
Bhartiya Spin Gendbaji Ki Parampara
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
208
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
416 mins
Book Description
भारतीय स्पिन गेंदबाज़ी का इतिहास क़रीब सौ साल पुराना है। हमारे देश की तस्वीर ही स्पिन गेंदबाजी की है व हमारी गेंद पट्टियाँ भी स्पिन गेंदबाज़ों को ही रास आती रही हैं। स्पिन कला भारतीय उपमहाद्वीप की विशेषता मानी जाने लगी है। यहाँ की मिट्टी ही नहीं, हवा-पानी में भी स्पिन की महक महसूस होती है।</p> <p>भारत में सभी तरह की स्पिन गेंदबाज़ी फलती, फूलती व विकसित होती रही है। इसमें बाएँ हाथ की स्पिन गेंदबाज़ी भी है व दाहिने हाथ की ऑफ़ स्पिन व कलाई मोड़कर की जानेवाली लेग स्पिन और गुगली भी। बाएँ हाथ के स्पिनर्स में पी. बालू, जमशेद जी, वीनू मनकड़, हीरालाल गायकवाड़, सलीम दुर्रानी व नाडकर्णी भी हैं और बिशन सिंह बेदी, दिलीप दोषी, मनिन्दर सिंह व राजू भी। इसी तरह दाहिने हाथ के ऑफ स्पिनर्स में ग़ुलाम अहमद, प्रसन्ना, वेंकटराघवन, शिवलाल यादव व हरभजन सिंह प्रमुख हैं। दाहिने हाथ के लेग स्पिन गुगली गेंदबाज़ों में एस.एम. जोशी, सी.एस. नायडू, एस.जी. शिन्दे, सुभाष गुप्ते, नरेन्द्र हिरवानी व अनिल कुम्बले विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।</p> <p>आज भारत के सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेनेवाले गेंदबाज़ अनिल कुम्बले भी लेग स्पिनर ही तो हैं। रणजी ट्रॉफ़ी और इससे पहले मुम्बई की मुम्बई स्पर्धा—विशेषकर त्रिकोणी, चतुष्कोणी एवं पंचकोणी स्पर्धा—में भी स्पिन गेंदबाजी का ही दबदबा रहा है।</p> <p>यह पुस्तक भारतीय स्पिन गेंदबाज़ी की परम्परा पर ही केन्द्रित है। मगर अन्तिम अध्याय में विश्व के सार्वकालिक महान स्पिन गेंदबाज़ों का भी उल्लेख किया गया है। क्रिकेट प्रेमी पाठकों के लिए यह न केवल उपहार है बल्कि जानकारी के साथ-साथ पठनीयता का रचनात्मक आस्वाद भी प्रदान करती है।