Bholaram Ka Jeev
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
परसाई के पास एक ऐसी नैतिक दृष्टि है जो गहरे पर्यवेक्षण, अनुभव, अध्ययन और वैचारिकता से बनी है। यह उन्हें साहसी तथा आत्मविश्वासी बनाती है, जो काइयाँ से काँइयाँपन में होड़ लेनेवाली भी है। हम उनके लेखन में बार-बार पाएँगे कि वे कुतर्कियों को यूँ ही बख्श नहीं देते, उनसे प्रतिस्पर्धा करते हैं और खदेड़ते हुए दूर तक उनके पीछे जाते हैं। परसाई श्रेष्ठ व्यंग्यकार इसलिए हैं कि वे केवल व्यंग्यकार ही नहीं हैं। हर स्थिति में व्यंग्य को नहीं बरतते; जब अनिवार्य होता है, तभी उसका उपयोग करते हैं। इसका सम्बन्ध परसाई के संवेदनशील-विचारधारायुक्त प्रगतिशील व्यक्तित्व से है जो उनके व्यंग्य नए रूपों में नैतिक और कलात्मक बनाता है। जब वे स्वार्थियों, शोषकों, भ्रष्टाचारियों, अहंकारियों, पाखंडियों, नैतिकता का मुखौटा लगाए व्यक्तियों का चित्रण करते हैं तो उनका रूप अलग होता है और सामान्य, शोषित, अभावग्रस्त, प्रतिकूल परिस्थितियों में पिस रहे लोगों का चित्रण करते समय वे एकदम बदल जाते हैं। कुल मिलाकर परसाई की ये रचनाएँ उनके रचना-संसार का दूसरा पक्ष प्रस्तुत करती हैं। इन रचनाओं में मामूली, सामान्य घरों के युवक-युवतियाँ और साहित्य-राजनीति के क्षेत्र के कुछ व्यक्तित्व मानवीयता और आचरण संहिता का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। यह अमानवीयता के नीचे दबी मानवीय सम्भावनाओं का सर्जनात्मक-आग्रहपूर्वक प्रकटीकरण है जो पहले पक्ष का पूरक है और परसाई की रचनाओं के सौन्दर्य-बोध के ढाँचे को समझने में सहायक है।