Agyeya  Ke Uddharan

Agyeya Ke Uddharan

Language:

Hindi

Pages:

132

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

264 mins

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Book Description

<span style="font-weight: 400;">अज्ञेय का लेखन इतना विपुल और वैविध्यपूर्ण है कि उसमें से उद्धरणों के एक चयन की बात सोचते ही पहला सवाल तो उसकी क्रम-प्रक्रिया को लेकर ही सामने आया। लगभग सभी साहित्यिक विधाओं में उत्कृष्ट लेखन के साथ-साथ अज्ञेय ने मानव-जीवन और समाज से जुड़ी सभी समस्याओं पर भी स्वतन्त्र रूप से सम्यक् विचार किया है। अज्ञेय के लिए न केवल साहित्य बल्कि पूरा मानव-जीवन ही मूल्यान्वेषण की प्रक्रिया है।&nbsp;</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">इस क्रम से आरम्भ करने पर सहज ही केन्द्रीय मूल्य स्वतन्त्रता और उनसे जुड़े सवालों को अलगे चरण में रख पाना उचित लगा और साहित्य क्योंकि मूल्यान्वेषण की प्रक्रिया है, अत: भाषा, साहित्य आदि से जुड़े चिन्तन से चयन किये जाने वाले उद्धरणों का क्रम भी तय हो गया।&nbsp;</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">इस चयन से गुज़रते हुए पाठक को यह महसूस हो सकता है कि अज्ञेय जब किसी दार्शनिक या तर्कशास्त्रीय गुत्थी पर भी विचार करते हैं तो उनका चिन्तन अधिकांशत: किसी अकादेमिक दार्शनिक की तरह का नहीं, बल्कि एक संवेदनात्मक दृष्टि, या कहें कि कवि-दृष्टि से किया गया चिन्तन होता है। अज्ञेय का चिन्तन कवि-दृष्टि का चिन्तन है, अकादेमिक नहीं। शायद, इसलिए इस कवि-दृष्टि के विमर्शात्मक चिन्तन और कविताओं के बीज-संवेदन का अहसास भी सुधी पाठकों को हो सकेगा।</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">पाठक यदि चयन की इन मोटी रेखाओं के सहारे अज्ञेय के चिन्तन और कवि-कर्म की विपुलता, विविधता और सूक्ष्मता में प्रवेश करने की प्रेरणा पा सकें, तो यही इस चयन की सार्थकता होगी। अज्ञेय के कवि-कर्म और चिन्तन के द्वन्द्वों-समाधानों और प्रक्रियाओं-निष्कर्षों में ऐसा बहुत कुछ है जो किसी भी समय के लेखक-पाठक के लिए सदैव प्रासंगिक रहेगा।</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">—प्रस्तावना से</span>

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