
Paise Se Parmatma Ki Or
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
175
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
350 mins
Book Description
“पैसे का सर्वोत्तम संस्कारित समान्तर लक्ष्मी है। लक्ष्मी का उद्देश्य है नारायण को वरण करना। यदि कोई नर<strong>, </strong>नारायण के गुणों को अपनाकर स्वयं नारायण बन जाता है तो सोने में सुहागा वाली बात चरितार्थ होती है<strong>, </strong>और अगर आप किसी कारणवश नारायण नहीं बन सकते हैं तो आप उनके घर जाकर उनका दर्शन कीजिए<strong>, </strong>उनसे मिलिए<strong>, </strong>उनका आशीर्वाद लीजिए। मैंने लक्ष्मी और नारायण दोनों का आवास बता दिया है। यह आपकी मर्ज़ी है<strong>, </strong>आप उनसे मिलना चाहते हैं अथवा नहीं।”</p> <p>उपरोक्त कथन लेखक के हैं। यह पुस्तक सीधे तौर पर यह बताती है कि इस जीवन में रहकर भी आप परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं<strong>, </strong>आप जैसा जीवन जी रहे हैं<strong>,</strong> उसमें सन्तोष और आमदनी के स्रोत पैदा कीजिए। यह स्रोत ईमानदारी और मेहनत का होना चाहिए। आपको परमात्मा की अवश्य ही प्राप्ति होगी।</p> <p>निस्सन्देह<strong>, </strong>जीवन-प्रबन्धन की एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पुस्तक है <strong>‘</strong>पैसे से परमात्मा की ओर<strong>’</strong>।