Uttaryogi Shri Arvind
Author:
Shivprasad SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
अरविन्द बंगाल की धरती की उपज थे, पर विचारधारा में वे तिलक, दयानन्द आदि के अधिक निकट प्रतीत होते हैं। बंगाल के विषय में स्वभावतः उनके मन में अनुराग था, पर वे जिस प्रकार का ‘मिशन’ लेकर आए थे, उसकी संसिद्धि शायद बंगाल में रहकर नहीं हो सकती थी। वे अनेक रूपों में बंगाली व्यक्तित्व के अतिरेकों से, अर्थात् स्वप्निल भावुकता आदि से बिलकुल अछूते थे। श्री अरविन्द का पांडिचेरी-गमन क्षेत्रीयता की संकुचित सीमाओं के ध्वंस का प्रतीक है।</p>
<p>वे देशकाल में बँधी खंडशः विभक्त मानवता के प्रतिनिधि बनने नहीं, बल्कि परस्पर सहयोग से पृथ्वी पर अवतरित होनेवाले दिव्य जीवन के निदेशक थे, इसलिए उनका प्रत्येक कार्य मनुष्य को विभाजित करनेवाली आसुरी शक्तियों के षड्यंत्र को असफल बनाने के उद्देश्य से परिचालित रहा। श्री अरविन्द ने राजनेता के रूप में ‘पूर्ण स्वराज्य’ की माँग की। श्री गांधी के दक्षिण अफ़्रीका से भारत आगमन के काफ़ी पहले ‘असहयोग आन्दोलन’ का सूत्रपात किया। कलकत्ते के नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में एक नई शिक्षा-पद्धति की बात कही। ‘वन्देमातरम्’ और ‘कर्मयोगी’ के सम्पादक के रूप में भारतीय आत्मा को स्पष्ट करनेवाली नई पत्रकारिता का सूत्रपात किया। उग्रपन्थी विचारधारा को स्वीकार करते हुए भी विरोधी के प्रति सदाशय रहने का आग्रह किया। सत्य तो यह है कि स्वतंत्रता-पूर्व भारतीय राजनीति के सभी मूलभूत आदर्श, राष्ट्रीयता, स्वदेशी प्रेम, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, जनसंगठन और राष्ट्रीय शिक्षा-प्रणाली का आग्रह जैसे तत्त्व, जो बाद में गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रेरणास्रोत बने, श्री अरविन्द के महान् व्यक्तित्व की देन हैं।</p>
<p>जवाहरलाल नेहरू ने ठीक ही लिखा है—“बंग-भंग के विरुद्ध उत्पन्न आन्दोलन ने अपने सभी सिद्धान्त और उद्देश्य श्री अरविन्द से प्राप्त किए और इसने महात्मा गांधी के नेतृत्व में होनेवाले महान आन्दोलनों के लिए आधार तैयार किया।”
ISBN: 9788180312465
Pages: 396
Avg Reading Time: 13 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Avinash Subhedar
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- Description: अविनाश सुभेदार यांचं ‘सुभेदारी' हे आत्मकथन म्हणजे लोकसेवेचं असिधारा व्रत स्वीकारून संपूर्ण सेवाकाल त्याच निष्ठेने व्यतीत करणाऱ्या एका ध्येयवेड्या ज्येष्ठ आयएएस अधिकाऱ्याचा, प्रसंगी अविश्वसनीय वाटू शकणारा जीवनप्रवास आहे. या मनमोकळ्या निवेदनाचा विशेष म्हणजे, त्याचा केंद्रबिंदू सर्वसामान्य माणूस हा आहे. साधारणपणे निवृत्त अधिकारी आपल्या आठवणी शब्दबद्ध करतात, तेव्हा प्रकाशझोत स्वत:वर ठेवतात. मात्र, सुभेदारांनी कटाक्षाने हा मोह टाळला आहे. ‘सुभेदारी'मधून लेखकाने लोकहितास केंद्रस्थानी ठेवल्याचे पानोपानी जाणवते. दुसरे वैशिष्ट्य म्हणजे, एखादा अपवाद सोडता कोठेही नकारात्मकता या लिखाणात जाणवत नाही. तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी यांचे खासगी सचिव म्हणून काम करताना या विलक्षण नेत्याचा सहवास त्यांना सलग चार वर्षांपेक्षा अधिक काळ लाभला. त्याबाबतच्या आठवणी अत्यंत वाचनीय आहेत. त्यात आजपर्यंत काळाच्या उदरात लपलेल्या अनेक प्रसंगांचा हृद्य परामर्श वाचकांच्या मनातील राजकारण्यांविषयीची प्रतिकूल प्रतिमा काही अंशी बदलू शकेल एवढा प्रभावी आहे. शासकीय सेवा पार पाडताना नोकरशाहीतील अनेक आव्हाने झेलावी लागतात, कौटुंबिक जीवनाचा प्राधान्यक्रमही कित्येक प्रसंगी दूर ठेवावा लागतो. ही बाजूही सुभेदार यांनी संयत शब्दांत मांडली आहे. व्यक्तिगत स्तरावर विविध मान्यवरांबरोबर सुभेदार यांचे अत्यंत जिव्हाळ्याचे ऋणानुबंध आहेत. तथापि, त्यांनी कधीही अशा नात्यागोत्याचा प्रभाव आपल्या कारकिर्दीवर पडू दिला नाही. ही उपलब्धी आजच्या काळात दुर्मिळ म्हणावी लागेल. ग्रामीण भागातून आलेला एक जिद्दी तरुण परिश्रम आणि सचोटी यांच्या जोरावर सार्वजनिक जीवनात उच्च पदावर कसा पोहोचू शकतो, समाजोपयोगी भरीव योगदान कसे देऊ शकतो, याचा वस्तुपाठ म्हणजे ‘सुभेदारी' हे प्रांजळ आत्मकथन म्हणता येईल. - दिलीप चावरे ‘टाइम्स ऑफ इंडिया'चे निवृत्त पत्रकार Subhedari | Avinash Subhedar सुभेदारी - अविनाश सुभेदार
Gandhi Ki Mezbani
- Author Name:
Muriel Lester
- Book Type:

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Description:
महात्मा गांधी के अपने विपुल साहित्य और लेखन के अलावा उन पर लिखी गई सामग्री भी विपुल है। फिर भी उन्हें और नज़दीक से जानने-समझने की इच्छा भी शिथिल नहीं पड़ती। उनके समकालीनों के अनेक संस्मरणों में गांधी जी जब-तब सजीव होते रहते हैं। ऐसी ही एक पुस्तक बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में एक अंग्रेज़ महिला ने प्रकाशित की थी जिन्होंने कुछ समय के लिए गांधी जी की मेज़बानी की थी। उसमें इस अनोखे व्यक्ति की सहज मानवीयता, आत्मविश्वास, अपनी दृष्टि और मूल्यों पर हर हालत में अड़े रहने के प्रसंग सहज प्रवाह में आए हैं। एक ऐसे समय में जब हम पश्चिम के आतंक और अनुकरण में मुदित मन लगे हैं, यह पुस्तक उस आतंक से सर्वथा मुक्त एक भारतीय आत्मा को एक बार फिर सामने लाती है और उसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता है।
—अशोक वाजपेयी
C.V. Raman : A Biography
- Author Name:
Uma Parameswaran
- Book Type:

- Description: Celebrated for his groundbreaking discovery, the Raman Effect, C.V. Raman (1888–1970) was the first non-white and the first Asian to receive a Nobel Prize in the sciences in 1930. He also became the first Indian director of the Indian Institute of Science in Bangalore. While Raman’s scientific work is significant and well documented, his personal story is less known. In this thoroughly researched and comprehensive volume, the biographer sheds light on Raman’s personal vision, quirks, and struggles. In her attempt to record his life, she traces the influences and events that shaped Raman into the fascinating man and scientist he was.
Mohan Rakesh : Adhoore Rishton Ki Poori Dastan
- Author Name:
Jaidev Taneja
- Book Type:

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Description:
मोहन राकेश अपने आत्मानुभव के आधार पर बिलकुल सहज, सरल और स्वाभाविक शब्दों में केवल इतना ही कहते हैं, ‘आओ, प्यार करें, बिना ये जाने कि प्यार क्या है?’ उनके लिए प्यार सीखने की नहीं, करने की कला है। राकेश के प्यार का दायरा केवल व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक मानवीय सम्बन्धों तक ही सीमित नहीं है। उनका प्यार पशु-पक्षियों, पहाड़ों, नदियों, झरनों, समुद्र तटों, पेड़-पौधों, जंगलों, चाँद-सितारों, सृष्टि और प्रकृति के लघु-विराट् और अनन्त रूपों तक फैला है।
इस पुस्तक का विषय राकेश के जीवन में अनेक बार आया प्यार और उस प्यार की आलम्बन रही स्त्रियों से उनके आधे-अधूरे रिश्तों के ज्ञात इकतरफा सच को, अनेक स्रोतों एवं सूत्रों से प्राप्त दूसरी तरफ के अल्पज्ञात सच के बरक्स रखकर, अपेक्षाकृत पूरे सच की तलाश पर केन्द्रित है।
अपनी भावनात्मक ज़रूरतों और ‘घर’ की तलाश में राकेश आजीवन छटपटाते-भागते रहे। कई स्त्रियाँ उनके जीवन में आईं, लेकिन फिर भी उनके जीवन का वह मूल प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है कि वह स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के मामले में कभी भी पूरी तरह सुखी और सन्तुष्ट क्यों नहीं हो पाए?
अधूरे रिश्तों का यह सवाल राकेश के सन्दर्भ में अपेक्षाकृत अधिक जटिल, गम्भीर और महत्त्वपूर्ण है, खासतौर से तब जब हम यह जानते हैं कि इसका वास्तविक सम्बन्ध राकेश के अपने अन्तर्विराेधों तथा उनकी शर्तों एवं लगभग असम्भव अपेक्षाओं से है।
‘किसी विशिष्ट स्त्री’ की तलाश ही शायद वह मूल कारण रहा होगा जिसके लिए मोहन राकेश को अपने जीवन में कई स्त्रियों से होकर गुज़रना पड़ा।
इस पुस्तक में आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, साक्षात्कार, इतिहास, आत्मालोचना और किसी हद तक नाटक एवं कथा, आदि विधाओं के भी कई तत्त्व समाहित हैं। इन्हीं के सहारे यह पुस्तक आधुनिक हिन्दी साहित्य और रंगकर्म के सम्मोहक तथा विवादास्पद मिथक पुरुष के व्यक्तित्व के रहस्यमय नेपथ्य-लोक की अन्तर्यात्रा करने का प्रयास करती है।
Meri Atmakatha
- Author Name:
Charles Chaplin
- Book Type:

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Description:
इस नायाब और मुश्किल शख़्स के बारे में काफ़ी कुछ बताती है यह किताब...एक अनूठा जीवन्त चित्रण।
—द न्यूयॉर्क टाइम्स
अपने घर के सामने से गुज़रते हुए वाडेविल के सजे-धजे अभिनेता सितारों को देखकर चार्ली चैप्लिन चकित भी होते और प्रेरित भी। तब उनकी उम्र बहुत कम थी। लेकिन उस समय उनके दिल में अभिनेता बनने की जो चाह पैदा हुई, वह ताउम्र बनी रही।
यह उनकी आत्मकथा है।
दुनिया-भर में ‘लिटिल ट्रैम्प’ के रूप में विख्यात चार्ली चैप्लिन के जीवन के कई अन्य पहलू भी इसमें उजागर हुए हैं। दक्षिण लंदन की झुग्गियों में घोर ग़रीबी में बीता बचपन, माता-पिता के तनावपूर्ण सम्बन्ध, फिर संगीत हॉल के मंच पर अभिनय की शुरुआत, अमेरिका में मिला वह शानदार ब्रेक, अपने काम पर अपना नियंत्रण बनाए रखने का कलागत संघर्ष, एक के बाद एक असफल विवाहों का संताप, वामपंथी राजनीति और व्यक्तिगत आरोपों के चलते हॉलीवुड से निर्वासन...
यह पुस्तक उनके जीवन के हर पड़ाव के बारे में बताती है; वे कैसे सोचते थे, कैसे फ़ैसले लेते थे, यह भी। अपने समय की राजनीति, और उस समय के महान नेताओं के बारे में उनके क्या विचार थे, उनके समकालीन व्यक्तित्वों से उनकी मुलाक़ातें जिनमें बर्नार्ड शॉ, आइंस्टीन और गांधी जी भी शामिल हैं, यह सभी कुछ इसमें है।
बीसवीं सदी के सर्वाधिक उल्लेखनीय व्यक्तित्वों में से एक चार्ली चैप्लिन की अपनी कहानी, उनके अपने शब्दों में।
Nit Naval Rajkamal
- Author Name:
Subhash Chandra Yadav
- Book Type:

- Description: Biography
Aur Babasaheb Ambedkar Ne Kaha : Vols. 1-6
- Author Name:
DR. B.R. Ambedkar
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- Description: वह अम्बेडकर ही थे जिनके सिद्धान्तों ने दलित वर्ग को नई चेतना प्रदान की। और बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा...उन्हीं के 1920 से लेकर 1956 तक के लेखों, अभिलेखों और अभिभाषणों का संकलन है। पाँच खंडों में विभाजित इस रचनावली में डॉ. अम्बेडकर की उसी सामग्री को लिया गया है जो अभी तक केवल मराठी में उपलब्ध थी। हमें खुशी है कि हम इस सामग्री को पहली बार सीधे हिन्दी में उपलब्ध करा रहे हैं। पहले खंड में बाबासाहेब के 1920 से 1928 तक के लेख व अभिभाषण प्रस्तुत हैं। अपने भाषणों में डॉ. अम्बेडकर ने जहाँ ब्राह्मणवाद पर कड़ा प्रहार किया, वहीं उन्होंने दलितों को भी नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। प्रथम खंड में प्रस्तुत सामग्री बताती है कि किस तरह से हजारों सालों से दलितों पर हो रही जुल्म-ज्यादतियों के खिलाफ लडऩे के लिए बाबासाहेब ने दलित वर्ग को मानसिक रूप से सुदृढ़ किया और उन्हें उनके उद्धार का रास्ता भी दिखाया। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह खंड दलित वर्ग ही नहीं बल्कि सामाजिक क्रान्ति में विश्वास रखनेवाले सभी महानुभावों की जिज्ञासाओं को तुष्ट करेगा।
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