Khul Gaya Hai Dwar Ek
Author:
Ashok VajpeyiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
अशोक वाजपेयी को पहले ‘देह और गेह का कवि’ कहा गया था। यह कहना निराधार नहीं था, लेकिन शनै:-शनै: उनकी दैहिक और गैहिक भावना का ऐसा विस्तार हुआ कि उसमें प्रकृति ही नहीं, सम्पूर्ण पृथ्वी सिमट आई। वे नई कविता के आख़िरी दौर के कवि हैं। उसके बाद से हिन्दी कविता में कई प्रकार के बदलाव हुए, पर उन्होंने अपना मार्ग कभी नहीं बदला। कारण यह कि उनकी कविता में स्वयं ऐसे आयाम प्रकट होते गए कि उन्हें कभी उसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ी। उनकी काव्य-यात्रा एक लम्बी काव्य-यात्रा है, जिसमें कवि ने कई मंज़िलें पार की हैं। आज उनकी कविता के बारे में दिनकर के शब्दों में यही कहा जा सकता है कि ‘वर्षा का मौसम गया, बाढ़ भी साथ गई, जो बचा आज वह स्वच्छ नीर का सोता है...।’</p>
<p>अशोक जी हमेशा ऊँचे सरकारी पदों पर रहे, लेकिन यह प्रीतिकर आश्चर्य की बात है कि उनकी कविता का नायक अभिजन न होकर साधारण जन है। इस साधारण जन को वे नज़दीक से जानते हैं और उसकी समस्त पीड़ाओं के साथ उसकी इतिहास-निर्मात्री शक्ति से भी परिचित हैं। स्वभावत: उनमें नक़ली क्रान्ति के लिए कोई बेचैनी नहीं है, जैसी कथित प्रगतिशीलों और जनवादियों में देखी जाती है। उनकी तरह वे समाज को साहित्य के ऊपर नहीं रखते, बल्कि साहित्य के अनुशासन में ही समाज और इसके अन्य पक्षों को स्वीकार करते हैं। साधारण जन का शत्रु कौन है? यह कवि से छिपा नहीं है, इसलिए बिना कविता को छोड़े वह उससे उसे आगाह करता है। आशा है, यह चयन हिन्दी के बृहत्तर पाठक-समुदाय को पसन्द आएगा, क्योंकि यह उसी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह उसे समकालीन हिन्दी कविता का एक ऐसा दृश्य भी दिखलाएगा, जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलता।
ISBN: 9788126726219
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: पुरातन की स्मृति और अभाव अक्सर ही कविताओं के प्रेरक कारक होते हैं, या तो हम किसी बीते क्षण को कविता में सम्बोधित करते हैं या फिर किसी भविष्य की कामना हमें कविता में सोचने को प्रेरित करती है। लेकिन इस संग्रह की ज़्यादातर कविताएँ वर्तमान को सम्बोधित हैं और आधुनिक सभ्यता के कुछ नए उपादानों को समझने की कोशिश करती हैं; मसलन—‘मोबाइल फ़ोन’, ‘बाज़ार’, ‘सेज के नाम से जाने जानेवाले विशेष आर्थिक क्षेत्र’ और ‘वह लड़की जो मोटरसाइकिल चलाती है’। >इस नई दुनिया को कवि बिना किसी पूर्वग्रह के एकदम ताज़ा निगाह से देखता और समझता है और पाठक को भी अपनी यात्रा में शामिल करता चलता है—‘क्या/आप नहीं चौंके थे/उस दिन/जब आपने/पहली बार किसी/एक लड़की को/मोटरसाइकिल चलाते/हुए देखा था?’ यह दृश्य कवि को एक नए युग का आरम्भ लगता है, लेकिन इसके भविष्य को लेकर उसे कुछ शंका भी है—‘क्या शादी के बाद भी/चला पाएगी वह मोटरसाइकिल/...क्या/वह आगे बैठी होगी/और पति/होगा/पीछे सवार?’ संग्रह का दूसरा खंड ‘उम्र का चालीसवाँ’ बढ़ती आयु के अहसास की कविताओं का है जिसके विषय में ख़ुद कवि का कहना है कि ‘उम्र के इस संक्रमण काल में रचित ये कविताएँ नितान्त निजी जीवन से लेकर सामाजिक स्तर तक बदलते रिश्तों के प्रति प्रतिक्रिया हैं। इन कविताओं में कई विशुद्ध हास्यबोध की रचनाएँ भी हैं, जिन्हें संग्रह में सम्मिलित करने के पीछे मेरी सोच यह है कि हास्य को केवल मंचीय जुमलेबाज़ी के लिए छोड़ देना हास्यबोध के साथ अन्याय है।’ संक्षिप्त मुहावरे में रची ये कविताएँ हिन्दी कविता-प्रेमियों को निश्चय ही पसन्द आएँगी।
Mritti-Tilak
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

- Description: निक हिन्दी कविता में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना का शंखनाद करनेवाले विख्यात कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का एक महत्त्वपूर्ण संग्रह है 'मृत्ति-तिलक'। संग्रह की कविताओं में जहाँ देश के विराट व्यक्तियों के प्रति कवि का श्रद्धा-निवेदन है, वहीं कुछ कविताओं में उत्कट देश-प्रेम की ओजस्वी अभिव्यक्ति है। कुछ कविताएँ ख्यातनाम देशी-विदेशी कवियों की उत्कृष्ट रचनाओं का सरस अनुवाद हैं तो कुछ कविताओं में निसर्ग का सुन्दर चित्रण है। प्रांजल, प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि का छन्द-विधान और सहज भाव-सम्प्रेषण इन कविताओं की अद्भुत विशेषता है। अपने सरोकार और संवेदना में हिन्दी साहित्य के लिए थाती हैं ये कविताएँ। 'मृत्ति-तिलक' को पढ़ना हिन्दी काव्य के स्वर्ण-युग की यात्रा करना ह
Pratinidhi Kavitayein : Kailash Vajpeyi
- Author Name:
Kailash Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
कैलाश वाजपेयी सभ्यता के ध्वंस, मानवीयता के लोप, बंजर होते संवेदन और संताप से झुलसते आँसुओं पर विक्षोभ प्रकट करने वाले, कविता के एक ऐसे नागरिक रहे हैं, जिनकी आवाज़ इतनी वेधक, प्रखर और सत्वग्राही है कि वह अपने अनहद से निष्करुण होती पृथ्वी तक को कँपा दे। कविता का यह तात्त्विक-सात्विक स्वर कैलाश वाजपेयी के पहले संग्रह ‘संक्रान्त’ से लेकर ‘हंस अकेला’ तक में समाया हुआ है। उनका काव्य संसार सामान्य जीवन से लेकर वैश्विक सन्दर्भों और मिथकों की अन्तर्वस्तु से सम्पुष्ट है। वह विश्व वैचारिकी की उनकी विपुल यायावरी से निस्सृत कवि विवेक और जीवन विवेक से संवलित है।
भूमंडलीकरण और बाजारवाद के पसरते प्रभुत्व ने सदियों की हमारी सांस्कृतिक विरासत की चूलें हिला दी हैं। हमारी संवेदना को जड़ बनाते पूँजी के प्रेतों ने जिस तरह हमारे इर्द-गिर्द प्रलोभनों का जाल बिछा दिया है, उसके परिणाम निश्चय ही शुभंकर नहीं हैं। कैलाश वाजपेयी का काव्य-संसार कवि के कारुण्य, विक्षोभ और उसकी कबीरी फटकार की साखी बन गया है। भारतीय समाज, वैश्विक यथार्थ और सभ्यता के ज्वलन्त प्रश्नों से लैस कैलाश वाजपेयी की ये कविताएँ उनके काव्य का एक प्रातिनिधिक चयन हैं।
—ओम निश्चल
Hanso Hanso Jaldi Hanso
- Author Name:
Raghuvir Sahay
- Book Type:

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Description:
रघुवीर सहाय विडम्बना के खोजी कवि हैं। समाज और उसके ऊपर-नीचे खड़ी-पड़ी तमाम संरचनाओं, यथा राजनीति, शासन-प्रशासन और ताक़त से बने या ताक़त से बिगड़े अनेक मूर्त-अमूर्त फ़ॉर्म्स को वे एक नई और असंलग्न निगाह से देखते हैं। इस बहुपठित-बहुचर्चित संग्रह की अनेक कविताएँ, जिनमें अत्यन्त प्रसिद्ध कविता, 'रामदास' भी है उनकी उसी असंलग्नता के कारण इतनी भीषण बन पड़ी है। वह असंलग्नता जो अपने समाज से बहुत गहरे, बेशर्त जुड़ाव के बाद किसी शुभाकांक्षी मन का हिस्सा बनती है।
वे इस समाज और उसको चला रही व्यवस्था को बदलने की इतनी गहरी आकांक्षा से बिंधे थे कि कविता भी उन्हें कवि न बनाकर एक चिन्तित सामाजिक के रूप में प्रक्षेपित करती थी। इसीलिए उनकी हर कविता अपनी पूर्ववर्ती कविता के विस्तार की तरह नहीं, एक नई शाखा की तरह प्रकट होती थी। यह संग्रह अपने संयोजन में स्वयं इसका साक्षी है कि हर कविता न तो शिल्प में, और न ही भाषा में अपनी किसी परम्परा का निर्माण करने की चिन्ता करती दिखती और न किसी और काव्य-परम्परा का निर्वाह करती। हर बार उनका कवि समाज नामक दु:ख के इस विस्तृत पठार में एक नई जगह से उठता दिखाई देता है और पीड़ा के एक नए रंग, नए आकार का ध्वज लेकर।
ये कविताएँ बार-बार पढ़ी गई हैं और बार-बार पढ़े जाने की माँग करती हैं। आज भी, क्योंकि, हमारे समूह-मन की जिन दरारों की ओर इन कविताओं ने संकेत किया था, आज वे और गहरी हो गई हैं।
Musaddas-E-Hali
- Author Name:
Khwaja Altaf Hussain 'Hali'
- Book Type:

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Description:
‘मुसद्दस’ के काव्यात्मक पक्ष पर टिप्पणी करते हुए शमशेर कहते हैं : ‘उसका संगठन अद्भुत रूप से पुष्ट जान पड़ता है। कोई एक भाव बिलकुल उसी रूप में दोहराया नहीं गया। पूरी कविता की लड़ियाँ आपस में इस तरह गुँथी हुई हैं कि अगर एक को भी तोड़कर अलग करें तो पूरी कविता का सौन्दर्य उसी परिणाम में टूटता और बिखरता है।’
‘मुसद्दस-ए-हाली’ की रचना 1879 में उस समय हुई जब भारतीय समाज 1857 के विद्रोह में पराजित होने के बाद पस्ती और हताशा के दौर से गुज़र रहा था। ख़ास तौर पर भारतीय मुस्लिम समाज। मौलाना अल्ताफ़ हुसैन ‘हाली’ ने इसकी रचना सर सैयद अहमद ख़ाँ के आग्रह पर क़ौम को इस हालात से जगाने के लिए की। इस कृति की अहमियत का अनुमान सर सैयद के इस कथन से लगाया जा सकता है कि ‘अगर ख़ुदा ने मुझसे पूछा कि दुनिया में तुमने क्या किया तो मैं जवाब दूँगा कि मैंने हाली से ‘मुसद्दस-ए-हाली’ लिखवाई।’
इसी से प्रेरित होकर मैथिलीशरण गुप्त ने हिन्दू समाज को ध्यान में रखकर अपनी प्रसिद्ध कृति ‘भारत भारती’ की रचना की जो 1913 में प्रकाशित हुई। दोनों ही रचनाएँ अपने-अपने ढंग से भारत के लोगों को अपने वैभवशाली अतीत का स्मरण करने और अशिक्षा, अज्ञान तथा मानसिक दासता से मुक्त होने का आह्वान करती हैं।
यह ‘मुसद्दस-ए-हाली’ का प्रामाणिक पाठ है जिसे हिन्दी के प्रतिष्ठित कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने सम्पादित किया है। दस्तावेज़ी महत्त्व की इस प्रस्तुति में प्रयास किया गया है कि मुसद्दस के मूल पाठ के साथ-साथ इसकी पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक महत्ता भी पाठकों के सामने मौजूद रहे। यह काम करता है कवियों के कवि कहे जानेवाले शमशेर बहादुर सिंह का एक महत्त्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने ‘भारत भारती’ और ‘मुसद्दस-ए-हाली’ को साथ-साथ पढ़ते हुए लिखा था। हाली द्वारा लिखी गईं पहले और दूसरे संस्करणों की भूमिकाओं का लिप्यन्तरण भी इसमें शामिल है।
Kagaz Aur Canvas
- Author Name:
Amrita Preetam
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Description:
पंजाबी के शीर्षस्थ कवियों और कथाकारों में गणनीय अमृता प्रीतम की सृजन-प्रतिभा को नारी-सुलभ कोमलता और संवेदनशीलता के साथ-साथ मर्मभेदिनी कला-दृष्टि का सहज वरदान प्राप्त है। उनके रचनाकार की यह विशिष्टता उन्हें एक ऐसा व्यक्तित्व प्रदान करती है जो तटस्थ भी है और आत्मीय भी! निजता की भावना से उनकी कृतियाँ सराबोर हैं।
वर्ष 1980-81 के ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित ‘काग़ज़ और कैनवस’ में अमृता जी की उत्तरकालीन प्रतिनिधि कविताएँ संगृहीत हैं। प्रेम और यौवन के धूप-छाँही रंगों में अतृप्त का रस घोलकर उन्होंने जिस उच्छल काव्य-मदिरा का आस्वाद अपने पाठकों को पहले कराया था, वह इन कविताओं तक आते-आते पर्याप्त संयमित हो गया है और सामाजिक यथार्थ के शिलाखंडों से टकराते युग-मानव की व्यथा-कथा ही यहाँ विशेष रूप से मुखरित है। आधुनिक यंत्र-युग की देन मनुष्य के आन्तरिक सूनेपन को भी अमृता जी ने बहुत सघनता के साथ चित्रित किया है।
देवनागरी लिपि में मुद्रित मूल पंजाबी कविताओं के साथ उनका हिन्दी रूपान्तर पाठकों को उनके मर्म तक पैठने में सहायक होगा; इस आशा के साथ प्रस्तुत है यह विशिष्ट कृति, जिसमें अमृता जी ने भोगे हुए क्षणों को वाणी दी है।
Ye Galat Baat Hai
- Author Name:
Manoj Kumar Sharma
- Book Type:

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Description:
‘ये ग़लत बात है’ कवि-कहानीकार मनोज कुमार शर्मा का पठनीय कविता-संग्रह है। समकालीन हिन्दी कविता सहसा इतनी सजग और त्वरित हो उठी है कि परिवेश की प्रत्येक गतिविधि उसकी ज़द में है। इसके परिणाम अनेक रूपों में प्राप्त हो रहे हैं। कुछ रूप मनोज कुमार शर्मा की इन कविताओं में देखे जा सकते हैं।
सामाजिक विसंगतियाँ, आत्मीय प्रसंग, प्रगतिशील चिन्तन, निजता के निमिष और मानवीय प्रयत्न— इन बिन्दुओं पर मनोज ने अपनी कविताएँ केन्द्रित की हैं। कुछ कविताओं में प्रकारान्तर से समय, नियति और नियन्ता से संवाद है। कवि जीवन की ‘म्रियमाण वास्तविकता’ को भी रेखांकित करता है। ऐसी कविताओं से व्यंग्यमिश्रित पीड़ा का यह भाव भी मुखर होता है—‘ऐ लीलाधर!/क्यों बनाया मनुष्य को भस्मासुर/क्यों बनाया मनुष्य/क्यों?’
जब मनोज ‘पानी’ कविता लिखते हैं तब वे जल के साथ ‘सजल संवेदना’ पर मँडराते संकटों का संकेत भी करते हैं। ऐसे प्रयत्नों से वे अपने निहितार्थों को व्यापक बनाते हैं। यह पढ़कर अच्छा लगता है कि उनका दृढ़ भरोसा प्रेम में है—चाहे वह प्रेम व्यक्ति केन्द्रित हो या मूल्य सन्दर्भित। और इसकी प्रतीक्षा कवि अनन्त तक कर सकता है—‘जब मिल जाएँगी दसों दिशाएँ आकाश से/ क्या तुम तब मिलोगे?’
ये कविताएँ पाठक को उकसाती हैं कि वह नई सुबह की अगवानी कर सके। विश्वास है, यह संग्रह पाठकों की प्रीति अर्जित करेगा।
Prakritik Sundartam Hastakshar
- Author Name:
Meena Jha
- Book Type:

- Description: Collection of Maithili Poems
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