Bharat Mein Jansanchar Aur Prasaran Media
Author:
Madhukar LelePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Media0 Reviews
Price: ₹ 716
₹
895
Available
भारत जैसे विशाल और पारम्परिक सभ्यता के देश में बीसवीं सदी के आरम्भ में जब आधुनिक विकास का दौर शुरू हुआ तो नए युग की चेतना के उन्मेष को देश के विशाल जनसमूह में फैलाना एक गम्भीर चुनौती थी। ऐसे समय में जनसंचार के प्रभावी माध्यम के रूप में रेडियो ने भारत में प्रवेश किया। कालान्तर में टेलीविज़न भी उससे जुड़ गया। दोनों माध्यमों ने हमारे देश में अब तक अपनी यात्रा में कई मंज़िलें पार की हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन ने भारत में प्रसारण मीडिया के विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।</p>
<p>भारत जैसे भाषा-संस्कृति-बहुल और विविधता-भरे देश में राष्ट्रीय प्रसारक की भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ बड़ी चुनौती-भरी रही हैं। प्रसारण टेक्नोलॉजी में हाल के कुछ वर्षों में जो ज़बर्दस्त प्रगति हुई और उसके साथ ही जब भूमंडलीकरण का दौर चला तो लाज़िमी था कि तेज़ी के साथ फलते-फूलते वैश्विक मीडिया उद्योग को भी भारत में अवसर दिए जाते। यह नया दौर निश्चित ही अपने साथ नई और अधिक गम्भीर चुनौतियाँ लेकर आया है।</p>
<p>मधुकर लेले ने आकाशवाणी और दूरदर्शन सेवा में लम्बी पारी पूरी की है और दोनों प्रसारण माध्यमों के विकास, विस्तार और उससे जुड़े विमर्श को उन्होंने नज़दीक से देखा-जाना है। प्रस्तुत पुस्तक में भारत में प्रसारण मीडिया की इस चुनौती-भरी यात्रा के मुख्य पड़ावों पर उन्होंने विहंगम दृष्टि से प्रकाश डाला है।
ISBN: 9788183614092
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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लेकिन ये मेरे राजनीति पर लिखे लेख नहीं हैं। वे मैंने ‘जनसत्ता’ के सम्पादकीय पेज पर लिखे और यहाँ संकलित नहीं हैं। ‘कागद कारे’ में राजनीति के मानवीय और निजी पहलुओं को खोलने की कोशिश करता हूँ। इनमें उन दस सालों की सभी राजनीतिक घटनाओं और उनके नायक-नायिकाओं के मानवीय और निजी पक्षों को समझने की कोशिश की गई है। नरसिंह राव, सोनिया गांधी, चन्द्रशेखर, विश्वनाथ प्रताप सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवानी, मायावती आदि राजनीतिक व्यक्तित्वों को महज़ राजनीति के नज़रिए से नहीं देखा गया है। इनमें वे पहलू खोजे गए हैं जिनके बिना राजनीति नहीं होती। राजनीति के बिना लोकतंत्र नहीं हो सकता।”
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- Description: "सीरिया और इराक लगभग विखंडन के कगार पर पहुँच गए, क्योंकि उनके विभिन्न समुदायों—शिया, सुन्नी, कुर्द, अलावाइट और ईसाई—को यह लगा कि वे अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। इसलाम धर्म के कट्टरपंथी अनुपालन के लिए निष्ठुर इसलामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया (ISIS) ने उन सभी को अपना निशाना बनाया, जिन्होंने इसके नियमों का विरोध भर किया। उन्हें या तो मार दिया या भाग जाने के लिए विवश कर दिया गया। 10 जून, 2014 इतिहास का एक काला दिन था, जब ISIS ने चार दिन की लड़ाई के बाद इराक की उत्तरी राजधानी मोसुल पर कब्जा कर लिया। भयाक्रांत करने में ISIS कुख्यात है। इसके द्वारा तैयार वीडियो क्लिपों में इसके लड़ाकों द्वारा शिया सैनिकों और ट्रक ड्राइवरों को फाँसी देते हुए दिखाया गया है, ऐसी कुत्सित घटनाओं ने मोसुल और टिकरित पर कब्जे के दौरान शिया सैनिकों को आतंकित करने और उनका मनोबल तोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई। मोसुल और इराक के अधिकांश उत्तरी भाग पर कब्जा करने के बाद ISIS नेता अबू बर्क अल-बगदादी को नई खिलाफत का मुखिया घोषित कर दिया गया, जो सभी मुसलमानों से अंधानुसरण की अपेक्षा करता है। मानवता के शत्रु और जेहादियों के जत्थे पैदा करनेवाली ISIS की काली करतूतों का सजीव लेखा-जोखा देती है यह पुस्तक, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी प्रभावी छाप छोड़नेवाले पैट्रिक कॉकबर्न ने अपनी जान जोखिम में डालकर तैयार की है।
Television Aur Crime Reporting
- Author Name:
Vartika Nanda
- Book Type:

-
Description:
वर्तिका नन्दा की यह किताब हिन्दी पत्रकारिता के गम्भीर अध्येताओं, विशेषकर टीवी पत्रकारिता के छात्रों के लिए, अपराध पत्रकारिता के अनेक आयाम उजागर करनेवाली पठनीय सामग्री देती है। आज के भाषाई समाचार जगत में अपराध संवाददाता की भूमिका, उसके लिए ख़बरों के सही स्रोत और प्रस्तुति के तरीक़े क्या हों? टीवी के न्यूज़रूम में अपराध विषयक ख़बरें किस तरह अन्तिम आकार पाती हैं? टीवी के लिए अपराध से जुड़े समाचारों को किस तरह से लिखा जाना चाहिए? उसका तकनीकी पक्ष, साक्षात्कार तथा एंकरिंग की दृष्टि से उनका सही नियामन तथा प्रसारण कैसा हो?—इस सब पर अपने लम्बे अनुभवों की मदद से लेखिका ने सिलसिलेवार तरीक़े से प्रकाश डाला है। पुस्तक के अन्त में दिए गए टीवी स्क्रिप्ट के कुछ नमूने तथा उनसे जुड़ी शब्दावली का समावेश पुस्तक की उपादेयता को बढ़ाता है।
—मृणाल पाण्डे
‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ प्राप्त वर्तिका नन्दा के स्तम्भ पढ़ता रहा हूँ। उनकी पृष्ठभूमि, मीडिया में व्यावहारिक अनुभव और अध्यापन सम्पन्न है। मीडिया के तीनों सशक्त माध्यमों—इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और रेडियो में उन्होंने काम किया है। ख़ासतौर से मीडिया पर उनके स्तम्भ अत्यन्त सूचनाप्रद और विचारपरक होते हैं। आज मीडिया में कैरियर की अनन्त सम्भावनाएँ और अवसर हैं। यह पुस्तक मीडिया जगत की सूक्ष्म और बारीक़ चीज़ों को भी पाठकों तक पहुँचाएगी। उनकी दोनों भूमिकाएँ (पत्रकारिता अध्यापन) इस पुस्तक को विशिष्ट, अलग और महत्त्वपूर्ण बनाती हैं। मीडिया जगत के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए नहीं, बल्कि पत्रकारिता जगत में रुचि रखनेवाले सामान्य पाठकों के लिए भी।
—हरिवंश।
Feature Lekhan : Swarup Aur Shilpa
- Author Name:
Manohar Prabhakar
- Book Type:

-
Description:
माखनलाल चतुर्वेदी कवि थे, नाटककार थे, निबन्ध लेखक भी थे, अर्थात् उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अपनी क़लम चलाई थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए लेखनी चलानेवाले एक अग्रणी पत्रकार भी थे। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। साहित्य और पत्रकारिता का यह संगम हमारी परम्परा में हमेशा रहा है। फिर भी यह दुर्भाग्य की बात है कि आजकल पत्रकारिता और साहित्य को दो अलग-अलग खाँचों में बाँटा जाता है। इस विभाजक रेखा को भी लाँघनेवाली विधाएँ हैं। उनमें से कुछ हैं—फ़ीचर, रिपोर्ताज, यात्रा-वृत्तान्त एवं संस्मरण।
इस पुस्तक के ज़रिए फ़ीचर लेखन के कौशल को सरल ढंग से पेश करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है कि इससे पाठक साहित्य और पत्रकारिता की विभाजक रेखा को जोड़कर इन दोनों के सम्मिश्रण को नए सिरे से स्थापित कर सकेंगे। फ़ीचर लेखन जितनी अधिक मात्रा में होगा, उतनी ही मात्रा में साहित्य और पत्रकारिता को जनमानस में भी जुड़ा हुआ देखने की प्रवृत्ति विकसित होगी।
डॉ. मनोहर प्रभाकर ने, जो स्वयं उच्च कोटि के फ़ीचर लेखक रहे हैं और जिन्होंने ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘नवज्योति’ एवं अन्य समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपने लेखन कौशल को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है, इस पुस्तक में अपने अनुभवों का सार इस ढंग से प्रस्तुत किया है कि उसे सरलता से व्यवहार में लाया जा सके।
Kahne Ko Bahut Kuchh Tha
- Author Name:
Prabhash Joshi
- Book Type:

- Description: प्रभाष जोशी की इस पुस्तक में उनके सम्पूर्ण लेखन से चुनकर प्रतिनिधि लेखों का संग्रह किया गया है। वे एक समाजधर्मी पत्रकार थे जिन्होंने अपने समय के बनते इतिहास का दो टूक विश्लेषण किया। उसके साथ ही अपने सक्रिय वैचारिक पहल से समकालीन इतिहास को बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज के समय में ऐसे पत्रकार और समाज चिन्तक की कमी एक गतिरोध और यथास्थिति का माहौल बना रही है। ऐसे में प्रभाष जोशी के ये लेख एक नई पहल के लिए प्रेरित करते हैं। पुस्तक में इन अध्यायों के अन्तर्गत लेख रखे गए हैं, उनके शीर्षक हैं : ‘पत्रकारिता है सदाचारिता’, ‘अपनी हिन्दी का हाल’, ‘शिखरों के आसपास’, ‘राजमंच का नेपथ्य’, ‘खेल का सौन्दर्यशास्त्र’ तथा ‘बार-बार लौटकर जाता हूँ नर्मदा’। ये शीर्षक ही पुस्तक में संकलित लेखों के कथ्य बयान कर देते हैं। एक बार फिर से प्रभाष जोशी को पढ़ना आपको इस मुश्किल समय से नए सिरे से परिचित कराएगा। सामाजिक बदलाव की पहल के लिए प्रेरित करेगा।
Yaksha Prashna Barkarar
- Author Name:
Manikant Bajpai
- Book Type:

- Description: Media
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