
Bhagwaticharan Verma Rachanawali : Vols. 1-14
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
3689
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
7378 mins
Book Description
भगवतीचरण वर्मा ने अपने प्रथम उपन्यास ‘पतन’ की रचना अपने कॉलेज के दिनों में की थी जो गंगा पुस्तक माला के अन्तर्गत प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को वे अपनी अपरिपक्व रचना मानते थे और उन्होंने इसे अपनी रचनाओं में गम्भीरता से नहीं लिया।</p> <p>सन् 1932 में भगवती बाबू ने पाप और पुण्य की समस्या पर अपना प्रसिद्ध उपन्यास ‘चित्रलेखा’ लिखा जो हिन्दी साहित्य में एक क्लासिक के रूप में आज भी प्रख्यात है। ‘तीन वर्ष’ उनका प्रथम सामाजिक उपन्यास है जो एक प्रेमकथा है। सन् 1948 में उनका प्रथम वृहत उपन्यास ‘टेढे़-मेढ़े रास्ते’ आया जिसे हिन्दी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास का दर्जा मिला। इसी शृंखला में उन्होंने आगे चलकर वृहत राजनीतिक उपन्यासों की एक शृंखला लिखी जिनमें <strong>‘</strong>भूले-बिसरे चित्र<strong>’, ‘</strong>सीधी-सच्ची बातें<strong>’, ‘</strong>प्रश्न और मरीचिका<strong>’, ‘</strong>सबहिं नचावत राम गोसाईं<strong>’ </strong>और <strong>‘</strong>सामर्थ्य और सीमा<strong>’ </strong>प्रमुख हैं।</p> <p>भगवतीचरण वर्मा के सभी उपन्यासों में एक विविधता पाई जाती है। उन्होंने हास्य-व्यंग्य<strong>, </strong>सामाजिक<strong>, </strong>मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक सभी विषयों पर उपन्यास लिखे। कवि और कथाकार होने के कारण वर्मा जी के उपन्यासों में भावनात्मकता और बौद्धिकता का सामंजस्य मिलता है। ‘चित्रलेखा’ में भगवती बाबू का छायावादी कवि-रूप स्पष्ट दिखता है जबकि ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ को उन्होंने अपनी प्रथम शुद्ध बौद्धिक गद्य-रचना माना है।</p> <p>रचनावली के इस खंड में प्रस्तुत<strong>, </strong>साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत उपन्यास ‘भूले-बिसरे चित्र’ अतीत के चित्रों का एक विशेष एलबम है जिसके चित्र कभी धुँधले नहीं पड़ सकते। जीवन के सभी पहलुओं से रू-ब-रू कराता यह कालजयी उपन्यास है।