
Thakkan Se Nagarjun : Ek Jeevan Yatra
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
504
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
1008 mins
Book Description
साहित्य की लगभग हर विधा में निष्णात माने जाने वाले नागार्जुन को लेकर अनेक लोगों ने अपने-अपने ढंग से लिखा है। कोई उनके परम्पराभंजक और प्रगतिशील रूप को अहमियत देता है, कोई उन्हें जनकवि कहता है, कोई नव-जनवादी। उनके प्रकृति-प्रेम पर मुग्ध होने वाले भी मिलेंगे, और उनके गद्य पर जान छिड़कने वाले भी कम नहीं हैं। कुछ हैं जो उनकी घुमक्कड़ी का ही बखान करते नहीं थकते। नागार्जुन ऐसी शख्सियत थे, जिनसे जुड़ा कोई न कोई किस्सा उनके शुभचिन्तकों-प्रशंसकों-समकालीनों और पाठकों तक के पास मिल जाएगा। इसीलिए यह भी स्वाभाविक है कि कई सच्ची-झूठी कहानियाँ भी उन्हें लेकर साहित्यिक दुनिया में बनीं और फैलीं। सार्वजनिक जीवन में जिस साहित्यकार की ऐसी बहुरंगी छवि है, उसकी निजी जिन्दगी कैसी रही होगी? साहित्यिक-रचनात्मक कर्म को सर्वोपरि मानने वाले नागार्जुन के रिश्ते अपने परिजनों के साथ किस तरह के रहे? पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में उनको कितना संघर्ष करना पड़ा? किस तरह के उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए वे साहित्य में एक नई लकीर खींच सके? उनकी बहुआयामी सृजनात्मकता की पृष्ठभूमि क्या रही? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस किताब में मिलेंगे। यह बाबा नागार्जुन की जीवनी है। जीवन की हर घटना को समेटने का दावा तो यह पुस्तक नहीं करती, लेकिन इसमें उनके जीवन के उन सभी पहलुओं पर रोशनी जरूर डाली गई है, जिनसे पता चलता है कि एक कर्मकांडी पिता की एकमात्र सन्तान ठक्कन कालान्तर में सबके चहेते ‘बाबा’ किस तरह बने। यह पुस्तक नागार्जुन को समझने की एक नई खिड़की खोलती है।