Bhaya Kabeer Udas
Author:
Usha PriyamvadaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
शरीर की पूर्णता-अपूर्णता का प्रश्न किसी-न-किसी स्तर पर मन और जीवन की पूर्णता के प्रश्न से भी जुड़ जाता है। यह उपन्यास शुरू से लेकर आख़िर तक इसी सवाल से जूझता है कि क्या सौन्दर्य के प्रचलित मानदंडों और समाज की रूढ़ दृष्टि के अनुसार एक अधूरे शरीर को उन सब इच्छाओं को पालने का अधिकार है जो स्वस्थ और सम्पूर्ण देहवाले व्यक्तियों के लिए स्वाभाविक होती है। उपन्यास की नायिका विदेशी भूमि पर अपना सहज और अल्पाकांक्षी जीवन जी रही होती है कि अचानक उसे मालूम होता है, उसे स्तन-कैंसर है और यह बीमारी अन्तत: उसके शरीर से उसके सबसे प्रिय अंग को छीन ले जाती है। लेकिन मन! तमाम चोटों के बावजूद मन कब अधूरा होता है, वह फिर-फिर पूरा होकर मनुष्य से, जीवन से अपना हिस्सा माँगता है, अपना सुख।</p>
<p>उषा प्रियम्वदा बारीक और सुथरे मनोभावों की कथाकार रही हैं, उनके पात्र न कभी ऊँचा बोलते हैं, न कभी बहुत शोर मचाते हैं, फिर भी ज़िन्दगी और अनुभूति की उन गलियों को आलोकित कर जाते हैं, जहाँ से गुज़रना हर किसी के लिए उद्घाटनकारी होता है।</p>
<p>यह उपन्यास भी इसी अर्थ में महत्त्वपूर्ण है। इसमें उन्होंने बहुत नई-सी दिखनेवाली कथाभूमि पर, बहुत सहज ढंग से मानव-मन की चिरन्तन लालसाओं, कामनाओं, निराशाओं और उदासियों का अत्यन्त कुशल और समग्र अंकन किया है।
ISBN: 9788126713875
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Hindu Khatik Jati
- Author Name:
Dr. Bizay Sonkar Shastri
- Book Type:

- Description: "हिंदू खटिक जाति की उत्पत्ति, उत्थान एवं पतन की ऐतिहासिक घटनाओं एवं विभिन्न कालखंडों का इस कृति में सजीव चित्रण है। वैदिक काल के बलि देने वाले खट्टिक (ब्राह्मण) त्रेता युग के पहले भगवान् श्रीराम के कुल के पूर्वज राजा खट्वाग (क्षत्रिय), द्वापर युग यानी महाभारत काल के पूर्व काशी अथवा मिथिलांचल में मांस का व्यवसाय करने वाले ऋषि व्याघ्र (वैश्य) और मुगलकाल में महाराष्ट्र के संत उपासराव एवं ब्रिटिश काल में राजस्थान के संत दुर्बल नाथ (दलित) को अपना पूर्वज मानने वाले हिंदू आज खटिक जाति के लगभग 1871 गोत्रों, उपनामों एवं उपजातियों के रूप में पहचाने जाते हैं। तैमूर लंग के लूटपाट एवं अत्याचार का मुहतोड़ प्रत्युत्तर कठोर राज्य के कठिकों (खटिक) ने दिया था। सिकंदर के विश्व विजय के स्वप्न को भी खटिक जाति ने ही चूर-चूर किया था। विदेशी मुगल, तुर्क एवं मुसलिम आक्रांता शासकों के हिंदू उत्पीड़न तथा हिंदुस्थान में हिंदुओं को हिंदू होने का यानी हिंदू टैक्स अथवा जजिया कर का खुलकर विरोध महान् हिंदू खटिक जाति ने किया था। विदेशी मुसलिम आक्रांताओं के हिंदुस्थान में प्रवेश से लेकर उनके शासन तक लगातार डटकर यदि किसी ने उनका विरोध किया तो खटिक जाति ने किया। अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मेरठ के ‘तितौरिया’ भी खटिक ही थे। सामाजिक समरसता दर्शन की दिशा में चिंतन के लिए बाध्य करती इस कृति से संपूर्ण हिंदू समाज को सकारात्मक चिंतन की एक दिशा प्राप्त होगी।
Aaina Saaz
- Author Name:
Anamika
- Book Type:

-
Description:
हमारे दौर की राजनीति, समाज, आदमी–सब अपने भीतर से लेकर बाहर तक जाने कैसे तो जंजाल में उलझे हुए हैं, और जब उसे सुलझाने चलते हैं, उस जाल से निकलकर खुली, साफ़ जगह में आने के लिए हाथ-पाँव पटकते हैं तो सुलझते-निकलते नहीं, और उलझ जाते हैं।
क्या नहीं है हमारे पास? जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब वह भी है, और भरोसा है कि अब जिसकी कल्पना करेंगे, वह भी कल हो उठेगा।
लेकिन ताला अगर कहीं लग गया है तो वह कल्पना ही पर है; और उसके संगी-साथी दूसरे कई मनोभाव-मनोशक्तियाँ और इनका सरदार एक सूफ़ी मन, उजली कामनाओं, और धरती-आकाश को एक करते धवल सपनों की छतरी; यह सब उस ताले के भीतर कहीं छटपटा-सिसक रहे हैं।
खुसरो एक पैदा हुआ, मध्यकालीन कहे जानेवाले उस साँवले हिन्दुस्तान में जिसकी छतें इतनी ऊँची होती थीं, कि हम बौनों की तिमंज़िला बाँबियाँ उनमें खड़ी हो जाएँ। यह उस ख़ुसरो की आत्मकथा से रचा हुआ उपन्यास है जिसमें ख़ुसरो की चेतना को जीनेवाले आज के कुछ सूफ़ी मनवालों की कहानी भी साथ में पिरो दी गई है।
ख़ुसरो इस कथा में अपना वह सब बताते हैं जिस तक हम उनकी नातों, क़व्वालियों और पहेलियों की ओट में नहीं पहुँच पाते–कि उनका एक परिवार था, एक बेटी थी, बेटे थे, पत्नी थी, और थे निज़ाम पिया जिनकी निगाहों के साए तले उन्होंने वह सब सहा जो एक साफ़, हस्सास दिल अपने ख़ून-सने वक़्तों और बेलगाम सनकों से हासिल कर सकता था।
और इसमें कहानी है सपना की, नफ़ीस की, ललिता दी और सरोज की भी, जो आज के हत्यारे समय के सामने अपने दिल के आईने लिए खड़े हैं, लहूलुहान हो रहे हैं, पर हट नहीं रहे, जा नहीं रहे, क्योंकि वे उकताकर या हारकर अगर चले गए तो न पद्मिनियों के जौहर पर मौन रुदन करनेवाला कोई होगा, न इंसानियत को उसके क्षुद्रतर होते वजूद के लिए एक वृहत्तर विकल्प देनेवाला।
Laat Ki Vapsi
- Author Name:
Jagdish Chandra
- Book Type:

- Description: अच्छे लोगों की अच्छी दुनिया; बड़ी दुनिया जहाँ सब कुछ खुला-खुला हो, बिलकुल प्रकृति की तरह, बिलकुल ईश्वर की तरह हर वक़्त, हर किसी के लिए। ऐसी ही एक दुर्लभ दुनिया का पुनःसृजन यह उपन्यास करता है। इसके पात्र अपनी सादगी, सच्चाई और सीधे हृदय से उठे आवेगों के चलते हमें कुछ ही समय के लिए सही, एक ऐसी दुनिया में खींच लेते हैं जहाँ कोई हद ऐसी नहीं जिसे लाँघा न जा सके, कोई कुंठा ऐसी नहीं जिसे पिघलाया न जा सके और कोई आँसू इतना अड़ियल नहीं कि दिल में कील गाड़कर बैठ जाए—हर आँसू यहाँ आशीर्वाद की तरह बह जाता है। सुनील के पास भी ऐसे अनेक अनबहे आँसू थे, जो न तो तब बहे जब उसके कठोर पिता उस पर तानों के तीर चलाते थे, न तब बहे जब उसकी माँ किसी दूरस्थ अज्ञात जगह नौकरी के लिए जाते बेटे को देख बिलख पड़ी थी और न तब जब दाएँ हाथ से विकलांग होने पर उसका वायलिनवादक बनने का सपना टूटा था। वे सब आँसू सरदारा सिंह के थप्पड़ खाकर बहे; मौलाबख़्श का बनाया नक़ली हाथ पहनकर बहे; और मुद्दतों बाद वायलिन के तार छेड़कर बहे। अपनी सरल, सुगम और यथार्थवादी भाषा के ज़रिए यह उपन्यास हमें रुके हुए आँसुओं के बह जाने के साथ-साथ उन विराट हृदयों से भी मिलवाता है जो उन आँसुओं का सम्मान करते हैं, सरलता और विनम्रता को मनुष्यता की धरोहर की तरह सँजोकर रखते हैं।
Ataichi-Rahasya
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Baa
- Author Name:
Giriraj Kishore
- Book Type:

-
Description:
गांधी को लेकर एक बड़ा और चर्चित उपन्यास लिख चुके गिरिराज जी इस उपन्यास में कस्तूरबा गांधी को लेकर आए हैं। गांधी जैसे व्यक्तित्व की पत्नी के रूप में एक स्त्री का स्वयं अपने और साथ ही देश की आज़ादी के आन्दोलन से जुदा दोहरा संघर्ष। ऐसे दस्तावेज़ बहुत कम हैं जिनमें कस्तूरबा के निजी जीवन या उनकी व्यक्ति-रूप में पहचान को रेखांकित किया जा सका हो, नहीं के बराबर। इसीलिए उपन्यासकार को भी इस रचना के लिए कई स्तरों पर शोध करना पड़ा। जो किताबें उपलब्ध थीं, उनको पढ़ा, जिन जगहों से बा का सम्बन्ध था, उनकी भीतरी और बाहरी यात्रा की और उन लोगों से भी मिले जिनके पास बा से सम्बन्धित कोई भी सूचना मिल सकती थी।
इतनी मशक्कत के बाद आकार पा सका यह उपन्यास अपने उद्देश्य में इतनी सम्पूर्णता के साथ सफल हुआ है, यह सुखद है। इस उपन्यास से गुज़रने के बाद हम उस स्त्री को एक व्यक्ति के रूप में चीन्ह सकेंगे जो बापू के बापू बनने की ऐतिहासिक प्रक्रिया में हमेशा एक ख़ामोश ईंट की तरह नींव में बनी रही। और उस व्यक्तित्व को भी जिसने घर और देश की ज़िम्मेदारियों को एक धुरी पर साधा। उन्नीसवीं सदी के भारत में एक कम उम्र लड़की का पत्नी रूप में होना और फिर धीरे-धीरे पत्नी होना सीखना, उस पद के साथ जुड़ी उसकी इच्छाएँ, कामनाएँ और फिर इतिहास के एक बड़े चक्र के फलस्वरूप एक ऐसे व्यक्ति की पत्नी के रूप में ख़ुद को पाना जिसकी ऊँचाई उनके समकालीनों के लिए भी एक पहेली थी। यह यात्रा लगता है कई लोगों के हिस्से की थी जिसने बा ने अकेले पूरा किया। यह उपन्यास इस यात्रा के हर पड़ाव को इतिहास की तरह रेखांकित भी करता है और कथा की तरह हमारी स्मृति का हिस्सा भी बनाता है।
इस उपन्यास में हम ख़ुद बापू के भी एक भिन्न रूप से परिचित होते हैं। उनका पति और पिता का रूप। घर के भीतर वह व्यक्ति कैसा रहा होगा, जिसे इतिहास ने पहले देश और फिर पूरे विश्व का मार्गदर्शक बनते देखा, उपन्यास के कथा-फ़ेम में यह महसूस करना भी एक अनुभव है।
Justju-E-Nihan : Urf Runiyabas Ki Antarkatha
- Author Name:
Jitendra Bhatia
- Book Type:

-
Description:
‘जुस्तजू-ए-निहां उर्फ़ रुणियाबास की अन्तर्कथा’ यानी तलाश एक ऐसी छिपी हुई अन्दरूनी दुनिया की, जिसे पहचानकर उस पर उँगली रख पाना सचमुच बहुत मुश्किल है, लेकिन फिर भी जिसका कोई-न-कोई अंश हमें बार-बार अपने भीतर छटपटाता दिखाई दे जाता है। इसे हम अपने होने का दु:ख, उसका अकेलापन या अकेलेपन की समूची अव्यक्त तकलीफ़ को किसी मूर्त आस्था की बैसाखियों पर खड़ा कर सकने की भोली ललक, या ठहराव को तोड़ने की उद्दाम लालसा या एक बिखरती हुई सिनिकल सभ्यता की बदहवासी के बीच से दु:ख का प्रतिदान ढूँढ़ निकाल पाने की पागल, मर्मांतक ज़िद—कुछ भी कह सकते हैं...
...किसी बेग़ैरत और मखौल-भरी ज़िन्दगी से उकताया एक अनास्थावादी ‘खोजी’ पत्रकार जब अनायास ही राजस्थान के बियाबान इलाक़े में उपेक्षित खड़े एक नामालूम खँडहर और उस खँडहर के भीतर बरसों से ‘अदृश्यवास’ कर रहे अनदेखे ‘ओझल बाबा’ की किंवदन्ती से जा टकराता है तो उसे लगता है कि उस रहस्य के भीतर से वह कहीं अपनी उद्देश्यहीन ज़िन्दगी का खोया हुआ सिरा भी ढूँढ़ निकालेगा।...क्या सचमुच वहाँ किसी सिद्ध बाबा का वास था? क्या उनके भीतर भी वही गुमनाम, अपरिभाषित-सी बेचैनी मँडरा रही थी? चालीस वर्षों के असाध्य एकान्तवास के ज़रिए क्या वे भी उसकी तरह ही किसी नामालूम, बेग़ैरत ज़िन्दगी का तोड़ ढूँढ़ निकालने की ज़िद पर अड़े हुए थे? अगर अड़े हुए थे तो क्या आख़िरकार उन्हें वह मिल पाया? और अगर मिला, तो क्या था वह तोड़?
‘जुस्तजू-ए-निहां...’ अपने समय और सभ्यता के अवसाद और उसकी आस्थाहीनता का विकल्प ढूँढ़ निकालने का एक जुनून-भरा वैयक्तिक अभियान है, जिसमें विचारधाराओं, नसीहतों और सैद्धान्तिकताओं से अलग एक पारदर्शी ईमानदारी और तड़प साफ़ महसूस की जा सकती है। रहस्य, रोमांच, व्यंग्य, अनास्था और संवेदना के सम्मोहक ताने-बाने में छतों और दीवारों के बाहर, खुले आसमान तले रचा गया हिन्दी गद्य के सशक्त हस्ताक्षर जितेन्द्र भाटिया का यह विलक्षण उपन्यास न सिर्फ़ कई स्तरों पर हमारी संवेदनाओं को छूता है, बल्कि अपनी पुरानी संवादपरकता पर से खोया हुआ विश्वास हमें लौटाने का साहस भी दिखाता है।
Tedhe Medhe Raste
- Author Name:
Bhagwaticharan Verma
- Book Type:

-
Description:
‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ न केवल भगवतीचरण वर्मा के, बल्कि समग्र हिन्दी-कथा साहित्य के गिने-चुने श्रेष्ठतम उपन्यासों में एक है। इसमें सन् 1920 के बाद के वर्षों में भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में सक्रिय राजनीतिक विचारधाराओं और शक्तियों का बेहद सटीक और संश्लिष्ट चित्रांकन किया गया है। एक सामन्ती परिवार के भीतर प्रवेश करनेवाले तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावों को और उनके फलस्वरूप पैदा होनेवाली स्थितियों को उनकी पूरी जटिलता में एक विशाल कैनवास पर उतारने में कथाकार सफल हुआ है।
उपन्यास में पंडित उमानाथ तिवारी और उनके तीन पुत्रों की कथा के माध्यम से पूरे देश की उथल-पुथल का खाका खींच दिया गया है। कथानक के तमाम मोड़ों पर मार्मिक प्रसंगों की अवतारणा करके तथा विभिन्न पात्रों के वैचारिक संघर्षों के माध्यम से गांधीवाद, साम्यवाद, समाजवाद और परम्परागत भारतीय मूल्यों की कशमकश को प्रभावी तरीके से चित्रित किया गया है। चरित्रों के निर्माण और कथारस में अद्वितीय यह उपन्यास हिन्दी कथा-यात्रा का एक मील-पत्थर है।
Kadhi Mein Koyla
- Author Name:
Pandey Bechan Sharma 'Ugra'
- Book Type:

-
Description:
कलकत्ता का माले-मस्त मारवाड़ी समुदाय अर्थात् राजस्थान का ग़रीब, पसीने और परचून से चीकट कपड़ों वाला बनिया जो महानगरी में जाकर विकट धर्मपति हुआ। उग्र जी के इस उपन्यास का विषय है। अपनी देखी-समझी दुनिया की रगों-नसों में विश्वसनीय ढंग से उतरने की कला में माहिर उग्र जी ने यहाँ इस समुदाय की उन तमाम विकृतियों को उजागर किया है जो धन के अनायास आगमन के साथ आती हैं। निर्ममता की हद तक तटस्थ व्यंग्य के साथ खींचे गए राजमल जयपुरिया, घीसालाल और घमंडीलाल आदि के चित्र कलकत्ता के सम्पन्न मारवाड़ियों का बयान तो करते ही हैं, साथ ही वे हमारे समकालीन धनाढ्य वर्ग के भी आधिकारिक चित्र प्रतीत होते हैं।
उग्रजी की सुगठित, तेजवान व्यंग्य से दीप्त शैली का प्रतिनिधित्व करता उपन्यास।
Dehati Duniya
- Author Name:
Shivpujan Sahai
- Book Type:

-
Description:
फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने उपन्यास ‘मैला आँचल’ (1953) की भूमिका में पहली बार आंचलिकता की धारणा का विशेष उल्लेख किया था, किन्तु कथा-साहित्य में आंचलिकता की स्थापना पहली बार ‘देहाती दुनिया’ (1926) के लेखन-प्रकाशन के साथ हुई, यह सर्वमान्य है।
हालाँकि यह उपन्यास आज से लगभग नौ दशक पूर्व लिखा गया था किन्तु इसमें वर्णित गाँव की यथातथ्य संस्कृति एवं सभ्यता की झाँकी आज भी उतनी ही सटीक है, जितनी पहले थी। ठेठ देहाती शैली इस उपन्यास की विशिष्टता है, जो गाँव की फटेहाली और विकृतियों यथा—जादू-टोना, अन्धविश्वास आदि का चित्रण करती हैं। ‘देहाती दुनिया’ गाँव के भोले-भाले लोगों पर पुलिसिया ज़ुल्मो-सितम की भी कहानी कहती है।
इस उपन्यास में सबसे रोचक और मनभावन प्रसंग है बचपन की चुहलबाज़ी का। इसमें एक ओर अपने इकलौते लाडले के लिए माँ के निश्छल प्रेम की झाँकी है तो दूसरी ओर अपने बेटे के भविष्य को लेकर पिता की चिन्ता भी व्यक्त हुई है।
Data Peer
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

-
Description:
‘दाता पीर’ विविधताओं से भरे भारतीय समाज के ऐसे एक हिस्से से रू-ब-रू कराता है जो हमारी नजरों से लगभग ओझल रहा है।
यह सवाल अकसर पूछा जाता रहा है कि आधुनिक हिन्दी साहित्य में मुस्लिम जनजीवन की उपस्थिति इतनी विरल क्यों है, और अगर उसका उल्लेख होता भी है तो प्रायः साम्प्रदायिकता जैसे मसलों के साथ ही क्यों होता है। इस सन्दर्भ में ‘दाता पीर’ निश्चय ही एक उल्लेखनीय कृति है। इसमें मुजाविरों और शहनाई बजाने वाले एक घराने की कथा है जो, अपने आस-पड़ोस को समेटती हुई चलती है और आम भारतीय जनजीवन का आख्यान बनकर सामने आती है। यह उनके जीवन संघर्ष को उनकी धार्मिक पहचान तले नहीं दबाती, न ही कथा को मौजूदा दौर के बँधे-बँधाए विमर्श के खाँचे में फिट कर कोई ‘पॉलिटिकली करेक्ट’ फॉर्मूला पेश करती है। उपन्यासकार जीवन का सूत्र पकड़कर पाठक को विशाल भारतीय समाज के उन हिस्सों तक ले जाता है, और ऐसी सचाइयाँ दिखलाता है जिसे मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक परिवेश पर तेजी से हावी हो रही संकीर्णता के कारण देख पाना आज आसान नहीं रहा।
इस उपन्यास में स्मृतियों की कई पेंचदार गलियाँ हैं जिनमें खानकाहों-दरगाहों-मज़ारों और पीर-फकीरों की कहानियाँ बिखरी पड़ी हैं तो मौसिकी के सदियों पुराने सिलसिले के सुर भी। साथ ही इसमें मौजूद हैं वर्तमान की ऐसी धड़कनें जहाँ कब्रिस्तान में भी प्रेम के बिरवे फूट पड़ते हैं।
वस्तुतः उपन्यासकार ने इस कृति में बिना किसी बड़बोलेपन के ऐसा एक अर्थगर्भी संसार रचा है जिसमें प्रवेश कर पाठक मनुष्य के जीवनानुभव को उसकी सम्पूर्णता में देख सकता है। यह उपन्यास बतलाता है कि जीवन का राग हो या विराग, अन्ततः एक मानवीय जीवनदृष्टि ही जीने की राह निर्मित करती है।
एक अत्यन्त पठनीय और संग्रहणीय उपन्यास।
A Soldier's Daughter
- Author Name:
Nupur Luthra
- Book Type:

- Description: This is the life story of a young girl who is an army officer's daughter. Brought up in the private army quarters, she somehow prefers to lead an everyday civilian life. Despite her parents' (army officers) insistence, she opts out of any profession remotely related to "Army, Navy or Air-force". From schooling to college to professional life, she is perennially confused if she belongs to the elite army circle or the mundane civilian world. Having a first-hand experience of living both lives, she narrates the exciting events from her dual life. From the best of both lives to the worst, she gives an unbiased account of what it is to be a part of the army and yet lives a civilian life. An exciting account of a young girl who reveals what it is to live two lives at once!
Maharashtra Ki Lokkathayen
- Author Name:
Deepak Hanumantrao Jawane
- Book Type:

- Description: अब संयुक्त कुटुंब के स्थान पर विभाजित कुटुंब प्रथा का प्रचलन हो गया है। इनमें दादा-दादी अथवा नाना-नानी का कोई स्थान नहीं होता है। इस कारणवश मौखिक कथा-कथन की परंपरा विलुप्त होती नजर आ रही है। भूत, राक्षस, डायन, शैतान आदि की कहानियाँ तो महाराष्ट्र में विपुल मात्रा में पाई जाती हैं। भूतों के बारे में समाज-मानस में एक लोकभावना अवश्य होती है। लेकिन कहानियों के अंत में हम पाते हैं कि मनुष्य की ही विजय होती है और ये नकारात्मक शक्तियाँ हार जाती हैं। अपना अज्ञान और डर, यही भूतों की कहानियों का मूल होता है। लेकिन किसी-किसी कहानियों में भूतों को उपकारी भी बताया गया है। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में सभी के मुख से कहानी, कानी अथवा कायनी ऐसे शब्द अवश्य निकलते हैं। इन कहानियों में बहुत बार आटपाट नामक एक नगर अवश्य होता था। संस्कृत भाषा में ‘अट्ट’ इस शब्द का अर्थ होता है—बाजार। ‘पाट’ का अर्थ—रास्ता अथवा मार्ग, ऐसा भी लिया जाता है, अर्थात् जहाँ बहुत बड़ा बाजार और बडे़-बडे़ रास्ते हैं, ऐसी सुख-सुविधाओं से युक्त नगर होता था—आटपाट नगर। कहानी सुनानेवाला मनुष्य कई गुणों से युक्त होता था। कथा-कथन की कुशलता उसमें कूटकर भरी होगी तो ही इस कहानी में रंग उतरता था। महाराष्ट्र के समृद्ध लोक-जगत् का दिग्दर्शन करवाती हैं, ये लोककथाएँ जो पाठको को वहाँ की संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं से परिचित करवाएँगा तथा ज्ञानपूर्ण मनोरंजन भी करेंगी।
Mataa-E-Dard
- Author Name:
Razia Fasih Ahamad
- Book Type:

-
Description:
‘मता-ए-दर्द’, यानी पीड़ा की पूँजी, जो उसके खाते में जमा होना शुरू हुई तो फिर बढ़ती ही चली गई। ख़ुशी के कुछ पल जो तय थे, वे ज़िन्दगी की शुरुआत में ही ख़र्च हो गए, जब उसने पहले प्यार का पहला सपना देखा था। जल्दी ही वह सपना टूटा और नासूर बनकर रूह के क़रीब बैठ गया। फिर प्यार उसके लिए प्यार न रहा, या तो उस नासूर को ढकने के लिए मरहम बना या वक़्तन-ब-वक़्तन उससे फूटनेवाली ठंडी आग की पलट, जिसका मक़सद मर्दों को अगर झुलसा देना नहीं तो सुलगाकर छोड़ देना ज़रूरी था। फिर भी यह उसकी जीत हरगिज़ न थी, दिल के हाथों वह बार-बार मजबूर हुई, अपने ऊपर से क़ाबू खो बैठी, और फिर पीड़ा की अपनी पूँजी समेटने में जुट गई। जहाँ यह उपन्यास ख़त्म होता है, वहाँ भी वह एक दोराहे पर ही खड़ी है।
पाकिस्तान की पृष्ठभूमि में लिखा गया यह उपन्यास स्त्री को लेकर लिखी जानेवाली उन फ़ार्मूलाबद्ध कथाओं में से नहीं है जिसमें लेखक अपनी वैचारिक मान्यताओं को अपने पात्रों के ऊपर थोप देते हैं। यहाँ एक स्त्री है जो अपनी स्वाभाविक गति में बनती हुई अपनी ऊँचाई की तरफ़ बढ़ रही है। वह समझौते करती है, प्रतिकार करती है, हताश होती है, लेकिन अपनी ज़िन्दगी में जो ख़ूबसूरत है, महसूस करने लायक़ है, उसके प्रति आँखें बन्द नहीं करती।
Manipur Ki Lokkathayen
- Author Name:
Prof. Yashwant Singh
- Book Type:

- Description: मणिपुर’ पूर्वोत्तर भारत का मैदानी-पहाड़ी भूभागों से मिश्रित एक छोटा सा राज्य है। यहाँ पर मुख्यतः मीतै समाज और नागा-कुकी जनजातीय समाज के लोग निवास करते हैं। इनके बीच मौखिक परंपरा में प्रचलित लोककथाओं को कहने-सुनने की परंपरा आदिकाल से ही विद्यमान है। इस लोककथा-संकलन में मीतै तथा नागा-कुकी समाज की पचपन लोककथाओं को स्थान मिला है, जिनसे पाठकों को मणिपुर की समृद्ध लोक-संस्कृति, लोक-जीवन, और लोक-परंपराओं की जानकारी मिलेगी, जिनसे मणिपुरी समाज को जाने-समझेंगे।
Ek Break Ke Baad
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

-
Description:
उम्र के जिस मुक़ाम पर लोग रिटायर होकर चुक जाते हैं, के.वी. शंकर अय्यर के पास नौकरियाँ चक्कर लगा रही हैं। के.वी. मानते हैं कि इंडिया के इकोनॉमिक ‘बूम’ में देश की एक अरब जनता के पास ख़ुशहाली के सपने हैं। दुनिया का शासन अब सरकारों के हाथ नहीं, कॉरपोरेट कम्पनियों के हाथों में है।
मल्टीनेशनल कम्पनी का एक्जीक्यूटिव गुरुचरण राय के.वी. की बातों को बिना काटे सुनता रहता है। वह बीच-बीच में पहाड़ों पर क्या करने जाता है, इसकी कोई भनक के.वी. को नहीं है। अन्ततः वह कम्पनी के काम से मध्य प्रदेश के किसी सुदूर प्रान्त में जाकर लापता हो जाता है। एक ब्रेक के बाद, जिसमें वह एक आई-गई ख़बर हो गया है, के.वी. को मिलती हैं उसकी डायरियाँ, जिसमें लिखी बातों का कोई तुक उन्हें नज़र नहीं आता।
उपन्यास के तीसरे पात्र भट्ट की नियति एक नौकरी से दूसरी नौकरी तक शहर-शहर भटकने की है। कॉरपोरेट दुनिया के थपेड़े खाते-खाते वह बीच में गुरुचरण उर्फ़ गुरु के साथ पहाड़-पहाड़ घूमता है। स्त्रियों के साथ सम्बन्धों में गुरु क्या खोजता है या उसका क्या सपना
है, यह जाने बग़ैर गुरु के साथ भट्ट यायावरी करता जीवन के कई सत्यों से टकराता रहता है।अलका सरावगी का यह नया उपन्यास कॉरपोरेट इंडिया की तमाम मान्यताओं, विडम्बनाओं और धोखों से गुज़रता है। इस दुनिया के बाज़ू में कहीं वह पुराना ‘पोंगापंथी’ और पिछड़ा भारत है, जहाँ तीस करोड़ लोग सड़क के कुत्तों जैसी ज़िन्दगी जीते हैं। कॉरपोरेट इंडिया अपने लुभावने सपनों में खोया यह मान लेता है कि ‘ट्रिकल डाउन इफ़ेक्ट’ से नीचेवालों को देर-सबेर फ़ायदा होना ही है।
गुरुचरण का कॉरपोरेट जगत् का चोला छोड़कर सिर्फ़ गुरु बनकर जीने का निर्णय तथाकथित विकास की अन्धी दौड़ का मौन प्रतिरोध है। गुरु के रूप में भी उसकी मृत्यु एक तरह से औपन्यासिक आत्महत्या मानी जा सकती है। जिस तरह की संवेदनात्मक दुनिया बनाने का उसका सपना है, उसकी क़ब्र पर कॉरपोरेट इंडिया उग आया है, जिसमें भट्ट जैसे लोगों के नए सपने और नई सफलताएँ हैं।
Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi NataK Vol. 4
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
इस संग्रह में तीन महत्त्वपूर्ण नाटकों के अनुवाद दिए जा रहे हैं। जिनमें नाटककारों के अपने व्यक्तित्व एवं जीवन की गहरी छाप है। उस भाषा देश और समाज की परम्पराएँ तो झलकती हैं, साथ ही उनकी समस्याएँ, कठिनाइयाँ, दु:ख और सुख की भी सूचनाएँ मिलती हैं।
रचनाकारों और पाठकों की अपनी निजी जीवन-दृष्टि, अनुभव, पसन्द-नापसन्द होती हैं मगर इन सब के बावजूद कुछ रचनाएँ इन सारी बातों के दबाव से निकल अपनी उपस्थिति विश्व स्तर के साहित्यकारों और पाठकों व आलोचकों में बना लेती हैं, जहाँ नापसन्दगी के बावजूद उसकी अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर इन तीनों नाटकों के विषय जिनके तारों से हर काल में नई आवाज़ें निकालने की कोशिशें की गई हैं जो आज भी जारी हैं। इसका कारण वे बुनियादी सवाल हैं, जिनसे लगातार आज का आधुनिक इंसान जूझ रहा है।
अली ओकला ओरसान का नाटक पुराने ऐतिहासिक पर्दे पर नई समस्याओं की ओर इंगित करता है। दूसरा नाटक 'पशु-बाड़ा’, गौहर मुराद का बेहद लोकप्रिय नाटक रहा है। रिफ़अत सरोश का पूरा वजूद शायरी और अदब से प्रभावित रहा है। उनके विषय किसी विशेष वर्ग या वाद तक सीमित नहीं रहे हैं, उनके व्यापक दृष्टिकोण का नमूना उनका नाटक 'प्रवीण राय’ है।
Tirange Ki Gaurav Gatha
- Author Name:
Lt. Cdr. K.V. Singh
- Book Type:

- Description: किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसका सर्वाधिक समादृत प्रतीक होता है। देश का हर व्यक्ति—चाहे राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री अथवा सामान्य जन—सभी अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं। राष्ट्रीय ध्वज कहा जानेवाला कपडे़ का यह टुकड़ा पूरे राष्ट्र, उसकी गरिमा एवं प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है। भारत के गौरव का प्रतीक तिरंगा ध्वज अब लगभग साठ वर्ष का होने जा रहा है। यदि हमारे राष्ट्र को कोई एकता के सूत्र में बाँध सकता है तो वह हमारा राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ ही है, जिसका न कोई अपना धर्म है और न ही कोई देश या प्रदेश। इसलिए आज देश के लिए तिरंगे से अच्छा और सच्चा पे्ररणास्रोत अन्य क्या हो सकता है! एक समय था जब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं कर सकते थे, पर आज हमें संवैधानिक रूप से इसे फहराने का अधिकार प्राप्त है। हमारे देशवासी अब तिरंगे को मात्र 15 अगस्त व 26 जनवरी के दिन ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन फहरा सकते हैं और देशप्रेम की अपनी भावना का प्रकटीकरण कर सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक की रचना का उद्देश्य पाठकों को अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज का संपूर्ण परिचय देना और विनय भाव से इसके प्रति यथोचित सम्मान प्रकट करने को प्रेरित करना है। विश्वास है, ‘तिरंगे की गौरव गाथा’ पढ़कर पाठकगण भारत के गौरव को पहचानेंगे और इसकी रक्षा के लिए तन-मन-धन से समर्पित होने को सन्नद्ध होंगे।
Waiting Based On What Could Have Happened
- Author Name:
Prashant Gupta
- Book Type:

- Description: "It is 2017, and the world is getting crazy about a new security system “, The finger-print security”. It is by far theoretically the best security system to be produced and applied to this mass scale. No one now has ever to remember and care to protect their password anymore. Kaushal shares with his two best friends the hack he has found. A year later, it turns out that the company they are working for has stolen money, using the same hack that Kaushal had discovered and shared only with his friends. Victims have now filed a police complaint against the company. But to everyone's surprise, the firm's CEO, Mr Sanjay keer, has absconded. Without any trace of his existence ever in the city, he vanishes...".
Sahibe Alam
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत दास्तान ‘साहिबे-आलम’ हिन्दी-जगत के जाने-माने कथाकार बलवन्त सिंह का काल्पनिक चित्रण है। परन्तु प्रस्तुति इतनी सजीवता से की गई है कि पाठक सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि यह दास्तान है या सच्चा वाक़या।
यह दास्तान लाहौर से शुरू होती है जहाँ शेख साहब द्वारा भेजे गए हिन्दुस्तानी जर्नलिस्ट को सफ़दर अली ‘साहिबे-आलम’ की दास्तान सुनाते हैं। पूरी दास्तान सुनकर पत्रकार कहने को विवश हो जाता है कि यह दास्तान है या सच्चा वाक़या।
मुग़लकालीन ऐतिहासिक परिवेश में रची-बसी इस दास्तान के वातावरण में यथार्थ चित्रण के लिए उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
निश्चय ही, पाठक जब यह अनोखी, सशक्त और बेजोड़ दास्तान पढ़ना शुरू करेगा तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएगा।
I Finally Got It
- Author Name:
Sakib Chowdhury
- Book Type:

- Description: Everyone is searching for true love Saurabh is no different but surprisingly he found it pretty easily but is it true? Did he truly found the love he was looking for? Find out in the book.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...