
Mantra-Viddh Aur Kulta
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
178
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
356 mins
Book Description
इस किताब में प्रख्यात कथाकार राजेन्द्र यादव के एक साथ दो लघु उपन्यास ‘मंत्रविद्ध’ और ‘कुलटा’ संगृहीत हैं।</p> <p>‘मंत्रविद्ध’ प्यार की खुरदरी कहानी है—आज की मूर्तिकला की तरह–––तारक और सुरजीत कौर के बीच एक तीसरा ‘व्यक्ति’ और है, और वह है प्यार। तारक अपने को समझाते हुए, दूसरे आदमी की निगाह से सारी स्थिति को देखता है और स्वयं आतंकित रहता है कि क्या सचमुच वीरता का वह क्षण उसी ने धारण किया था...क्षण अथवा आवेश-भरे दबाव का शायद एक ऐसा विस्फोट, जिसका अनुभव केवल कायर ही कर सकता है। यानी परम वीरता के काम पक्के कायर के सिवा कोई दूसरा नहीं कर सकता!...</p> <p>‘कुलटा’ प्यार के एक दूसरे धरातल की व्यथा–कथा है। मिसेज तेजपाल, जैसे अकेले पहाड़ी झरने के एकान्त किनारों और घाटियों की हरियल सलवटों की अँगड़ाई लेती भूलभुलैया…मखमली बाँहें और रेशमी बाल–––एक अप–टू–डेट अभिजात सौन्दर्यमयी नारी...</p> <p>लेकिन उसने तो अपने पवित्र प्यार की ही राह चुनी थी। यह स्त्री के अपने चुनाव की कहानी है जिसको हमारा आधुनिक समाज कोई मान्यता नहीं देता। यदि वह अपनी राह स्वयं चुनती है तो उसके लिए कोई क्षमा नहीं है। इसे ही वह चुनौती देती है!...मिसेज तेजपाल पागल और कुलटा नहीं तो क्या है?