Pablo Neruda : Ek Kaidi Ki Khuli Dunia

Pablo Neruda : Ek Kaidi Ki Khuli Dunia

Authors(s):

Arun Maheshwari

Language:

Hindi

Pages:

146

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

292 mins

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Book Description

पाब्लो नेरुदा जब 1971 में ‘नोबेल पुरस्कार’ लेने के लिए पेरिस से स्टाकहोम पहुँचे थे, उसी समय हवाई अड्डे पर ढेर सारे पत्रकारों में से किसी ने उनसे पूछा : ‘सबसे सुन्दर शब्द क्या है?’ इस पर नेरुदा ने कहा, ‘‘मैं इसका जवाब रेडियो के गाने की तरह काफ़ी फूहड़ ढंग से, एक ऐसे शब्द के ज़रिए देने जा रहा हूँ जो बहुत घिसा-पिटा शब्द है : वह शब्द है ‘प्रेम’। आप इसका जितना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, यह उतना ही ज़्यादा मज़बूत होता जाता है। और इस शब्द का दुरुपयोग करने में भी कोई नुक़सान नहीं है।’’</p> <p>नेरुदा की ही एक पंक्ति है : ‘‘कितना संक्षिप्त है प्यार और भूलने का अरसा कितना लम्बा।’’</p> <p>सिर्फ़ 23 वर्ष की उम्र में ही अपने संकलन ‘प्रेम की बीस कविताएँ और विषाद का एक गीत’ से विश्व प्रसिद्ध हो चुके प्रेम के कवि नेरुदा एक निष्ठावान कम्युनिस्ट थे। अपने जीवन में सकारात्मक बहुत कुछ को वे चिले की कम्युनिस्ट पार्टी की देन मानते थे। वे एक कवि और कम्युनिस्ट के अलावा एक राजदूत, दुनिया-भर में शरण के लिए भटकते राजनीतिक शरणार्थी, चिले के पार्लियामेंट में सीनेटर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी थे। वे आम लोगों और सारी दुनिया के साहित्य-प्रेमियों के प्रिय रहे, तो समान रूप से हमेशा विवादों में भी घिरे रहे। उनकी कविता की तरह ही उनका समूचा जीवन कम आकर्षक नहीं रहा है।</p> <p>यह पुस्तक प्रेम के कम्युनिस्ट कवि के सम्मोहक जीवन की बिना किसी अतिरंजना के एक प्रामाणिक तस्वीर पेश करती है। इसे पाब्लो नेरुदा पर हिन्दी में अपने ढंग की अकेली किताब कहा जा सकता है।</p> <p> 

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