Teen Samandar Paar
Author:
Rajiv ShuklaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
सिल्विया, प्रशांत वर्मा, स्मिथ, कामता प्रसाद, रॉबिन–ये वे पाँच मुख्य चरित्र हैं जो आपस में मिलकर राजनीतिक त्रिकोण के समानांतर एक चौथा कोण निर्मित करते हैं–यलगार का। सियासत की इस शतरंज की बिसात बिछी है एक छोटे से, प्यारे से खूबसूरत देश त्रिनिदाद में। इस बिसात के बरक्स लेकिन इससे छिटककर एक निश्छल प्रेम कहानी भी विकसित हो रही है–तीन समंदर पार।</p>
<p>उपन्यास के लेखक राजीव शुक्ला के नाम से साहित्य के नियमित पाठक अचकचा सकते हैं लेकिन सघन और विविध अनुभवों से संपन्न, पत्रकारिता में लंबी चमकदार पारी खेल चुके, राजनीति के शिखर पर चहलकदमी करने वाले किसी शख्स का अंततः लेखकीय रूपांतरण असहज नहीं है बल्कि संभाव्य है। तेज रफ्तार से बहने वाले इस उपन्यास में उतरिए, आप हतप्रभ रह जाएँगे।</p>
<p>जाहिर तौर पर ब्रूटस की वापसी इस यात्रा का अहम पड़ाव है। सौ झूठ रचकर और छल से हासिल की गई सत्ताएँ आखिरकार एक दिन ध्वस्त हो जाती हैं। इस शाश्वत नियम को सिद्ध करने की चुनौतियाँ बयान करने में उन्होंने बहुत मुखर ढंग से सत्ता के खेल का अहम जरिया बन चुकी पत्रकारिता, क्रिकेट और फिल्मों के सुपरिचित चेहरों से समर्थन जुटाने की कवायद, पार्टी की ब्रांडिंग और इवेंट मैनेजमेंट में तब्दील हो चुकी राजनीतिक गतिविधियों को बखूबी बेपर्द किया है।</p>
<p>सत्ता तक पहुँचने के तमाम प्रचलित तरीकों का छद्म उजागर करते हुए राजीव इस कहानी के अंत में पाठकों को जहाँ ले जाकर खड़ा करते हैं वह इस बात की आश्वस्ति है कि ढोंग और स्वाँग रचने वाला जननायक एक न एक दिन जनता के आगे बेनकाब हो ही जाता है।</p>
<p>यही इस रोचक उपन्यास का सत्य है और सार भी।
ISBN: 9789390971671
Pages: 231
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: आखिर 1 अकबर रोड ग्रुप पंजाब/खालिस्तान समस्या का क्या अंतिम समाधान चाहता था? अकाली दल के उदार नेताओं से बातचीत कर समझौते तक पहुँचने की संभावना को मई 1984 के आखिर तक क्यों अधर में रखा गया, जब ऑपरेशन ब्लू स्टार में कुछ ही दिन रह गए थे? आखिर कैसे, जिस रॉ के लिए सिख उग्रवाद और खालिस्तान 1979 के आखिर तक कोई मुद्दा नहीं था, वही 1980 के अंत में अचानक उससे निपटने में शामिल हो गया? आखिर क्यों स्वर्ण मंदिर परिसर से भिंडरावाले को पकड़ने के लिए सुझाए गए कम नुकसानदेह उपायों को ठुकरा दिया गया? लेखक भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व स्पेशल सेक्रेटरी हैं, जो आपस में जुड़ी कई घटनाओं की समीक्षा करते हैं—खालिस्तान आंदोलन, ऑपरेशन ब्लू स्टार, 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद हुई सिख-विरोधी हिंसा। 1984 से सात साल पहले से लेकर उसके एक दशक बाद के घटनाक्रम का जिक्र करती यह पुस्तक उन महत्त्वपूर्ण सवालों के जवाब देने का प्रयास करती है जो आज भी बरकरार हैं। कहानी पंजाब से कनाडा, अमेरिका, यूरोप और दिल्ली तक घूमती है तथा राजनीतिक भ्रमजालों एवं अवसरवाद के बीच से सच को बाहर लाने की कोशिश करती है। हजारों बेकसूर लोगों की जिंदगी को निगल जानेवाली हृदय-विदारक हिंसा और सत्ताधारी दल की ओर से कथित तौर पर निभाई गई भूमिका की छानबीन करती है।
Mahabharat Ke Maharany Mein
- Author Name:
Pratibha Basu
- Book Type:

- Description: ‘महाभारत’ नामतः भरतवंश का इतिहास होकर भी, वस्तुतः सत्यवती-द्वैपायन के वंश का इतिहास है। इस ग्रन्थ में धर्म भी कुछ नहीं, अधर्म भी कुछ नहीं। जो है वह केवल सुविधावादी का सुविधाभोग। विदुर-युधिष्ठिर जैसे धार्मिक लोग एवं ईश्वर के प्रतिभू कूट-दक्ष बहुसंख्य आज भी हमारे चारों ओर विराजमान हैं। दुर्योधन स्वभाव से ही कुछ संयत एवं सहिष्णु चरित्र के हैं। प्रचार की महिमा से ठीक इसके विपरीत लोग विश्वास करते आए हैं। कुरुक्षेत्र का ‘धर्मयुद्ध’ कितनी दूर अधर्म के यूपकाष्ठ में बलि हो सकता है, यह जानकर स्तम्भित होना पड़ता है। जिस भारत में आज भी जातिभेद प्रबल है, उच्च और निम्नवर्ग का भेद शरीर के रंग में प्रतिकारित है, वहाँ क्षत्रियों की इस कहानी में सर्वत्र काले रंग का आधिपत्य दिखेगा—शुद्ध रक्त की चूड़ान्त पतन और विलोप।
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