
Dhuno Ki Yatra
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
767
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
1534 mins
Book Description
‘धुनों की यात्रा’ हिन्दी फ़िल्म के संगीतकारों पर केन्द्रित ऐसी पहली मुकम्मिल और प्रामाणिक पुस्तक है, जिसमें सन् 1931 से लेकर 2005 तक के सभी संगीतकारों का श्लाघनीय समावेश किया गया है। संगीतकारों के विवरण और विश्लेषण के साथ उनकी सृजनात्मकता को सन्दर्भ सहित संगीत, समाज और जनाकांक्षाओं की प्रवृत्तियों से गुज़रते पहली बार इस पुस्तक के माध्यम से रेखांकित किया गया है। ‘धुनों की यात्रा’ में मात्र संगीत की सांख्यिकी को ही नहीं देखा गया है, वरन् संगीत रचनाओं के तत्कालीन जैविक और भौतिक अनुभूतियों के साथ ही संगीत के राग, ताल, प्रभाव, बारीकी और उसकी विशिष्टताओं के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश, चेतना और उसके पुराने एवं नए ढहते और बनते रूपाकारों को उसके उल्लास, आवेश-आवेग, संघर्षों एवं संयोजनों को भी सूक्ष्मता के साथ विवेचित किया गया है।</p> <p>आम तौर पर फ़िल्मी संगीत के बारे में धारणा और प्रारम्भिक आकर्षण रोमान का ही होता है। ‘धुनों की यात्रा’ इस मिथकीय भ्रम को तोड़ती है। स्वातंत्र्य चेतना के प्रादुर्भाव, स्वतंत्रता आन्दोलन, रूढ़ सामाजिक विसंगतियों के प्रति अलगाव, विभिन्नता, बहुलता और बहुमत के प्रति लगाव, जनाकांक्षा की तीव्र अभिव्यक्ति, धर्म और बाज़ार के खंड-खंड पाखंड, युवा और युवतर चेतना की सशक्त वैश्विक दृष्टि, उनकी शैलियों और उनके समय की पड़ताल के सन्दर्भ में यह पुस्तक फ़िल्मी संगीत पर सर्वथा नए दृष्टि पथ का निर्माण करती है।</p> <p>स्वतंत्रता के पूर्व की चेतना से लेकर आज के भूमंडलीकरण के दौर तक, संगीत की सन्दर्भों के साथ बदलती प्रवृत्तियों की यह यात्रा आम पाठकों और संगीत रसिकों के लिए तो उपयोगी है ही; साथ ही भारतीय फ़िल्म संगीत के इतिहास, सांगीतिक धुनों की छवि और छाप, शैलियों की विविधता और विशिष्टता, राग और तालों के विवरण और विस्तार तथा फ़िल्म संगीत के क्रमिक विस्तार के तत्त्वों और सन्दर्भों के कारण फ़िल्म संगीत के विद्यार्थियों के लिए भी यह अनिवार्य सन्दर्भ पुस्तक के रूप में महत्त्वपूर्ण और उपयोगी होगी।