Hindi Prayog Kosh

Hindi Prayog Kosh

Language:

Hindi

Pages:

320

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

640 mins

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Book Description

भाषा शब्दों से बनती है। शब्दों के बारे में जानकारी व्याकरण देता है और उनके अर्थों का विवरण कोश प्रस्तुत करता है। इस प्रकार भाषा को जानने-समझने के लिए व्याकरण और कोश दो आधार माने जाते हैं। लेकिन भाषा का एक तीसरा महत्त्वपूर्ण आधार भी है—प्रयोग। भाषा के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया में नए-नए सन्‍दर्भों के अनुरूप नए-नए प्रयोग चलते रहते हैं। प्रयोगों से भाषा की प्रभावकता और क्षमता में वृद्धि होती है। इनकी महत्ता इस तथ्य में निहित है कि बहुधा ये व्याकरण और कोश को पीछे छोड़ जाते हैं।</p> <p>प्रयोगों के फलस्वरूप ही नए-नए पदबन्‍ध और मुहावरे अस्तित्व में आते हैं। लेखक की लेखनी और वक्ता की वाणी को उनसे ऊर्जा मिलती है। उनके अर्थ अक्सर आप सामान्य कोशों में ढूँढ़ नहीं पाते, व्याकरण से वे सिद्ध नहीं होते, फिर भी वे मान्य और अपरिहार्य होते हैं। एक प्रामाणिक प्रयोग-कोश की अनिवार्यता ऐसी ही स्थिति में सामने आती है।</p> <p>वाक्य में कोई शब्द जिस जगह या जिन शब्दों के मध्य रखा जाता है, उससे कोई न कोई प्रयोजन सिद्ध होता है। किसी न किसी प्रकार की प्रयोजन-सिद्धि के लिए ही शब्दों का प्रयोग किया जाता है।</p> <p>यदि कोई शब्द अपने अर्थ-गाम्‍भीर्य या अर्थ-विस्तार से हमें प्रभावित करता है तो अपने विलक्षण प्रयोगों से अभिभूत और चमत्कृत भी करता है।</p> <p>शब्दों से अन्‍तरंगता उनके प्रयोगों के माध्यम से ही स्थापित होती है। हिन्‍दी अपने शब्दों के प्रयोग के विचार से कितनी अधिक समृद्ध है, यह तथ्य इस कोश की हर प्रविष्टि से चरितार्थ होता है।

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