Aadhunik Kaal : Paryavaran, Arthvyavstha, Sanskriti (Bharat 1880 to 1950)
Author:
Sumit SarkarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789389598292
Pages: 440
Avg Reading Time: 15 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
गांधी के ‘हिन्द स्वराज’ का प्रखर उपनिवेश विरोधी तेवर सौ साल बाद आज और भी प्रासंगिक हो उठा है। नव उपनिवेशवाद की विकट चुनौतियों से जूझने के संकल्प को लगातार दृढ़तर करती ऐसी दूसरी कृति दूर–दूर नज़र नहीं आती। उसकी शती पर हुए विपुल लेखन के बीच उस पर यह किताब थोड़ा अलग लगेगी। इसकी मुख्य वजह गांधी के बीज–विचारों को अपेक्षाकृत व्यापकतर परिप्रेक्ष्य में समझने की इसकी विशद–समावेशी और संश्लिष्ट दृष्टि है।
इसमें गांधी के सोच और कर्म के मूल में सक्रिय विचारकों और इतिहास नायकों—मैज़िनी, टॉलस्टॉय, रस्किन, एमर्सन, थोरो, ब्लॉवत्स्की, ह्यूम, वेडेनबर्न, नौरोजी, रानाडे, आर.सी. दत्त, मैडम कामा, श्याम जी कृष्ण वर्मा, प्राणजीवन दास मेहता और गोखले आदि के अद्भुत जीवन और चिन्तन की संक्षिप्त पर दिलचस्प बानगी तो है ही, साथ ही गांधीमार्गी मार्टिन लूथर किंग जू., नेल्सन मंडेला, क्वामेन्क्रूमा, केनेथ क्वांडा, जूलियस न्येरेरे, डेसमंड टूटू और सेज़ार शावेज़ आदि के विलक्षण अहिंसक संघर्ष की प्रेरक झलक भी।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भ्रष्ट सरकारों के साथ निर्लज्ज दुरभिसन्धि को उजागर कर उनके पर्यावरण और मानवद्रोही चरित्र के विरुद्ध गांधी की परम्परा में संघर्षरत और शहीद नाइजीरिया के अदम्य केन सारो वीवा और उनके साथियों के मार्मिक प्रसंग इसमें गहराई से उद्वेलित करते हैं। आधुनिक सभ्यता की जड़ें मशीन और उससे प्रेरित अन्धाधुन्ध औद्योगीकरण में हैं। उनके प्रबल प्रतिरोध का गांधी का जीवट जगज़ाहिर है। अकारण गांधी उत्तर–आधुनिकता के प्रस्थान–बिन्दु नहीं माने
जाते।पुस्तक सोवियत रूस की कम्युनिस्ट तानाशाही के ख़िलाफ़ हंगरी, चेकोस्लोवाकिया और पोलैंड के आत्मवान राज नेताओं इमरे नागी, वैक्लाव हैवेल और लेस वालेश के अहिंसक प्रतिरोध की गौरव–झाँकी के साथ गांधी की सोच के वैश्विक और उत्तर–आधुनिक आयाम को बख़ूबी उद्घाटित करती है। ‘हिन्द स्वराज’ का गुजराती मूल इस पुस्तक के ज़रिए पहली बार देवनागरी में आया है। कई अनुशासनों से रस ग्रहण करता ‘हिन्द स्वराज’ पर इस अनूठे विमर्श का प्रांजल–ललित गद्य इसे बेहद पठनीय बनाता है।
Yashpal Ka Viplav-Vol. 4
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

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Description:
‘यशपाल का विप्लव’-4 में संकलित लेख स्वातंत्र्योत्तर भारत के लगभग सभी पहलुओं पर मंत्रणा करते दिखते है। फिर चाहे मुद्दा साहित्य, संस्कृति और भाषा का हो, कांग्रेसवाद बनाम मार्क्सवाद का हो, या एक नयी वैश्विक व्यवस्था में भारत की छवि और कर्तव्यों का हो। यहाँ एक ऐसी विस्तृत और समावेशी तस्वीर उभरती है जिसे किसी एक उपन्यास या कई कहानियों में भी समेटना नामुमकिन है। इस लिहाज़ से 'विप्लव' का चौथा भाग भारत के बौद्धिक इतिहास की प्रस्तावना उकेरता है—एक ऐसी पृष्ठभूमि जो आजादी से लेकर अबतक हमारे सामाजिक जीवन को प्रभावित-पोषित करता आई है।
इन लेखों में यशपाल एक दुस्साहसी संपादक के रूप में निखरते हैं जो अपनी लेखनी में तटस्थ पत्रकारिता, तथ्यपरक विवेचना और साहित्यिक स्वायत्तता की एक अनूठी मिसाल प्रस्तुत करता है। शैली और भाषा का एक ऐसा नमूना जो आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है। यह कहना उचित होगा कि यशपाल का साहित्य और उनकी पत्रकारिता, दोनों क्रांतिकारी संघर्ष की बौद्धिक उपज हैं। और एक दूसरे के पूरक भी हैं। इसलिए यह किताब हिंदी साहित्य और भारतीय इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए अनिवार्य है।
Mera Desh Badal Raha Hai
- Author Name:
Dr. A.P.J. Abdul Kalam
- Book Type:

- Description: आज बड़ी संख्या में भारतीय युवा क्षमतावान, समर्पित, दृढ-संकल्पित, आदर्शवादी और कड़ी मेहनत करनेवाले हैं। उनमें अद्भुत शक्ति, सामर्थ्य और क्षमता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का युवाओं को प्रबुद्ध बनाने के प्रति विशेष आग्रह था। यद्यपि डॉ. कलाम का पूरा ध्यान बच्चों और किशोरों पर ही केंद्रित रहा, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर वयस्कों के लिए भी खूब काम किया। उन्होंने सभी लोगों को अपनी कमियाँ और कमजोरियाँ पहचानकर उनसे पार पाने का मार्ग दिखाते हुए जीवन में सफल होने के लिए अगले उचित कदम उठाने के लिए आह्वान किया। डॉ. कलाम के प्रेरक विचारों ने समाज में एक नई चेतना, नए उत्साह और नई स्फूर्ति का संचार किया। भारत सशक्त-सबल-समर्थ बने और विश्व में अप्रतिम स्थान बनाए, ऐसी दृष्टि उन्होंने समाज को दी। डॉ. कलाम के 25 भाषणों के माध्यम से यह पुस्तक जीवन के विविध पहलुओं के लिए अच्छी शिक्षक है, जैसे एक परिपूर्ण जीवन के लिए आवश्यक आदर्श रिश्ते कैसे बनाएँ, जीवन के विविध पहलुओं में संतुलन कैसे कायम करें और कैसे एक संतुष्ट, सफल और उत्साहपूर्ण जीवन जिएँ, ताकि स्वस्थ समाज, समर्थ राष्ट्र का निर्माण हो सके।
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