Kanpta Hua Dariya

Kanpta Hua Dariya

Authors(s):

Mohan Rakesh

Language:

Hindi

Pages:

207

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

414 mins

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Book Description

कश्मीर के सौन्दर्य और प्रेम की रूमानी कहानियों से अलग दरिया में घर बनाकर रहनेवाले एक ग़रीब हाँजी परिवार, उसके सुख-दुःख, संवेदनाओं के टकराव और कठोर जीवन-संघर्ष पर आधारित मोहन राकेश का यह उपन्यास इस अर्थ में भी अलग है कि यह उनके शहरी मध्यवर्गीय रचना-जगत से काफ़ी अलग है।</p> <p>उपन्यास में मोहन राकेश ने स्वयं ‘पूर्वभूमि’ के तहत इसकी रचना-प्रक्रिया पर रौशनी डाली है, जिससे हमें पता चलता है कि वे स्वयं इस कहानी से भावनात्मक स्तर पर कितना जुड़े हुए थे। इसे पूरा करने के लिए वे महीनों-महीनों कश्मीर में रहे और हाँजी परिवार के साथ हाउसबोट में ही नहीं, बल्कि डूँगों में भी रहकर दरिया का सफ़र करते हुए दूर-दराज़ के इलाक़ों तक गए।</p> <p>लेकिन फिर भी यह उपन्यास अधूरा ही रहा। राकेश-साहित्य के शोधकर्ता और उनकी साहित्य-चेतना के मर्मज्ञ जयदेव तनेजा की पहल पर एक प्रयोग के तौर पर इसे मीरा कांत ने पूरा किया है जो स्वयं भी कश्मीरी पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित हैं, और इस कथा की ज़मीन को पकड़ने के लिए हफ़्तों श्रीनगर में रहकर, हाँजियों, उनके परिवारों और नई-पुरानी पीढ़ियों से मिलती रही हैं।</p> <p>इस अनूठे कथा-प्रयोग के तहत उपन्यास के पात्रों और कथा-सूत्र का अध्ययन करते हुए उन्हें आगे बढ़ाया गया है। जिस सूझ-बूझ, कल्पनाशीलता और कौशल के साथ उन्होंने इस उपन्यास को एक बहुअर्थगर्भी परिणति तक पहुँचाया है, वह दिलचस्प है। उम्मीद है कि इस प्रयोग के रूप में पाठक एक नया औपन्यासिक आस्वाद पाएँगे। निःसन्देह कश्मीर को, समझने में भी यह उपन्यास एक आधार उपलब्ध कराता है, जो आज एक नए मोड़ पर है।

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