Ek Thag Ki Dastan

Ek Thag Ki Dastan

Language:

Hindi

Pages:

448

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

896 mins

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Book Description

700 से अधिक हत्याएँ करके अपराध के महासिन्धु में डूबा हुआ अमीर अली जेल में सामान्य बन्दियों से पृथक् बड़े ठाट-बाट से रहता था। वह साफ़ कपड़े पहनता, अपनी दाढ़ी सँवारता और पाँचों वक़्त की नमाज़ अदा करता था। उसकी दैनिक क्रियाएँ नियमपूर्वक चलती थीं। अपराधबोध अथवा पश्चात्ताप का कोई चिह्न उसके मुख पर कभी नहीं देखा गया। उसे भवानी की अनुकम्पा और शकुनों पर अटूट विश्वास था। एक प्रश्न के उत्तर में उसने कहा था कि भवानी स्वयं उसका शिकार उसके हाथों में दे देती हैं, इसमें उसका क्या कसूर? और अल्लाह की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। उसका यह भी कहना था कि यदि वह जेल में न होता तो उसके द्वारा शिकार हुए यात्रियों की संख्या हज़ार से अधिक हो सकती थी।</p> <p>प्रस्तुत पुस्तक ‘एक ठग की दास्तान’ 19वीं शताब्दी के आरम्भ काल में मध्य भारत, महाराष्ट्र तथा निजाम के समस्त इलाक़ों में सड़क-मार्ग से यात्रा करनेवाले यात्रियों के लिए आतंक का पर्याय बने ठगों में सर्वाधिक प्रसिद्ध अमीर अली के विभिन्न रोमांचकारी अभियानों की तथ्यपरक आत्मकथा है। इसे लेखक ने स्वयं जेल में अमीर अली के मुख से सुनकर लिपिबद्ध किया है।</p> <p>औपन्यासिक शैली में प्रस्तुत अत्यधिक मनोरंजक आत्मकथात्मक पुस्तक।

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