Goswami Tulsidas Ki Jiwangatha
Author:
Yogendra Pratap SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 636
₹
795
Available
गोस्वामी तुलसीदास का जीवन-चरित प्राय: उनके जीवनकाल से ही लिखा जाता रहा है। इसमें सन्देह नहीं कि उन्होंने अपनी दीर्घायु के बीच पर्याप्त ख्याति अर्जित कर ली थी और मुग़ल सम्राट अकबर, राजा मानसिंह, अछल रहीम खानखाना, मीराँबाई, राजा टोडर आदि ने उनकी श्रीरामभक्ति के प्रति पर्याप्त श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया था। साहित्य की परम्परा में उनकी कालजयी कृति श्रीरामचरितमानस की चर्चा भक्ति एवं रीतिकाल से ही बराबर होती चली रही है।</p>
<p>गोस्वामी तुलसीदास की जीवनगाथा की मूल समस्या है कि इन पाँच सौ वर्षों के अवशेषों में बाबा को कहाँ खोजा जाए? यहाँ बाबा तुलसीदास की खोज का आधार उनकी कृतियाँ तथा पाठ हैं। प्रत्येक सर्जक अपनी कृति के पाठ में वर्ण से लेकर उसकी समग्र प्रबन्ध रचना तक व्याप्त रहता है—कण-कण में व्याप्त निर्गुण ब्रह्म की भाँति। साधक के लिए, अणु-अणु में व्याप्त ब्रह्म से आत्मसाक्षात्कार करके, उसे समाधि चित्त में उतारना बड़ी दुर्लभ समस्या है। ठीक उसी प्रकार, तुलसी की कृतियों में सर्वत्र व्याप्त महात्मा तुलसीदास का आत्मसाक्षात्कार करके उन्हें स्वानुभूति एवं सृजन के स्तर पर उतारना लेखक की वर्षपर्यन्त तक की चेष्टा रही है। इसे औपन्यासिक कृति का रूप देने के लिए ‘क्वचिदन्यतोपुपि’ का भी उसे आधार लेना पड़ा है—किन्तु चेष्टा यही रही है कि कृतियों का सृजन करके उन्हीं में विलीन गोस्वामी तुलसीदास को शब्दों से कैसे रेखांकित किया जाए। जो बन पड़ा, वह सामने है।</p>
<p>इस कृति के प्रकाशन में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए अयोध्या शोध-संस्थान, अयोध्या-फ़ैज़ाबाद के निदेशक डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह तथा रजिस्ट्रीकरण अधिकारी व विशेष कार्याधिकारी डी.ए.पी. गौड़ का प्रकाशक हृदय से आभार व्यक्त करता है।
ISBN: 9788180312724
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इस पुस्तक में जीवनी, कला-विश्लेषण, संस्मरण और स्मृतियों का बहुत मानवीय और रोचक गड्डमड्ड है—उसमें कई दृष्टिकोण भी उभरते हैं जो हमें शंखो दा को समझने में कई तरह से मददगार हैं। इस समय व्यापक विस्मृति और दुर्व्याख्या का जो दौर चल रहा है, उसमें एक बड़े कलाकार को इस तरह से याद करना उस विस्मृति को प्रतिरोध देना भी है। कला हमेशा जीवन के प्रति कृतज्ञ होती है और कलाकार अपने दिशा दिखानेवाले पुरखों के प्रति। शंखो चौधुरी के प्रति यह पुस्तक कृतज्ञता-ज्ञापन है और वह उसकी प्रासंगिकता को और प्रखर करता है। रज़ा पुस्तक माला में इसे प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।
—अशोक वाजपेयी
The Life and Times of Leonardo Da Vinci
- Author Name:
Vinod Kumar Mishra
- Book Type:

- Description: Leonardo da Vinci was a prominent artist and a scholar of the Italian Renaissance, famous for his immortal works: ‘The Last Supper’ and ‘Mona Lisa’. Leonardo was a genius. He was diversely talented as a painter, sculptor, architect, scientist, musician, mathematician, engineer, inventor, anatomist, geologist, astronomer, cartographer, botanist, historian and writer. Leonardo was very talented. He attained such proficiency as an artist that his teacher left painting after seeing one of his finished works. This book illuminates the artistry of Leonardo da Vinci, who remains an inspiration to aspiring artists.
Jivan Jaisa Jiya
- Author Name:
Chandrashekhar
- Book Type:

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Description:
पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ़ उनकी निजी ज़िन्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आज़ादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं।
बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुज़रे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आज़ादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफ़ा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव-साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
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