Sukhi Mrityu
Author:
Albert CamusPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
एक लोकप्रिय लेखक होने के साथ-साथ कामू एक महान चिन्तक भी थे। जीवन-भर वे अपनी आत्मा और प्रतिभा की पूरी शक्ति से, विचार के पूर्ण प्रयास तथा अन्तरात्मा की वेदना से अपने समय की जटिल व यातनाप्रद समस्याओं में उलझे रहे। उनकी रचनाओं में मानव की आत्मा के विद्रोह, सच्चे सुख के रहस्य की खोज और सत्य का मूल रूप जानने की चिर-अतृप्त जिज्ञासा बहुत गम्भीरता से व्यक्त हुई है। ‘सुखी मृत्यु’ उपन्यास भी जीवन-सुख और उसी में निहित मृत्यु-सुख को समझने के प्रयास का विवरण है।</p>
<p>जीवन में सुख प्राप्त करना जिससे कि मृत्यु भी एक सुखद अनुभव रहे; ऐसा सम्पूर्ण सुख कैसे मिले? यही इस उपन्यास की केन्द्रीय समस्या है। उपन्यास का पहला भाग जीवन की इस समस्या का अदीप्त, अस्पष्ट पहलू हमारे सामने रखता है जब नायक के पास न तो मानसिक परिपक्वता है, न आर्थिक क्षमता और न ही समय। दूसरा भाग उसके मन के सुख, शान्ति और आन्तरिक आनन्द को प्रस्तुत करता है।</p>
<p>कहा जाता है कि कामू के अत्यन्त चर्चित उपन्यास ‘अजनबी’ का अंकुर ‘सुखी मृत्यु’ उपन्यास में ही संहत है।
ISBN: 9788119835171
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: एक चिथड़ा सुख सुख की चाह लिये चलते हुए लोगों की कहानी है—सुख को जीतने के लिए भागते-दौड़ते लोगों की नहीं। इस उपन्यास के पात्र जो किसी-न-किसी तरह कहीं से उखड़े हुए हैं, कोई हताशा जिनके भीतर बिंधी है, अपने जीवन को कोई अर्थ देना चाहते हैं, अपने-आपको पा लेना चाहते हैं, पूरा होना चाहते हैं, ये लोग हमारी उस दुनिया का एक ज़्यादा उजला प्रति-संसार रचते हैं, जहाँ हर कोई ख़ुद को पूरा मानते हुए, जीवन को तलाश की तरह नहीं, युद्ध की तरह शुरू करते हैं। निर्मल वर्मा के लेखन में उतरते ही जो सुख हमें अपने पास खींच लेता है, उसका उत्स इसी जगह है; कि वह सुस्पष्ट-सुव्यवस्थित उपलब्धि की हमारी दुनिया के मामूलीपन का विस्तार नहीं है, उसका विपर्यय है। वह एक आईने की तरह हमारे सामने आता है जिसमें हम अपनी छूँछी कुंठाओं के उथलेपन को देख पाते हैं, उनसे मुक्त हो जाते हैं। ‘एक चिथड़ा सुख’ के पात्र अपनी अपूर्णताओं में यह और बेहतर ढंग से कर पाते हैं। दिल्ली इस उपन्यास का भूगोल है। यहाँ वह भी एक पात्र की तरह दिखाई देती है और अपने इन अति संवेदनशील रहवासियों को अपनी पृष्ठभूमि में और साफ़, वेध्य दिखा पाती है।
Main Aur Wah
- Author Name:
Asha Prabhat
- Book Type:

- Description: प्रभात का यह उपन्यास एक औरत का ख़ुद को पहचानने और अपनी ख़ुदी को बरकरार रखने की अद्भुत संघर्ष-गाथा है। इसमें बाहरी और अंदरूनी स्तर पर घटनाएँ कुछ इस कदर शाइस्तगी से घटती हैं कि पाठक चौंकता है और ठहरकर सोचने पर विवश हो जाता है। इस उपन्यास में सदियों से प्रतीक्षारत इस सवाल का उत्तर तलाशने की एक पुरज़ोर कोशिश की गई है कि पति, पत्नी और वह के प्रेम त्रिकोण वाले सम्बन्धों में सबसे कमज़ोर स्थिति किसकी होती है? अपने स्वत्व की तलाश में जुटी स्त्रियों के भटकाव की परिणति से अवगत कराता यह उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की बारीकी से पड़ताल करता है। लेखिका ने औरत से व्यक्ति बन जाने की जद्दोजहद को बहुत ही सहज भाषा में अभिव्यक्त करने का उपक्रम किया है। कथा-प्रवाह और पठनीयता की दृष्टि से भी यह एक उल्लेखनीय कृति ह
Shakkar
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K. Chinnappa Bharti
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Description:
सुप्रसिद्ध समाजवादी चिन्तक और अप्रतिम नेता ई.एम.एस. नम्बूदिरिपाद के शब्दों में, चिन्नप्प भारती ने अपने पूर्ववर्ती उपन्यास ‘संगम’ और ‘दाहम’ में किसानों के हृदय में पनप रही वर्ग-चेतना और संगठन-बोध की जिस बेल को पल्लवित होते दिखाया था, ‘शक्कर’ में आकर वह परवान चढ़ जाती है। इस रचना में वर्ग-संघर्ष और क्रान्ति के सिद्धान्त को परिभाषित करते हुए एक सुलझी हुई रणनीति प्रस्तुत की गई है।
दो भागों में विभक्त इस उपन्यास का कथानक रोचक और सुगठित है। मिल-मालिक और मज़दूरों के संघर्ष और टकराव में मेहनतकश किसानों की भूमिका को रेखांकित करना कृषि-प्रधान देश भारत की यथार्थ परिस्थितियों के नितान्त अनुरूप है। अंग्रेज़ सरकार की फूट डालकर राज करने की नीति को अपनाते हुए चीनी मिल-मालिक मज़दूर यूनियन के प्रयासों को नाकाम करने के लिए पुत्र के नेतृत्व में समान्तर यूनियन बनाकर किसानों को मज़दूरों के ख़िलाफ़ बरगलाता है। हड़ताल के पहले चरण में किसानों का संघ मज़दूरों के ख़िलाफ़ लड़ता है। इस टकराव में यूनियन नेता कन्दसामी घायल होकर अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं। उन्हें अस्थायी रूप से निलम्बित किया जाता है। नेता-विहीन मज़दूर-यूनियन की बागडोर सँभालने के लिए युवा नेता वीरन आगे आता है। कन्दसामी द्वारा यूनियन गतिविधियों में प्रशिक्षित वीरन मज़दूरों और किसानों को संगठित करके उन्हें वर्ग-संघर्ष की ओर प्रेरित करता है। इस बीच यूनियन का चुनाव आता है जिसमें उम्मीदवार के रूप में खड़े नेता को मज़दूरों और प्रबन्ध के सहयोग की आवश्यकता होती है। इस प्रयास के चलते एक समझौता होता है जिसमें मज़दूरों की ज़्यादातर माँगे मंजूर कर ली जाती हैं और कन्दसामी को नौकरी पर बहाल किया जाता है।
इस प्रधान कथा के अन्दर एक रोमांटिक उपकथा भी है। कन्दसामी की बहन और युवा मज़दूर नेता वीरन के बीच अंकुरित प्रेम अन्त में विवाह में परिणत होता है।
‘शक्कर’ उपन्यास में चिन्नप्प भारती ने मालिक-मज़दूर के बीच हो रहे टकराव का तर्कपूर्ण विश्लेषण किया है। यही नहीं, इस उपन्यास में मज़दूरों की क्रान्ति के सिद्धान्त को वास्तविकता के धरातल पर परिभाषित करके एक सुलझी हुई रणनीति को रूप देने में भारती को पूरी कामयाबी मिली है।
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