Hindi Mein Ashuddhiyan
Author:
Ramesh Chandra MahrotraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
मानक हिन्दी इतने बड़े क्षेत्र में और इतनी अधिक जनसंख्या द्वारा व्यवहृत की जा रही है कि उसका एकमेव राष्ट्रीय स्वरूप निर्मित होना और उसका स्थिर रह पाना असम्भव है। कारण दो हैं—एक तो उसके प्रयोक्ताओं पर उनकी मातृबोलियों का व्याघात और दूसरे उनको दी जानेवाली समुचित शिक्षा का अभाव और अशुद्धियाँ (प्रयोगों में अन्तर होने) की सामाजिक पृष्ठभूमि। प्रस्तुत पुस्तक में समूचे हिन्दी क्षेत्र से नमूनार्थ संकलित सामग्री को विश्लेषित करके हज़ारों उदाहरणों के साथ यह स्पष्ट किया गया है कि हिन्दी की बाईस बोलियों के मातृभाषी मानक हिन्दी लिखते समय वर्तनी, व्याकरण और अर्थ से सम्बन्धित किस-किस प्रकार की कुल 44 त्रुटियाँ करते हैं, जिनमें 111 उपत्रुटियाँ अन्तर्भुक्त हैं। इन उपत्रुटियों को सरलतम विधि से केवल आगम (कुल 7), आदेश (कुल 95), और लोप (कुल 9) तीन आधारों पर समझाया गया है। प्रमुखतः उपचारात्मक मूल्य वाली यह पुस्तक हिन्दी को अशुद्धियों से दूर रखना चाहनेवालों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
ISBN: 9788171196661
Pages: 351
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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