Saptaparna
Author:
Mahadevi VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
मनुष्य की स्थूल पार्थिव सत्ता उसकी रंग-रूपमयी आकृति में व्यक्त होती है। उसके बौद्धिक संगठन से जीवन और जगत सम्बन्धी अनेक जिज्ञासाओं, उनके तत्त्व के शोध और समाधान के प्रयास, चिन्तन की दिशा आदि संचालित और संयमित होते हैं! उसकी रागात्मक वृत्तियों का संघात उसके सौन्दर्य-संवेदन, जीवन और जगत के प्रति आकर्षण-विकर्षण, उन्हें अनुकूल और मधुर बनाने की इच्छा, उसे अन्य मानवों की इच्छा से सम्पृक्त कर अधिक विस्तार देने की कामना और उसकी कर्म-परिणति आदि का सर्जक है।
ISBN: 9788180313400
Pages: 190
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: लब खुले, बाँहें फैलीं,खामोशी को तोड़ते शब्द और अहर्निश नदी की तरह बहते विचार एवं उनके समुच्चय का नाम है‘समर गाथा’। यह सिर्फ एक विचार पर कदमताल करते स्वरों का कलरव नहीं, बल्कि अलग-अलगसमय में उपजे विचारों का संकलन है। यह ताली-बजाऊ संस्कृति के विरुद्ध सघन और विवेकउद्वेलन का आवश्यक जनमार्ग है। यह सिर्फ विभिन्न दिनों में लिखे गए पत्रकारीय आग्रहभर नहीं है, इसमें सच और अनुभव को व्यक्त करने का जरूरी सामर्थ्य भी है। इसमें गहराईऔर संश्लिष्टता है, बोधगम्यता है। यह वह केंद्रीभूतधारणा है, जिसने ‘समर गाथा’ को पुस्तकाकार लेने में मेरी मदद की। मुरली, घर-आँगन, वन-उपवन,मन-तन की नहीं, जीवन की अहर्निश गूँज का नाम है ‘समर गाथा’। आप भिज्ञ हैं कि प्राणका रूपांतर भाषा है, इसमें प्रवाह है, स्पर्श है। प्रवाह है, इसलिए गति है, स्पर्शहै, इसीलिए संवाद भी है। मैंने जब-जब इन आलेखों को पढ़ा, इसमें तैरता रहा। मुझे लगाकि इसमें सामयिक दृष्टिबोध है, कहन है, कहन में जरूरी घनत्व है, फिर भी बहाव है; जैसेसभी नदियाँ सरस्वती हैं और सभी पहाड़ पुण्य। यह पुस्तक आपको अपनेदृष्टिकोण का विकास करने में मदद करेगी। कृपा करेंगे कि इसके पात्रों को हिंदू-मुसलमानके चश्मे से नहीं, क्रांतिकारी के रूप में देखेंगे तो समय और समाज को समझने में मददमिलेगी। —डॉ. पियूष जैनराष्ट्रीय सचिव, पैफ
Raho Tum Nakshatra Ki Tarah
- Author Name:
Monalisa Zena
- Book Type:

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Description:
‘भारतीय भाषाओं की विचार-सम्पदा, सृजन-सम्पदा, कला-चिन्तन आदि हिन्दी में लगातार प्रस्तुत करना रज़ा पुस्तक माला का एक ज़रूरी हिस्सा है। सौभाग्य से हिन्दी में दूसरी भाषाओं के प्रति खुलेपन और ग्रहणशीलता की लम्बी परम्परा रही है। हमारा प्रयत्न अपने समय और परिसर में इस परम्परा को सजीव-सशक्त बनाने का है। मोनालिसा ज़ेना ओड़िया की समकालीन कवयित्री हैं : उनकी कविता की सहज ऐन्द्रियता और निर्भीकता, प्रेम का उनका निस्संकोच अन्वेषण, परम्परा से उलझने का उनका जीवट आदि ऐसे गुण हैं जो उनकी कविता को, कई अर्थों में, विशिष्ट बनाते हैं। उनका हिन्दी अनुवाद में यह संग्रह हम सहर्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।”
—अशोक वाजपेयी
Sapno Ka Dhuan
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

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Description:
‘सपनों का धुआँ’ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की आज़ादी के बाद लिखी गई कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में दिनकर जी की उन कविताओं को संकलित किया गया है, जिनमें समकालीन स्थितियों के प्रति उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया सशक्त रूप में प्रस्फुटित हुई है। इस पुस्तक में जहाँ एक तरफ़ स्वराज से फूटनेवाली आशा की धूप और उसके विरुद्ध जन्मे हुए असन्तोष का धुआँ कविताओं में प्रतिबिम्बित होता है, वहीं दूसरी ओर एक विदुषी को लिखा गया कवि का गीत-पुंज भी है, जो कवि के गहन चिन्तन की दस्तावेज़ के रूप में हमारे सामने आता है।
मन-मस्तिष्क को उद्वेलित करनेवाली ये कविताएँ सभी पाठकों के लिए उपादेय हैं।
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