Pakistani Urdu Shayari - Vol. 5
Author:
Narendra NathPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
साहित्य सरहदों से ऊपर होता है, कविता सीमाओं की नहीं, इनसानियत के समूचे वजूद की बात करती है, जो तमाम बँटवारों के ऊपर है और एक है।</p>
<p>‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ शीर्षक यह शृंखला भारत और पाकिस्तान के उस साझा दिल को रौशन करती है जो लहूलुहान सरहदों के बावजूद दोनों तरफ़ एक साथ, एक ही तरह धड़कता है, उन गलियों, मुहल्लों, खेतों और पगडंडियों का नक़्शा दिखाती है जिनके रंग-ढंग को बँटवारा नहीं बदल सका, उस विरसे की याद दिलाती है, जो तमाम राजनीतिक हठधर्मियों के बावजूद अब भी एक है।</p>
<p>इस शृंखला का उद्देश्य पाकिस्तान के उन अनेक शायरों से हिन्दी पाठक का परिचय कराना भी है जिन्हें हम नहीं जानते। वे लोग जो इंडो-पाक मुशायरों और कल्चरल डेलीगेशनों का हिस्सा नहीं होते, लेकिन जिन्होंने कहने के फ़न को तराशा है और तमाम ख़तरों के सामने अपनी बात कहने की हिम्मत दिखाई है।</p>
<p>इन शायरों और उनके कलाम को हिन्दी पाठकों तक पहुँचाने के लिए सम्पादकों ने न सिर्फ़ वहाँ के पुस्तकालयों और किताबघरों की ख़ाक छानी है, बल्कि नए-पुराने रिसालों और अख़बारों की फ़ाइलें भी पलटी हैं, और शायरों से ख़तो-किताबत भी की है।</p>
<p>‘पाकिस्तानी उर्दू शायरी’ का यह पाँचवाँ खंड इस शृंखला की नई कड़ी है, जिसमें बारह शायरों की रचनाएँ परिचय के साथ शामिल हैं।
ISBN: 9788119989249
Pages: 265
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: “तुलसीदास में स्वाधीनता की भावना का पूर्ण प्रस्फुटन हुआ है। भारत के सांस्कृतिक सूर्य के अस्त होने पर देश में किस तरह अन्धकार छाया हुआ है, इसका मार्मिक चित्रण करते हुए निराला ने दिखलाया है कि किस प्रकार एक कवि इस अन्धकार को दूर करने की चेष्टा करता है। तुलसीदास के रूप में निराला ने आधुनिक कवि के स्वाधीनता-सम्बन्धी भावों के उद्गम और विकास का चित्रण किया है। छायावादी कवि की तरह निराला के तुलसीदास को भी देश की पराधीनता का बोध प्रकृति की पाठशाला में ही होता है; किन्तु छायावादी कवि की तरह वे भी कुछ दिनों के लिए नारी-मोह में पड़कर उस भाव को भूल जाते हैं। अन्त में जो ज्ञान प्रकृति की पाठशाला में मिला था, उसका दीक्षांत भाषण उसी नारी के विश्वविद्यालय में सुनने को मिलता है, और भविष्यवाणी होती है कि : देश-काल के शर से बिंधकर यह जागा कवि अशेष छविधर इसके स्वर से भारती मुखर होंगी। इस तरह हिन्दी जाति के सबसे बड़े जातीय कवि की जीवन-कथा के द्वारा निराला ने अपनी समसामयिक परिस्थितियों में रास्ता निकालने का संकेत दिया है।” —नामवर सिंह
Dunia Jaisi Maine Dekhi
- Author Name:
Jagdish Prasad Agrawal
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Description:
डॉ. जगदीश अग्रवाल प्रवासी भारतीय संघ से जुड़े हैं। विदेशों में रह रहे भारतीय के भीतर भी यहाँ के तीज-त्योहार, यहाँ के संस्कार, यहाँ के रीति-रिवाज, यहाँ का मौसम, पेड़-पौधे, पक्षी जीवित रहते हैं। विदेशों में बसने के बाद भी रिश्तों की नफ़ासत, रिश्तों के प्रति प्रतिबद्धताएँ बदल नहीं पातीं! कह सकते हैं कि प्रवासी भारतीय विदेशी सरज़मीं पर भारतीयता को जीवित रखने की कला को विकसित करते हैं। कभी यह भारतीयता कविता के रूप में सामने आती है तो कभी कहानी और उपन्यासों के रूप में।
डॉ. जगदीश अग्रवाल का यह कविता-संग्रह एक प्रवासी भारतीय की ऐसी ही भावनाओं को समर्पित है। इसका प्रकाशन एक तरह से प्रवासी भारतीयों को जोड़ने का भी प्रयास है—ऐसे भारतीयों को, जो किसी न किसी रूप में साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े हैं।
Sirf Kavi Nahi
- Author Name:
Bodhisatwa
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- Description: समकालीन हिन्दी कविता के उपादान आज कुछ इतने सरल हो गये हैं कि ‘कोई कवि बन जाय, सहज सम्भाव्य है।’ कविता के इस संकट में ऊपरी तौर पर अच्छी कविताएँ लिख लेना कठिन नहीं है। लेकिन ऐसी कविता जो एक ‘नयी शुरुआत’ करे, जो अचानक ‘ताज़गी के एक अनहोनेपन’ से पाठक को अपने अनुरूप ढाल ले, ऐसी कविता कहीं नहीं दिखती। ‘ताज़गी (वस्तु और शिल्प) के इसी अनहोनेपन’ के अनुभव को व्यक्त करती हैं बोधिसत्व की कविताएँ। बोधिसत्व की कविताएँ कविता की एक नयी भाषा की खोज में पैदा हुई हैं। गढ़ी हुई, उपलब्ध काव्य-भाषा के नकार और गैरपहचान से बोधिसत्व की काव्य-भाषा का निर्माण हुआ है। नये ढंग की अछूती बिम्ब-मालाओं के माध्यम से यह कवि अपनी बात कहता है। ऐसे शब्दों का प्रयोग कवि करता है जो हमारी संस्कृति के अछूते कोनों से आकर सहसा कविता में एक बिल्कुल नये सांस्कृतिक व्यक्तित्व की रचना करते हैं। इस तरह बोधिसत्व की कविताएँ ‘कविता के एक नये संसार को जन्म देती हैं। निपट भोलेपन के बीच एक तार्किक और जनोन्मुखी अन्तर्दृष्टि सम्पन्न ये कविताएँ अपनी विविधता में एक अद्भुत ‘कोलाज़’ की रचना करती हैं।
Rashmi Lok : Dinkar Granthmala
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
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Description:
हमारे क्रान्ति-युग का सम्पूर्ण प्रतिनिधित्व कविता में इस समय दिनकर कर रहा है। क्रान्तिवादी को जिन-जिन हृदय-मंथनों से गुज़रना होता है, दिनकर की कविता उनकी सच्ची तस्वीर रखती है।
—रामवृक्ष बेनीपुरी
दिनकर जी सचमुच ही अपने समय के सूर्य की तरह तपे। मैंने स्वयं उस सूर्य का मध्याह्न भी देखा है और अस्ताचल भी। वे सौन्दर्य के उपासक और प्रेम के पुजारी भी थे। उन्होंने ‘संस्कृति के चार अध्याय' नामक विशाल ग्रन्थ लिखा है, जिसे पं. जवाहरलाल नेहरू ने उसकी भूमिका लिखकर गौरवान्वित किया था। दिनकर बीसवीं शताब्दी के मध्य की एक तेजस्वी विभूति थे।
—नामवर सिंह
उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्त्वों पर बल, उनका सात्त्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है।
—अज्ञेय
YOON DARD KA AHSAS HOTA HAI
- Author Name:
Dr. Sanjeev Kumar Verma
- Book Type:

- Description: collection of ghazals
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