
Soor Sanchyita
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
168
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
336 mins
Book Description
सूर-साहित्य के अध्ययन, मनन और विश्लेषण से चिन्तनशील मानस को सहज ही यह निष्कर्ष प्राप्त हो जाता है कि सूरदास में जन-जीवन के मूल तत्त्वों का ज्ञान और भक्ति की भावना का बोध इस प्रकार समन्वित है कि सम्पूर्ण सूर-साहित्य में व्यक्ति है और समाज भी, राग है और विराग भी, भावविह्वल हृदय है और चिन्तनशील मस्तिष्क भी। उसमें गृहस्थ और साधु तथा भक्त और भावुक सबकी भावना और आदर्श का समन्वय है। सूर-साहित्य की सीमा में प्रवेश करनेवाले प्रत्येक सहृदय को उसमें उसके मन एवं आत्मा की आत्मीय भंगिमाएँ मिलेंगी, उसमें अतीत की झाँकी, वर्तमान का सम्बल और भविष्य का आदर्श प्राप्त होगा। सूरदास ने जीवन के विभिन्न उदात्त पक्षों का उद्घाटन कर उन्हें काम्य और कमनीय बना दिया है तथा सम्पूर्ण रागों का कृष्णार्पण कर उन्हें दिव्य आभा से मंडित कर दिया है।