Nakbesar Kaga Le Bhaga
Author:
Chandrakishore JaiswalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
चन्द्रकिशोर जायसवाल की कहानियों में भारतीय जीवन का यथार्थ अपने उसी रूप में आता है, जिस रूप में वह हमारे रोज़मर्रा जीवन का हिस्सा होता है। कोई वाद या विचार उसे न विकृत करता है, न महिमामंडित।</p>
<p>इस संग्रह में उनकी चर्चित कहानी ‘नकबेसर कागा ले भागा’ के अलावा छह और कहानियाँ शामिल हैं जो जीवन के विभिन्न पक्षों और हमारे आसपास के चरित्रों के सामाजिक और मानसिक अन्तर्जीवन का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करती हैं।</p>
<p>चन्द्रकिशोर जायसवाल लोक, परिवेश और जीवन के उपेक्षित क्षेत्रों की गहरी समझ रखते हैं। यही वह चीज़ है जो उनकी कहानियों को विश्वसनीय और समाजशास्त्रीय विवेचन के लिहाज से प्रामाणिक बनाती है।</p>
<p>इस संग्रह की शीर्षक कथा में उन्होंने भिखारियों के रहन-सहन, उनकी भावनाओं, इच्छाओं और आपस में उनके रिश्तों को अंकित करते हुए मानवीय अनुभवों का एक मार्मिक और यथार्थपरक वितान रचा है।
ISBN: 9789348157430
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
नसीम साकेती निरन्तर लेखन में सक्रिय हैं, शाश्वत मूल्यों को समेटता इनका कथा जगत् बहुआयामी रहा है। क़लम की नोक को स्पर्श करती इनकी जीवन्त कहानियाँ अपने समय के यथार्थ तथा मानव जीवन-मूल्यों को विभिन्न कोणों से पड़ताल करती विशिष्ट शैली में सुखद एहसास देती हैं।
लेखक के मस्तिष्क की शिराओं ने छोटी-छोटी रोज़मर्रा की घटनाओं में से कथा-तत्त्वों के फूल चुनकर उनसे कथा के विभिन्न आकार के गुलदस्ते तैयार किए हैं। जिनसे आम आदमी की ज़िन्दगी की ख़ुशबू पाठक के मन-मस्तिष्क में भरकर दिल की गहराइयों में उतर जाती है और पाठक सोचने लगता है कि ऐसी घटनाओं तथा चरित्रों को तो हम अपने इर्द-गिर्द रोज़ देखते तथा महसूस करते हैं, जिसे लेखक ने शब्दों के माध्यम से कहानी का जामा पहना दिया है।
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