Dilli Mein Uninde

Dilli Mein Uninde

Authors(s):

Gagan Gill

Language:

Hindi

Pages:

200

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

400 mins

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Book Description

गगन गिल की ये गद्य रचनाएँ एक ठोस वस्तुजगत, एक साकार संसार को अपने भीतर की छायाओं में पकड़ना है। यथार्थ की चेतना और स्मृति का संसार—इन दो पाटों के बीच बहती हुई अनुभव-धारा जो कुछ किनारे पर छोड़ जाती है, गगन गिल उसे बड़े जतन से समेटकर अपनी रचनाओं में लाती हैं—मोती, पत्थर, जलजीव—जो भी उनके हाथ का स्पर्श पाता है, जग उठता है। यह एक कवि का स्वप्निल गद्य न होकर गद्य के भीतर से उसकी काव्यात्मक संभावनाओं को उजागर करना है...कविता की आँच में तपकर गगन गिल की ये गद्य रचनाएँ एक अलग तरह की ऊष्मा और ऐंद्रिक स्वप्नमयता प्राप्त करती हैं।</p> <p>दिल्ली का उनींदा ऑटोवाला जो कहता है कि मैं जब धुएँ में साँस लेता हूँ तो मेरा भीतर तक सिकुड़ जाता है। कैलोंग की निस्तब्ध पहाड़ियाँ और वह उदास भिक्षु जिसकी भिक्षु बनने की इच्छा न थी, श्रीनगर का वह ट्रक ड्राइवर जो कहता है कि मेरा दिल जल गया है; भिक्षु, गोम्पा, मठ, बुद्ध और समूचे पाठ में तैरता अकंप बौद्ध-भाव जो पूछता है कि क्या समस्त मानवता एक-दूसरे से इसीलिए नहीं चिमटी है कि वह डरी हुई है! यह सब इस पुस्तक को एक विशिष्ट परिपक्वता देता है।</p> <p>‘दिल्ली में उनींदे’ डायरी, नोट्स, यात्राओं, यात्राओं में मिले लोगों की स्मृतियों का एक अनूठा संचयन है।&nbsp;

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