Sunner Pande Ki Patoh

Sunner Pande Ki Patoh

Authors(s):

Amarkant

Language:

Hindi

Pages:

112

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

224 mins

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Book Description

प्रसिद्ध उपन्यासकार अमरकान्त का यह उपन्यास पति द्वारा परिव्यक्त राजलक्ष्मी नाम की उस स्त्री की कहानी है जो न केवल नर-भेड़ियों से भरे समाज में अपनी अस्मत बचा के रखती है, बल्कि कुछ लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।</p> <p>विवाह होते ही उसका निजत्व तिरोहित हो जाता है और नया नाम मिलता है—सुन्नर पांडे की पतोह। सुन्नर पांडे की पतोह का पति झुल्लन पांडे एक दिन उसे छोड़कर कहीं चला जाता है और फिर लौटकर नहीं आता। अन्तहीन प्रतीक्षा के धुँधलके में जीती राजलक्ष्मी के पास पति की निशानी सिन्दूर बचा रहता है। औरत की इच्छाओं, हौसलों और अधिकारों से वंचित होने पर भी उसे सिन्दूर ही औरत होने का गर्व और गरिमा देता है। वस्तुतः पहले सिन्दूर का मतलब था पति, बाद में पति का मतलब सिन्दूर हो गया। लेकिन एक रात जब उसने अपनी सास-ससुर की बातें सुनीं तो जैसे पाँवों-तले की ज़मीन ही खिसक गई। जब घर में ही स्त्री की अस्मत असुरक्षित हो तो कोई स्त्री क्या करे! वह अन्ततः गाँव-घर, देवी-देवता, चिरई-चुरंग, नदी-पोखर सबको अन्तिम प्रणाम कर अनजानी राह पर चल पड़ी...।</p> <p>निम्नमध्यवर्गीय जीवन की विडम्बनाओं और एक परित्यक्त स्त्री की जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण से लबरेज़ यह उपन्यास अपने जीवन्त मानवीय संस्पर्श के कारण एक उदात्त भाव पाठकों के मन में भरता चलता है। लोकजीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से भाषा में माटी का सहज स्पर्श और ऐसी सोंधी गन्ध महसूस होती है जो पाठकों को निजी लोक के उदात्त क्षेत्रों में ले आती है। निश्चय ही यह कृति पाठकों के मन में देर तक और दूर तक रची-बसी रहेगी।

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