
Hindi Sahitya Ka Samikshatmak Itihas
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
320
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
640 mins
Book Description
हिन्दी साहित्य में रीति काव्य, ख़ासतौर से केशव पर डॉ. विजयपाल सिंह की पुस्तकें अत्यन्त लोकप्रिय रही हैं। इस पुस्तक में उन्होंने असाधारण प्रवाह के साथ हिन्दी साहित्य के विभिन्न चरणों और प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक अध्ययन किया है।</p> <p>अभी तक उपलब्ध विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखे गए इतिहासों को ध्यान में रखते हुए तथा नए तथ्यों को समाहित करते हुए इस पुस्तक में उन्होंने प्रयास किया है कि आरम्भिक काल से लेकर आधुनिक साहित्य तक का विस्तारपूर्वक विवेचन प्रस्तुत किया जा सके।</p> <p>लेखक ने इस कृति को ग्यारह खंडों में विभाजित किया है। खंडों का विभाजन साहित्येतिहास के आलोचकों, समीक्षकों तथा साहित्येतिहासकारों, अनुसन्धानों तथा टिप्पणियों के विश्लेषण और पुनर्मूल्यांकन के आधार पर किया गया है।</p> <p>लेखक ने डॉ. ग्रियर्सन, हजारीप्रसाद द्विवेदी, मिश्र-बन्धुओं, रामकुमार वर्मा, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, इडविन ग्रिब्ज जैसे विद्वानों द्वारा किए काल खंडों का भी पुनर्मूल्यांकन और विश्लेषण किया है।</p> <p>पुस्तक के लेखन में विद्वान आलोचक ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि विद्वज्जनों के साथ-साथ यह पुस्तक छात्रों, शोधार्थियों और सामान्य पाठकों के लिए भी सहज ग्राह्य हो।