-जीवन की आत्मीयता का परिचय और परम्परित संसार इन कहानीकारों की कथा-रचनाओं से लगभग ग़ायब दिखता है। इस संकलन के सभी कथाकारों के वास्तविक जीवन में सबकी माँएँ हैं, पिता हैं, भाई-बहनें हैं, पड़ोस है, सम्पूर्ण जीवन का एक भरा-पूरा संसार है, लेकिन कहानियों में आए पात्रों के जीवन और व्यवहार से उनका रिश्ता एक दार्शनिक खिन्नता का है। प्रेमल रोमांस जैसे ग़ायब है और जीवन की विचित्र-सी हबड़-दबड में एक नीरस-निरर्थक अवाजाही है। क्या यह एक दार्शनिक उपक्रम है जो सामाजिक-पारवारिक-राजनीतिक विच्छिन्नता से उत्पन्न हुआ है या एक विराग और अवसाद की स्थिति है जो आज़ादी के बाद पैदा हुई है? जीवन विराटता का एक समूहीकरण नहीं, बल्कि एक विचित्र-सा बिखराव का संकेत देता है। चुनौतियों का अभाव है और विरासत में मिली और आगे आनेवाली एक घिसट का संकेत है। आज़ादी के बाद उसकी विचित्र क़िस्म की निरर्थकता ही इन कथाकारों को एक नई दुनिया में ला खड़ा करती है। वह दुनिया आज भी जस-की-तस है।
Kotigalu
- Author Name:
Vasudhendra
- Book Type:

- Description: ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಬರೆದ ಸುಲಲಿತ ಪ್ರಬಂಧಗಳ ಸಂಕಲನ-ಕೋತಿಗಳು. ಕತೆ-ಕಾದಂಬರಿಗಳನ್ನು ಪರಿಣಾಮಕಾರಿಯಾಗಿ ಬರೆಯುವ ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಕೋತಿಗಳು ಸಂಕಲನದಲ್ಲಿ ತಾವು ಒಬ್ಬ ಉತ್ತಮ ಪ್ರಬಂಧಕಾರರೂ ಎಂಬುದನ್ನು ನಿರೂಪಿಸಿದ್ದಾರೆ. ವಿಷಯ ವಸ್ತುವಿನ ಆಯ್ಕೆ, ಅದು ನಂತರ ಪಡೆಯುತ್ತಾ ಹೋಗುವ ರೂಪು, ನಿರೂಪಣಾ ಶೈಲಿ, ಸನ್ನಿವೇಶಗಳ ಜೋಡಣೆ ಎಲ್ಲವೂ ಓದುಗರ ಗಮನ ಸೆಳೆಯುತ್ತವೆ.
Pathar Ke Neeche Dabe Hue Hath
- Author Name:
Rajkamal Chaudhary
- Book Type:

-
Description:
राजकमल चौधरी की कहानियाँ परमाणु में पर्वत के समावेश की कहानियाँ हैं, जो मानव-जीवन के अनछुए प्रसंगों से उठाकर लाई गई हैं, जिनमें राजकमल की सारी की सारी कहानी-कला मौजूद है और लगता ऐसा है कि इनमें कोई कला नहीं दिखाई गई है। जनजीवन का सत्य ज्यों का त्यों रख दिया गया है। सच्ची घटनाएँ तो अख़बारी रिपोर्टों में बयान होती हैं, कहानी में घटनाएँ सच की तरह आती हैं। घटनाएँ सच हों, इससे ज़्यादा ज़रूरी है कि वे सच लगें भी। राजकमल की कहानियों की यह ख़ास विशेषता है कि वे सारी घटनाएँ सच हों या न हों, सच लगती अवश्य हैं।
धर्म, साहित्य, नौकरी, व्यापार, फ़िल्म, सामाजिक जीवन-यापन...तमाम क्षेत्रों की विकृतियों का इतनी सूक्ष्मता से यहाँ पर्दाफ़ाश किया गया है कि वे अचानक तार-तार हो जाती हैं। छोटे-छोटे स्वार्थों की पूर्ति, क्षणिक मनोवेगों की पुष्टि के लिए मनुष्य किस सीमा तक गिर सकता है; संन्यासी और सिद्ध योगी और यहाँ तक कि देवता की छवि रखनेवाला भी पल-भर में कैसा जानवर हो जाता है; ख़ूँख़ार जानवर कैसा गऊ हो जाता है; शेर की दहाड़ और आतंक का मालिक पल-भर में कैसे गीदड़, चूहा, केंचुआ, चींटी हो जाता है और रेंगने लगता है—मानव-जीवन की इसी उठा-पटक का एलबम है—राजकमल की कहानियाँ।
Yashpal Ki Sampurn Kahaniyan
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kathavaachak
- Author Name:
Susmita Pathak
- Book Type:

- Description: स्त्रियाँ परिवार और समाज की धुरी होती हैं लेकिन उन स्त्रियों का जीवन कितना कठिन, विपत्तियों से भरा और त्रासद होता है, कितनी अपमानजनक और विकट स्थितियों-परिस्थितियों से वे जूझती और संघर्ष करती हैं, उसका सटीक और सम्यक चित्रण सुस्मिता पाठक की कहानियों में गुम्फित है। अपनी कहानियों में वह स्त्री की दारुण गाथा मात्र नहीं कहती अपितु स्त्री के सपने और संघर्ष को मजबूत स्वर भी देती हैं। इक्कीसवीं सदी में स्त्री-संघर्ष और विमर्श की एक सुपरिचित व्याख्याकार के रूप में मैथिली साहित्य में इनका स्थान सुरक्षित है। अपनी कहानियों में व्यापक जीवनानुभव, नव्यतर कथ्य, उपस्थापन शैली, स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को महीनी से उकेरती, उद्घाटित-उद्भेदित करती सुस्मिता अपने पाठकों को कहानियों से विलग नहीं होने देती हैं। इनकी कहानियों से गुजरते हुए मिथिला के सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज, सुख-दुख, राग-विराग और नेह-छोह का विरल अनुभव मिलता है।
Kahaniyan Rishton Ki : Pita
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

- Description: इनसान के जीवन में जितने सम्बन्ध होते हैं उनमें पिता जैसा विविधरूपी, बहुआयामी और बहुस्तरीय रिश्ता कोई दूसरा नहीं होता है। दूरी और नज़दीकी के जाने कितने शेड्स इस एक रिश्ते में होते हैं। इस संकलन में उन सभी बेहतरीन कहानियों का चयन करने की कोशिश की गई है, जिनसे पिता का सम्बन्ध अपने विविध रूपों में सामने आ सके। इस संकलन की कहानियों को पढ़ते हुए भिन्न-भिन्न दौर के पिता की झलक भी साकार होती है।
Sadi Ka Sabse Bada Admee
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

-
Description:
इस संग्रह में शामिल कहानियों के बारे में स्वयं लेखक का यह कहना कि, ‘ये कहानियाँ आपके पास आ रही हैं—उठने-बैठने के लिए, बोलने-बतियाने के लिए, संग-साथ के लिए'—उतनी ही सार्थक टिप्पणी है जितनी कि ये कहानियाँ। अपनी रचना की जनपक्षीय भूमिका के प्रति आश्वस्त रचनाकार ही ऐसी आत्मीय बात कह सकता है।
समकालीन हिन्दी कथाकारों में काशीनाथ सिंह का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने अपने कथा-पात्रों को न तो उनके सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक विकासक्रम से काटकर प्रस्तुत किया है और न ही रचना पर बौद्धिक या कलात्मक कुहासे की चादर ढकी है। अपने समाज और अपने लोगों से गहरे प्यार और उनकी तमाम ख़ामियों-ख़ूबियों की बेबाक समझ से पैदा हुई ये कहानियाँ हमें अभिभूत कर लेती हैं। साथ ही हम न सिर्फ़ अपने इर्द-गिर्द को बल्कि स्वयं को भी ज़्यादा ईमानदारी से पहचानने लगते हैं।
संक्षेप में कहें तो बातचीत का एक सहज अन्दाज़, जिसमें विषयगत परिवेश और उसके जटिलतर अन्तर्विरोध
उजागर होते चले आते हैं, इन कहानियों की एक ख़ास ख़ूबी है।
Thasak
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

-
Description:
वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया की इन कहानियों में आज का वक़्त अपनी तमाम विडम्बनाओं के साथ मौजूद है। नब्बे के दशक के दौरान और उसके बाद हमारे समाज ने जीवन के जिन नए रूपों को देखा और भोगा, वह उससे पहले हमारे दैनिक अनुभवों का हिस्सा नहीं थे। उदारीकरण आया, और अपने साथ ऐसी अनेक चीज़ें लेकर आया जिनसे हमारा जीने और देखने का तरीक़ा एकदम बदल गया—मोबाइल, इंटरनेट, बैंकिंग की नई-नई पद्धतियों, एटीएम, मल्टीप्लेक्स, मनोरंजन की चारों दिशाओं में पसरे नए-नए साधन और इन सबका बिना किसी हिचक सुख भोगने के लिए ज़रूरी निश्चिन्तता।
इन कहानियों में ममता कालिया ने बिलकुल इसी दौर में जन्मे नए कथाकार जैसी ताज़गी और सहजता के साथ इन सब चीज़ों से बनते नए वक़्त और नए नागरिक के चित्र खींचे हैं। और यह सुनी-पढ़ी सूचनाओं के नहीं, प्राथमिक और आँखों देखे अनुभवों के चित्र हैं। मशीनी सुगमता में बीतते जीवन ने अपने को इन कहानियों में इतने स्पष्ट रूप में रेखांकित किया है कि ममता जी की भाषा और कहन के प्रवाह में डूबा पाठक भी, उन्हें महसूस करने से नहीं बच पाता। यही इन कहानियों को लगभग इन्हीं विषयों पर लिखी जा रही अनेक कहानियों से विशिष्ट बनाता है।
Pratinidhi Kahaniyan : Suryabala
- Author Name:
Suryabala
- Book Type:

- Description: सूर्यबाला सहज लेकिन बहुस्तरीय अभिव्यक्ति की कथाकार हैं। उनके पात्र अपने जीवन को जीते हुए उन सच्चाइयों को बयान कर जाते हैं जिन्हें विचारों और शिल्प-चातुर्य से बोझिल कथाएँ अकसर नहीं कर पातीं। उनका रचना-संकल्प अपने परिवेश और उसमें रची-बसी सहज मानवीय जिजीविषा के आलोड़नों से उठता है; इसलिए वे ऐसी कहानियाँ रच पाती हैं जिन्हें हर पाठक अपनी संवेदना की गहराई के साथ पढ़ सकता है, उनमें अपने किसी न किसी भाव-पक्ष का बिम्ब देख सकता है। कथा-कथन की पारम्परिक प्रवाहमयता को बरकरार रखते हुए वे उसे आधुनिक जीवन-संघर्षों की सहज वाहक बना देती हैं। पठनीयता जिसकी सबसे बड़ी उपलब्धि होती है, जिसके चलते पाठक कब भीतर से बदलना शुरू हो जाता है, पता ही नहीं चलता। भाव-प्रवण स्थितियों को वे ऐसे तटस्थ कौशल से चित्रित करती हैं कि पाठक-मन में होनेवाला करुणा का उद्रेक निरर्थक सहानुभूति की तरफ नहीं, यथार्थ की विडम्बना के प्रति प्रतिकार और अस्वीकार की ओर मुड़ जाता है। वे किसी आन्दोलन की अनुयायी नहीं रहीं, उनके विमर्श का आधार उनका अपना सरोकार बोध है, जो उन्हें अपने वृत्त के बाहर से जुटाए गए आग्रहों की कृत्रिमता से भी बचाता है।
Prem
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: Book
Konkani Kathavali
- Author Name:
S.M. Krishna Rao
- Rating:
- Book Type:

- Description: Konkani Kathavali
Kahaniyan Rishton Ki : Dada-Dadi, Nana-Nani
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

- Description: दादा-दादी, नाना-नानी बच्चों के लिए एक गहरी शीतल छाँह की तरह होते हैं। ये रिश्ते केवल पीढ़ियों का संवाद नहीं, भावनात्मक मूल्यों का विस्तार हैं। इन रिश्तों की कहानियाँ ऐसे समाज में सम्भव नहीं जहाँ बूढ़ा-बूढ़ी ओल्ड एज होम में मृत्यु का इन्तज़ार करते हों; और कामकाजी पति-पत्नी के बच्चों का अधिकांश समय चाइल्ड केयर सेंटर में गुज़रता हो। आज जब एकल परिवार की भी सीमाएँ उजागर हो चुकी हैं, तब इन रिश्तों के मर्म को समझने की ज़रूरत ज़्यादा शिद्दत से महसूस हो रही है। इस संकलन की ख़ास चुनिन्दा कहानियों को पढ़ना बचपन के वैभव और अभाव दोनों को समझने का अवसर देगा।
Janane ki Batein (Vol. 1)
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Dastangoi - 1
- Author Name:
Mohammad Kazim +1
- Book Type:

- Description: दास्तान ज़बानी बयानिया है जिसे पेश करनेवाले दास्तानगो ज़बान, बयान, शायरी और क़िस्त के माहिर होते थे। दास्तानें बहुत-सी सुनाई गईं पर इनमें सबसे मशहूर हुई दास्ताने अमीर हमज़ा जिसमें हजरत मोहम्मद सः के चचा अमीर हमज़ा की ज़िन्दगी और उनके शानदार कारनामों को बयान किया जाता है। 18वीं और 19वीं सदी में जब ये दास्तान उर्दू में मक़बूल हुई तो इससे अदब और पेशकश का बेहतरीन मेल पैदा हुआ और इसमें कई ऐसी बातों का इज़ाफ़ा हुआ जो ख़ालिस हिन्दुस्तानी मिज़ाज की थीं। मसलन, तिलिस्म और अय्यारी जो बाद में दास्तानगोई का सबसे अहम हिस्सा साबित हुईं। बेशुमार क़िस्म के जानदार, सय्यारे सल्तनतें, तिलिस्म, जादूगर, देव, अय्यार, और अय्याराएँ जैसे किरदारों पर ‘मुश्तमिल दास्ताने-अमीर हमज़ा’ आख़िरकार 46 जख़ीम जिल्दों में पूरी होकर छपी और उर्दू अदब और हिन्दुस्तानी फनूने लतीफ़ा का मेराज साबित हुई। दास्तानगोई का फ़न ज़बानी और तहरीरी दोनों शक़्लों में जिस वक़्त अपने उरूज पर पहुँचा तक़रीबन उसी वक़्त नए मिज़ाज और नए मीडिया की आमद के साथ बड़ी तेज़ी से इसका जवाल भी हुआ। आख़िरी दास्तानगो मीर बाक़र अली का इन्तकाल 1928 में हुआ और इसके साथ ही ये अजमी रवायत नापैद हो गई।
Pratinidhi Kahaniyan : Akhilesh
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

- Description: अखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं...ग़ज़ब का बतरस है उनमें। वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती हैं। अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरह की सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है)। यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ ज़बर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं ओढ़ती हैं। पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी होंठों पर आने को होती है। क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं और ही फँसकर रह जाए...। इन कहानियों की एक और ख़ूबी यह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलतीं, बल्कि ख़ुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं। वे ख़ुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा-पटक को अपने अखिलेशियन अन्दाज़ में सामने लाते हुए। क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज़! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते, बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं। उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख नहीं है, बल्कि चुहल-भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है।
Mansarovar Vol. 8 : Guptdhan Aur Anya Kahaniyan
- Author Name:
Premchand
- Rating:
- Book Type:

- Description: प्रेमचन्द मनुष्य और मानवीय स्थितियों में दिलचस्पी रखते थे।... प्रेमचन्द के लिए मनुष्य की स्थिति ही समाज की स्थिति थी। उनकी कहानियों में मनुष्य को स्वयं में सम्पूर्ण इकाई के रूप में शायद ही कहीं प्रस्तुत किया गया हो। मनुष्य के अन्तर्मन की उथल-पुथल और दुविधाएँ हमेशा समाज और आस-पास के माहौल से जुड़ी होती हैं। यहाँ तक कि पारिवारिक सम्बन्धों को भी सामाजिक तर्कों से प्रभावित होता दिखाया गया है। उनका गहरा सामाजिक निरीक्षण उनकी कहानियों में झलकता है जिनमें उन्होंने हर 'प्रकार' के इनसानों को और लगभग हर व्यवसाय को शामिल किया है। विश्वनाथ एस. नरवणे
Sampurna Kahaniyan : Mridula Garg
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

-
Description:
मृदुला गर्ग ने लगभग आधी सदी से अपनी निरंतर ऊर्जस्वित रचनात्मकता के कारण, हिन्दी कथा-साहित्य में अनोखा मुक़ाम हासिल किया है। जीवन के किसी एक पहलू तक ही सीमित रहने के बजाय उन्होंने कथ्य और शिल्प दोनों में लगातार नवोन्मेष किए हैं। ये नवोन्मेष सायास साधी गई और प्रदर्शनप्रिय चमत्कारिकता के रूप में नहीं हैं। ये तो सहज विकास के तौर उनके विषयों के चुनाव और निर्वाह में रच-बस गए हैं। आरंभिक दौर में लिखी गई कितनी क़ैदें और 2014 में लिखी गई सितम के फ़नकार को साथ-साथ पढ़ने से यह बात स्पष्ट हो जाती है।
स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर केन्द्रित कहानियाँ हों या अन्य सम्बन्धों और सरोकारों पर केन्द्रित; मृदुला गर्ग की कहानियों में मन के भीतर और बाहर का संवाद निरंतर लक्ष्य किया जा सकता है। उनकी बहुचर्चित बोल्डनेस केवल स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की जटिलता के अनुसंधान तक सीमित नहीं, बल्कि “अपनी मौत के लिए वक़्त और जगह ख़ुद चुनने” तक व्याप्त है। उनकी कहानियों में जीवन का उत्सव है तो इसकी अनिवार्य परिणति का सहज स्वीकार भी। किसी एक पल में किए गए छोटे से काम के अप्रत्याशित रूप से विडंबनापूर्ण परिणामों की पुनर्रचना है तो बदलते सामाजिक पर्यावरण की परिणतियों का अनुसंधान भी।
मृदुला गर्ग की कहानियों में भौगोलिक विस्तार, वर्गीय विविधता और तरह-तरह के पात्रों से मुखामुखम तो है ही कहानी के लिए चुने गए विषयों, पात्रों और स्थितियों और उन्हें कहने के ढंग में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष भी हैं। ऐसे नवोन्मेष सघन संवेदना, सूक्ष्म विडम्बना बोध और प्रखर विचारशीलता के ही कारण सम्भव हो पाते हैं। अनोखी बात यह कि इन विशेषताओं का अहसास पाठक के मन में लगभग नामालूम सहजता के साथ उतरता चला जाता है।
हिन्दी कथा-संसार को समृद्ध करने वाला यह अनोखापन ही मृदुला गर्ग के लेखन की विशिष्ट पहचान है।
—पुरुषोत्तम अग्रवाल
Raftar
- Author Name:
Doorva Sahay
- Book Type:

-
Description:
आस-पास की बहुत परिचित-सी दुनिया को लेकर दूर्वा सहाय ने बेहद संवेदनशील कहानियाँ लिखी हैं। स्थितियों की जटिल नाटकीयता को पकड़ने की गहरी दृष्टि, जानी-पहचानी स्थितियों को पाठक के लिए एकदम नया बना देती है। इन कहानियों से गुजरना निहायत निजी दुनिया को नई दृष्टि से देखना है। मौसम, रफ्तार, डर, जिरह, रिमोट कंट्रोल या संग्रह की हर कहानी अपने चरित्रों, उनके अन्तर्द्वन्द्वों के कारण बहुत समय तक हमारी संवेदना का हिस्सा बनी रहती हैं।
दूर्वा उन जगहों पर ‘कहानी’ खोज निकालती हैं जहाँ उनकी बारीक दृष्टि, स्थितियों को आत्मीय क्षण में बदलने की कला बन जाती है। रफ्तार संग्रह साफ-सुथरे गद्य की चित्रात्मक अनुगूँजों को पाठक की चेतना का अन्तरंग बनाता है। ये उस बेचैन नारी की निजी अन्तर्द्वन्द्वों की कहानियाँ भी हैं जो दी हुई परिधियों को समझना और उनके पार जाना चाहती है...एक निःशब्द प्रतिरोध की धीमी रफ्तार के साथ, जहाँ हर स्त्री एक रिमोट कंट्रोल से बँधी है। दूर्वा सहाय का यह संग्रह नई सदी की नारी-चेतना का दस्तावेज है।
Woh Duniya
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी
है।‘वो दुनिया!’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘संन्यासी’, ‘दो मुँह की बात’, ‘बड़े दिन का उपहार’, ‘दूसरी नाक’, ‘मोटरवाली-कोयलेवाली’, ‘तूफान का दैत्य’, ‘कुत्ते की पूँछ’, ‘शिकायत’; ‘गुडबाई’, ‘दर्दे-दिल!’, ‘जहाँ हसद नहीं’, ‘नई दुनिया और वो दुनिया’।
Photoframe Mein Kaid Hansi
- Author Name:
Suman Bajpai
- Book Type:

- Description: मन के भीतर न जाने कितनी परतें होती हैं, जिन्हें स्त्री कभी छीलकर अलग कर देती है तो कभी फिर से कई और परतों में ढककर छिपा देती है। लेकिन इस दौरान वह पीड़ा के सागर में लगातार गोते लगाती रहती है। इसके बावजूद वह हर बार किनारे पर आ खड़ी होती है। स्त्री का संघर्ष ही तो है जो उसे टूटने से बचाता है। परिस्थितियाँ कई बार अवरोध बनकर उसके सामने आ खड़ी होती हैं, तब बेशक पहाड़ों-सी दृढ़ता उसमें न आ पाए, गगनचुंबी चोटियों की तरह वह सतर्क रहती है, हर बाधा को पार करने के लिए। वह हारती नहीं है, वह बस निरंतर एक नदी की तरह प्रवाहमान होती रहती है। यह स्त्री पुरुष विरोधी नहीं है, पर अपने हक़ के लिए लड़ना जानती है। स्त्री से हर रिश्ते में एक अहम भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है क्योंकि पुरुष जानता है कि वही ऐसा कर सकती है और सच में, वह ऐसा करने में सफल होती भी रही है। स्त्री जीवन के विविध पहलुओं पर केंद्रित इन कहानियों में अगर कोई उलझन है तो उसका समाधान भी है। कुछ अछूते विषयों को उजागर और स्त्री की सोच को निरूपित करती हैं इस संग्रह की कहानियाँ।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...