
Dr. Babasaheb Ambedkar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
136
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
272 mins
Book Description
जाति और अस्पृश्यता के दलदल में फँसे भारतीय समाज को उबारने का उपक्रम करनेवालों में डॉ. आंबेडकर अग्रणी हैं। उनका चिंतन मनुष्य की मुक्ति से जुड़ा है। वह समतावादी समाज का सपना देख रहे थे। आकाशवाणी पर दिए गए अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था, “शंकराचार्य के दर्शन के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं—स्वतंत्रता, समता और बन्धुभाव। मैंने इन शब्दों को फ्रेंच राज्य क्रान्ति से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं, राजनीति में नहीं। मेरे गुरु बुद्ध के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं।”</p> <p>हिन्दी में डॉ. आंबेडकर पर ढेरों पुस्तकें और पुस्तिकाएँ उपलब्ध हैं। जो पुस्तकें ठीक हैं, वे मिलती नहीं और पुस्तिकाओं में सिवाय व्यक्तिपूजा के कुछ होता नहीं। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह पुस्तक लिखी गई है, ताकि एक शताब्दी पूर्व जन्मे इस महापुरुष का विराट व्यक्तित्व खुलकर सामने आए और पाठकों को उद्वेलित कर सके।