
Kabeer Granthawali
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
304
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
608 mins
Book Description
प्रस्तुत संस्करण ‘कबीर ग्रंथावली’ में कबीरदास के जो दोहे और पद सम्मिलित किए गए हैं, उन्हें आजकल की प्रचलित परिपाटी के अनुसार खराद पर चढ़ाकर सुडौल, सुन्दर और पिंगल के नियमों से शुद्ध बनाने का कोई उद्योग नहीं किया गया, वरन् उद्देश्य यही रहा है कि हस्तलिखित प्रतियों या ग्रन्थसाहब में जो पाठ मिलता है, वही ज्यों-का-त्यों प्रकाशित कर दिया जाए।</p> <p>कबीरदास के पूर्व के किसी भक्त की वाणी नहीं मिलती। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वीरगाथा काल की समाप्ति पर मध्यकाल का आरम्भ कबीरदास जी से होता है, अतएव इस काल के वे आदिकवि हैं। उस समय भाषा का रूप परिमार्जित और संस्कृत नहीं हुआ था। कबीरदास स्वयं पढ़े-लिखे नहीं थे। उन्होंने जो कुछ कहा है, वह अपनी प्रतिभा तथा भावुकता के वशीभूत होकर कहा है। उनमें कवित्व उतना नहीं था जितनी भक्ति और भावुकता थी। उनकी अटपट वाणी हृदय में चुभनेवाली है। अतएव उसे ज्यों का त्यों प्रकाशित कर देना ही उचित जान पड़ा और यही किया भी गया है।</p> <p>आशा है, पुस्तक विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा पाठकों का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी।