Hatya Aur Atamhatya Ke Beech Mariya
Author:
Veriar ElwinPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
इस किताब का आधारभूत उद्देश्य हिंसा अपराधों के पीछे छिपे मनोविज्ञान को समझना है जो सबसे कम बिगड़े तथा भारतीय आदिवासियों में श्रेष्ठ प्रजाति के लोगों द्वारा किए जाते हैं, तथा वे परिस्थितियाँ जो यहाँ के आदमी, औरतों को आत्महत्या करने के लिए उकसाती हैं।</p>
<p>ऐसी कृति तथा शोधकार्य उन आदिवासियों को, जो जजों तथा मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधी करार दिए जाते हैं, सावधानी तथा बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से समझने तथा उनके साथ सलूक करने के लिए मार्गदर्शन दे सकते हैं। यह कृति निश्चित रूप से दंडित करने तथा आदिवासी कैदियों के साथ जेल में किए जानेवाले व्यवहार पर भी प्रश्न उठाती है। इस किताब के शुरुआती पृष्ठों में मारिया जीवन की विविधता को सारांश में बतलाया गया है। इस संक्षिप्तता में ही उनके अनेक विविध पक्षों को उजागर किया गया है। यह किताब अपराधों के अध्ययन की अपेक्षा सामाजिक नृतत्त्व विज्ञान के लिए एक अमूल्य योगदान है।
ISBN: 9788126712946
Pages: 272
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: हममें से हरेक ने अपने जीवन में या तो स्वतः या दूसरों के अनुभवों से अपने चहेतों की अचानक मृत्यु और सदमे की इस घबराहट का अनुभव किया है। वह हमारे मित्रों, संबंधियों और अपरिचितों में से कोई भी हो सकता है। एक खुशहाल परिवार में रोजी कमानेवाला व्यक्ति पत्नी के अच्छे जीवन, बच्चों की शिक्षा, विवाह, जीवन की शुरुआत और परिवार का यदि कोई ऋण हो तो उसके लिए एक आशा और सुनिश्चितता होती है। उसकी अनुपस्थिति में ये आशाएँ एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन जाती हैं। जीवन बीमा एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो आवश्यकता के समय परिवार की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है। इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य जीवन बीमा को इसके बीमांकन या वित्तीय रूप में देखना नहीं है, बल्कि इसके कानूनी पहलुओं को सामने लाना है, ताकि यह लाखों पॉलिसीधारकों को उनकी आवश्यकता के समय बिना किसी परेशानी के इसके लाभ को प्राप्त करने और जिस उद्देश्य के साथ बीमा लिया गया है, उसको पूरा करने की सुनिश्चितता के लिए एक पथ-प्रदर्शक के रूप में सेवा प्रदान करे। बीमा संबंधी समस्त जानकारी से परिपूर्ण एक उपयोगी पुस्तक। अंतिम आवरण पृष्ठ जीवन बीमा एक आवश्यकता है, जो कि जरूरत है समय वित्तीय सुरक्षा की सुनिश्चितता प्रदान करती है; परंतु यदि इसके नियम व शर्तों को नहीं समझा जाता या उनका पालन नहीं होता है तो यह भले के बजाय बुरा अधिक कर सकती है। लेखक ज्ञानसुंदरम कृष्णमूर्ति, पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जीवन बीमा निगम ने जीवन बीमा और इसके दावों से जुड़े कानूनी पहलुओं का मुकदमों के अध्ययन द्वारा सोदाहरण विवेचना की है। पुस्तक पथ-प्रदर्शक के रूप में— पॉलिसीधारकों के लिए • पॉलिसी खरीदने के पहले और बाद में उनके अधिकारों और दायित्व की विवेचना हेतु। • दावों के अमान्य होने पर शिकायत सुधार प्रक्रिया के अनुसरण हेतु। बीमाकर्ताओं के लिए • बीमा की जानकारी एवं इसके कानूनी पहलुओं की आधुनिकता की समझ हेतु। • मुआवजे और बिक्री के लिए अपने ग्राहकों को बेहतर मार्गदर्शन का प्रस्ताव देने के लिए। • पॉलिसी लेने से पूर्व अपने ग्राहकों को विवेचित करना कि उन्हें ‘क्या’ जानना जरूरी है।
Bundelkhand Ki Sanskrtik Nidhi
- Author Name:
Mahendra Kumar Navaiya
- Book Type:

- Description: वैसे तो देश में हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं और इन सब बोलियों का अपना-अपना महत्त्व अपनी-अपनी जगह है | मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में भी बुंदेलखंडी बोली बोली जाती है, जिसका अपना एक अंदाज है | किसी भी बोली को अलंकृत करने, मोहक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए उस बोली में पहेलियों, कहावतों, मुहावरों, कहानियों और अहानों का विशेष महत्त्व होता है। बुंदेलखंडी बोली में लोक-स्मृति में आज भी ऐसी पहेलियाँ, कहावतें, कहानी, अहाने और मुहावरे सुरक्षित एवं संरक्षित हैं | यह सब पुरानी पीढ़ी के पास ही है, ऐसी लोक-स्मृतियों को एक जगह समेटने में आज तक कोई प्रयास नहीं हुआ है, संभवत 'बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि' एकमात्र ऐसी पुस्तक है, जिसे लेखक ने लोक स्मृतियों से निकालकर साहित्य के रुप में संरक्षित किया है। इतना ही नहीं, बुंदेलखंड की सांस्कृतिक निधि पुस्तक बच्चों, युवाओं और सभी आयु वर्ण के लोगों को बुंदेलखंड के रीति-रिवाज, बुंदेली बोली के गूढ़ रहस्यों, पहेलियों, कहावतों, कहानियों, मुहावरों और अहान से परिचित कराने में मील का पत्थर है। निश्चित रूप से आज की चकाचौंध भरी दुनिया में ऐसे ज्ञानमयी साहित्य की आवश्यकता है, जिसे लेखक ने इस पुस्तक में बखूबी सजाया है|
Maa Ka Dard Kya Vo Samjhta Hai
- Author Name:
Arun Shourie
- Book Type:

- Description: एक किताब उन सबके लिए, जिन्हें कष्ट और नुकसान से जूझना पड़ा। यदि ईश्वर है, जो सबकुछ जानता है, सर्वशक्तिमान है और करुणामय भी है, तो चारों तरफ इतना असहनीय दुःख क्यों? हमारे धार्मिक शास्त्रों में कष्ट पर सफाई में क्या कहा गया है? क्या वह सफाई जाँच में टिक पाती है? क्या हमारा अनुभव इस बात को स्वीकार करता है कि ईश्वर है? या फिर दो शैतान— समय और संयोग उन सबका कारण है, जिनसे हमें गुजरना पड़ता है? दुःख और कष्ट का अनुभव कर चुके अरुण शौरी ने शास्त्रों की अग्नि-परीक्षा ली और फिर हमें बताया कि क्यों अंततः उनका झुकाव बुद्ध की शिक्षा की ओर हुआ। उनकी शिक्षा में हमारे दैनिक जीवन के लिए कौन से संदेश हैं?
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