Rekhta ke Insha
Author:
Inshallah Khan InshaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 199.2
₹
249
Available
"रेख़्ता क्लासिक्स" सीरीज़ उर्दू के क्लासिकी शायरों के प्रतिनिधि शायरी को नए पाठकों तक पहुँचाने के एक अनूठा प्रयास है। प्रस्तुत किताब में इंशाअल्लाह इंशा की प्रतिनिधि शायरी है जिसका संकलन फ़रहत एहसास साहब ने किया है।
ISBN: 9788194876953
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इतने सारे काम एक साथ कर डालती है बिना थके, बिना हार माने। कितना जोखिम-भरा रहा होगा उसके लिए कारागार में जाकर अपनी फ़िल्म 'बलात्कार' या 'रेप' की शूटिंग करना—औरत पर हुए ज़ुल्मों को बयान करना। परन्तु वह मगन है अपनी तपश्चर्या में, दीवानगी में, फक्कड़पन में, बिना मेहनत-मशक्कत किए जी नहीं पाती...अपना बहुमूल्य ज्ञान बाँटने में जुटी है। और उसके लिए वह जाने कहाँ-कहाँ से जाती है, बेझिझक यह कविता संग्रह ‘मेरी ज़मीन मेरा आसमान’ ही आख़िरी मंज़िल नहीं है उसकी, लवलीन के पास अभी भी ढेर सारे अनगाए गीत हैं…नज़्में हैं। प्रेम में पागल होकर पद्य गाए जाते हैं और दीवानगी में जिया जाता है—उसकी बेचैन रूह उसे जीने कहाँ देती है! चाहे वह जितना कहे—“मैं पौधे को पानी देती गई और प्यास मेरी बुझती गई।” वैसा होता कहाँ है! अभी यहाँ है, कल उसकी प्यासी आत्मा किसी पहाड़ की अँधेरी गुफ़ा में कुछ नया तलाशती मिल जाएगी आपको। परन्तु एक उसी क्षण उसका चेहरा आत्मसन्तुष्टि से भरा चमचमाता है, जब वह अपने बच्चों का नाम लेती है—वेदान्त और कर्मण्ये, जैसे नाम नहीं ले रही, मंत्रोच्चारण कर रही है। ज़िन्दगी के हर पहलू को लवलीन भरपूर जीती है—पूरी सच्चाई और शिद्दत के साथ। –डॉ. कुसुम अं
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Description:
‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूँ’ कवि आशुतोष अग्निहोत्री का चौथा कविता-संग्रह है। इस कविता-पुस्तक में उन्होंने अपनी जिन कविताओं को प्रस्तुत किया है, वे एक सजग, संवेदनशील और संवादधर्मी सामाजिक मनुष्य के सम्पूर्ण संसार को प्रतिबिम्बित करती है। प्रकृति, ईश्वर, समाज, परिवार और देश ने कवि को जो दिया, यह संकलन उसका कृतज्ञता ज्ञापन है, कोई भी पाठक जिसे पढ़ते हुए अपने ही भावोद्गार समझेगा।
‘स्नेह’, ‘प्रेम’, ‘धर्म’, ‘देश’, ‘दर्शन’ और ‘प्रेरणा’—इन छह उपशीर्षकों के तहत कवि ने यहाँ उन तमाम स्रोतों को अपने भाव समर्पित किए हैं जो मनुष्य मात्र के जीवन का आधार हैं, जहाँ से वह जीने की, सिरजने की, आगे बढ़ने और स्वयं को सार्थक करने की प्रेरणा ग्रहण करता है।
ये कविताएँ हमें हमारी उन अनुभूतियों को व्यक्त करने का बहाना बनती हैं, जिन्हें हम अपने भीतर तो रखते हैं लेकिन उचित शब्दावली और सम्यक लय के साथ व्यक्त नहीं कर पाते। इसीलिए ये कविताएँ सबकी हैं—उनकी भी जो काव्य-आस्वाद के अनुभवी लोग हैं, और उनकी भी जो पहली बार इन्हें पढ़ेंगे, और सदैव के लिए अपने अन्तस में सँजो लेंगे। एक भाव सम्पन्न कविता-संग्रह जिसकी कविताओं का पाठ आप अपनों के बीच बैठकर बार-बार करना चाहेंगे।
Faded Lights
- Author Name:
Utkarsha Gandhe
- Rating:
- Book Type:

- Description: The soul is a radiance that brings about the glory to you and makes you explore every juncture with abundance. The journey of life is always beautified along the different shades. They are a resplendence, which is glorified with the language of delicate poetic threads. Faded Lights is such a mesmerizing and sensational compilation of poetry which can make you dwell in the shades of life with some amazing poems. Set out in this world and get connected with the mystical!
Chalte Rahe Raat Bhar
- Author Name:
Rakesh Mishra
- Book Type:

- Description: राकेश मिश्र की कविताएँ दैनिक जीवन में प्रयुक्त साधारण बिम्बों के द्वारा मानवीय संघर्ष की तस्वीरें खींचती हैं। कविता की छोटी-छोटी पंक्तियों में वे सामाजिक विसंगतियों एवं निरावृत सत्य का एक पूरा परिदृश्य अंकित करते हैं। इस दृष्टि से 'रोटियाँ’ शीर्षक कविता विशेष रूप से चिन्तनीय बन पड़ी है—'बाँध दो/सूखी रोटियाँ/कँटीले तारों से/पोत दो/मक्खन/सूखी रोटियाँ/नंगी हों/तो/दस्तावेज़ होती हैं/हमारी बेईमान आदमीयत की’। इस तरह मिश्र जी मनुष्य के मूलभूत संघर्ष, दु:ख-दर्द और उसकी नियति की सही पहचान रखते हैं। वे अपने आस-पास की सारी जानी हुई चीज़ों को बिलकुल साफ़-सुथरे और विश्वसनीय ढंग से व्यंजित करते हैं। इस ढंग की कविताओं में 'नारे’, 'चुप होती आवाज़’, 'हेलीकॉप्टर’, 'कंक्रीट की दीवारें’, 'आख़िर कब तक’, 'उदास बच्चे’, 'चलते रहे रात-भर’, 'कृष्ण विवर’, 'तस्वीर’, 'चौराहा’, 'शहर में रातें’, 'खिलारी’, 'गुरुजी’, 'शहर’, 'भूख’ तथा 'वह लड़की’ का समावेश किया जा सकता है। इससे यह माना जा सकता है कि मिश्र जी के लिए कविता सिर्फ़ कला-यात्रा नहीं है। वह सामाजिक दायित्वों को सजगता के साथ सम्पादित करने की विधा है। —पुरोवाक् से
Humanist Social Vision of a Jungle Poet
- Author Name:
Kuvempu +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: This book carries 51 poems of Kuvempu in translation with a long introduction to give the pan India audience an understanding of Kuvempu's major concerns. Prof Raghunath has made his choice carefully to represent Kuvempu's social concern, and that seems to be at the heart of his introductory piece.
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