
Sookhi Tahani Per Hariyal
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
106
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
212 mins
Book Description
अम्बर बहराइची उर्दू और हिन्दी के दरमियान एक पुल बनाना चाहते हैं। मुबारक़ है उनका ये अक़दाम। मुझे उनकी हिन्दी और संस्कृत पसन्दी से कहीं ज़ियादा महबूब है उनका अपने गाँव की धरती से अटूट रिश्ता बनाए रखना।</p> <p>— ज्ञानचन्द्र जैन</p> <p>अम्बर बहराइची जैसे रासिख़ुल अक़ीदा मुसलमान की मिसाल एक ऐसे गुलाब की सी है जिसका बीज चाहे कहीं से भी आया हो लेकिन वो फूटा है हिन्दुस्तान की धरती की कोख से और हिन्दुस्तान ही के मौसमों का रस पीकर वो बार-आवर हुआ है। अपनी जड़ों से इस दर्जा पैवस्तगी के साथ जब कोई शाइर महाकाव्य लिखने का जतन करेगा तो वह अजम के ख़यालात में खोकर नहीं रह जाएगा। उसकी तख़लीक़ का आधार होगा संस्कृत का रस सिद्धान्त।</p> <p> — ख़लीक़ अंजुम</p> <p>अम्बर बहराइची ने रिवायती तरक़्क़ीपसन्दी और रिवायती जदीदियतपसन्द भेड़चाल से अलग-अलग अपनी हक़ीक़ी तख़लीक़ियतआफ़रीं राह निकाली है। दयारे-ग़ज़ल में भी अब उनकी तराशीदा और मुस्तहकम और हज़ारों बेचेहरा सदाओं में अलग राह पहचानी जाती है। बक़ौल गोपीचन्द नारंग, आज़ाद तख़लीक़ियत और आज़ाद मुकालेमा नए अहद का दस्तख़त है। उन्होंने सबसे मुख़्तलिफ़ ख़ालिस हिन्दुस्तानी अक़दारी तरजीही निज़ाम के साथ एक जागती और जगमगाती कविता-यात्रा की है जो ज्योति-रस से मुनव्वर है।</p> <p> — निज़ाम सिद्दीक़ी</p> <p>अम्बर बहराइची बेहतरीन तख़लीक़ी सलाहियतों के मालिक हैं। उनका विजदान मुतहर्रिक है, उनकी नज़्म में विजदान ने जज़्बात में तुन्दी और तेज़ी पैदा तो की है, जज़्बों के हैजान और जोश की भी पहचान होती है, लेकिन मौज़ूअ के तक़द्दुस और वाक़ियात के जमाल की वजह से तवाज़ुन क़ाइम रहता है।</p> <p>— शकीलुर्रहमान