Visangati
Author:
Jagdish Prasad SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
हमारे आसपास नित्य ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिनमें अनेक कहानियों के बीज निहित होते हैं, लेकिन हम कभी उन पर ध्यान नहीं देते। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ऐसी जगहों में बड़ी कहानियाँ तलाश कर लेते हैं। यह संग्रह ऐसी ही कहानियों से सजा है।</p>
<p>डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह की ये कहानियाँ मानव-मन और समाज की ऐसी अनोखी परतों को उघाड़ती हैं कि सहसा विश्वास नहीं होता। मसलन संग्रह की पहली ही कहानी ‘विसंगति’ को लें। इसमें स्वामी गोविन्दानन्द का जीवन कुछ ऐसी घटनाओं का प्रतिबिम्ब है जो भारतीय समाज में बहुत आम रहा है—यानी विपरीत परिस्थितियों के चलते संन्यास ले लेना। माधव वसु को जब पता चलता है कि उसकी पत्नी का उसके छोटे भाई से सम्बन्ध है तो वह घर-बार छोड़ देता है और एक सफल आध्यात्मिक जीवन जीने लगता है। लेकिन फिर एक दिन अतीत एक अलग ही रूप में उसके सामने आ खड़ा होता है।</p>
<p>‘प्रतीम सिंह का ढाबा’, ‘दाँत का दर्द’, ‘राह का काँटा’, ‘भगवती का शाप’, और ‘सरस्वती का भोंपू’ सहित इस संग्रह की सभी कहानियाँ समाज के किसी न किसी पहलू की विडम्बना को सामने लाती है। ये कहानियाँ अपनी सरल कहन के चलते हमें किसी शैल्पिक उलझाव से परे वास्तविकता की एक सहज दुनिया में ले जाती हैं जिसकी तहों के नीचे कई विसंगतियाँ साँस लेती रहती हैं।</p>
<p>
ISBN: 9788126712724
Pages: 159
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Mi Amor
- Author Name:
Dr.Nazia Khan +1
- Book Type:

- Description: इश्क़ सबका अलहदा होता है, सबका एक सा हो तो वह इश्क़ के अलावा कुछ भी हो सकता है। इश्क़ मुक़म्मल हो ज़रूरी नहीं, पर रास्ता ख़ुशनुमा होना ज़रूरी होता है। रास्ते में तकलीफ़ें हो सकतीं हैं पर वे तकलीफ़ें अगर चुभें तो इश्क़ नहीं हो सकता। इश्क़ वह कहानी है, जो सबकी है, आपकी, मेरी हर किसी की, पर सबकी कहानी एक सी लगते हुए भी अलग अलग है। ऐसे ही कुछ अफ़सानों को बुना गया है इस किताब में जो इश्क़ का रास्ता दिखाती हैं। सदियां भी कम है इस अनमोल और जटिल भाव "प्रेम" को समझने के लिए, हम कहाँ सदियों तक जी सकते थे, इसलिये जितना समझे, उतना आप पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश की है। चलिये हमारे साथ प्रेम की इस यात्रा पर।
Kala Shukravar
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

-
Description:
समकालीन कहानी में कृष्णा सोबती, मन्नू भंडारी और उषा प्रियम्वदा के एकदम बाद की पीढ़ी में सुधा अरोड़ा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। चार दशकों की विशिष्ट कथा-यात्रा में एक लम्बे अन्तराल के बाद सुधा अरोड़ा का यह कहानी-संग्रह ‘काला शुक्रवार’ न सिर्फ़ उनके पाठकों को उत्साहित करता है, बल्कि समकालीन महिला-लेखन की एक सार्थक और संवेदनशील पहचान बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ ‘स्व’ से प्रारम्भ कर समाज की पेचीदा समस्याओं और समय के बड़े सवालों से जूझती हैं। ‘काला शुक्रवार’ और ‘बलवा’ में प्रकटतम रूप में तो ‘दमनचक्र’ और ‘भ्रष्टाचार की जय’ में तीखे रूप में उस राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की विद्रूपताओं, भ्रष्टाचार के घिनौने रूप और आपराधिक चरित्रों के राजनीतिक संरक्षण की बखिया उधेड़ी गई है जिसने सामान्य आदमी के सुख-चैन को छीनकर जीने लायक़ नहीं रहने दिया है। आदमी के निरन्तर अमानवीय होते चले जाने की प्रक्रिया को सन् सैंतालीस के साम्प्रदायिक दंगों से लेकर अब तक के राजनीतिक सन्दर्भों में विश्लेषित करती उनकी चिन्ता बेहतर मानवीय मूल्यों को बचाने की है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ एक व्यापक फलक पर बदलती हुई दुनिया में स्त्री के सतत और परिवर्तनकारी संघर्ष को सार्थक स्वर और दिशा देती भी दिखाई देती हैं। ‘रहोगी तुम वही’ से लेकर ‘अन्नपूर्णा मंडल की आख़िरी चिट्ठी’ तक सुधा अरोड़ा की कहानियाँ स्त्री-सुलभ सीमित संसार की वैयक्तिक अभिव्यक्तियाँ नहीं हैं, बल्कि इनमें पुरुषशासित समाज में स्त्री के लिए जायज़ और सम्मानजनक ‘स्पेस’ बनाने की उद्दाम लालसा पूरी गहराई के साथ महसूस की जा सकती है। आज के समय और परिवेश की गहरी पहचान, कथा-शैली में एक अन्तरंग निजता का सम्मोहक प्रभाव एवं गद्य में सरलीकरण का सौन्दर्य और इन सबके बीच व्यंग्य की तिक्तता सुधा अरोड़ा की इन बहुचर्चित कहानियों को एक विशिष्ट कथा-रस प्रदान करती है और पाठक को आद्यन्त बाँधे रखने में सक्षम सिद्ध होती है।
इन कहानियों के ज़रिए आज की जटिल महानगरीय विसंगतियों में एक सार्थक और साहसिक हस्तक्षेप की महत्त्वपूर्ण सम्भावना भी बनती दिखाई देती है।
Anya Kahaniyan Tatha Jhooth
- Author Name:
Kunal Singh
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी कहानी नई कलम के हाथों कितनी प्रशस्त हुई है, यह कुणाल सिंह की इन कहानियों से ज़ाहिर है। जीवन और रिश्तों की सघनता, तन्मयता और तिलिस्म इन कहानियों का प्राण-बिन्दु हैं। मौलिकता का जीवन्त दस्तावेज़ हैं ये कहानियाँ।
—ममता कालिया
जहाँ दोपहर के डूबने और साँस के टकराने की आवाज़ सुनी जा सकती है, जहाँ बिना कविता हुए एक ऐसा गद्य, जो क़िस्सा बन जाता है, जिसके हर विन्यास में कविता ज़िन्दगी के असंख्य ब्यौरे लिखती है। ऐसे पात्र, जो किसी और का नहीं, अपने ही जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन कहानियों के पाठक के सामने बैठ कर, उसे अपना जीवन पढ़ते हुए देखते हैं। एक ऐसा अनोखा प्रति-संसार जो अपनी गिरफ़्त में लेकर वास्तविक संसार की ग़लतियों को 'करेक्ट' करता है। ऐसी कहानियाँ जिनसे कतराकर पिछले ढाई दशक की कहानियों की कोई प्रामाणिक सूची मुकम्मल हो ही नहीं सकती। समय और यथार्थ तथा स्मृति और स्वप्न की सभी दूरियों को अनगिनत दुर्लभ युक्तियों से विसर्जित करती हुईं कुणाल सिंह की कहानियाँ भौतिक अवबोध (Physiological Perception) को हिन्दी कथा की कालरेखा में अद्वितीय और मौलिक विरलता के साथ तार्किक अवबोध (Logical Perception) में शायद पहली बार इस तरह तब्दील करती हैं। इसीलिए कुणाल सिंह की कहानियाँ हिन्दी कहानियों की किसी भी पीढ़ी के पाठक और कथाकार के लिए अनिवार्य कहानियाँ हैं। इन्हें न पढ़ना कहीं न कहीं से वंचित रह जाना है।
—उदय प्रकाश
कुणाल सिंह के पास आख्यान कला का जादू है, ऐसा जादू जो मायाजाल को काटकर हमें सत्य और सौन्दर्य के उजाले में ले जाता है।
—अखिलेश
Lohe Ka Baksa Aur Bandook
- Author Name:
Mithilesh Priyadarshy
- Book Type:

-
Description:
पिछले कुछ वर्षों में अपनी कहानियों से एक विलक्षण पहचान अर्जित कर चुके युवा कहानीकार मिथिलेश प्रियदर्शी हिन्दी की कहानी की एक बड़ी उम्मीद और आश्वस्ति हैं। इनकी बहुप्रशंसित, महानगरीय जीवन से वाबस्ता कहानी, 'हत्या की कहानियों का कोई शीर्षक नहीं होता' का विन्यास और कथा-भाषा कहानी कला के ओल्ड मास्टर एडगर एलन पो की याद दिलाती है। इसके ठीक दूसरे छोर पर हमारी शहरी सभ्यता के सीमान्त पर, एक दूरस्थ, अँधेरे में डूबे आदिवासी इलाके में घटित कहानी 'सहिया', कहानी के दूसरे उस्ताद जैकलंदन की याद दिलाती है। मिथिलेश की कहानियों में समकालीन यथार्थ की कितनी ही तहें और परतें हैं। इन कहानियों का एक कठोर तरीके से कसा हुआ सघन विन्यास, तीव्र, तन्मय कथा-भाषा और तनाव भरा काँपता-सा स्वर हिन्दी कहानी के लिए नए हैं और उम्मीद जगाते हैं कि कहानी के नए वातायन खुल रहे हैं।
—योगेन्द्र आहूजा
Sampoorn Kahaniyan : Alka Saraogi
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

-
Description:
अलका सरावगी अपनी कहानी अकसर जीवन और अस्तित्व के उस बिन्दु से उठाती हैं, जहाँ सामान्यत: कोई कहानी दिखाई नहीं देती। यह उनका कौशल है कि ऐसे ही किसी अनदीखते से दृश्य को वे एक सम्पूर्ण कहानी में खोल देती हैं। अपने पात्रों की मन:स्थिति, समाज का अध्ययन और मनुष्य के अन्तर्जगत की उनकी बारीक समझ इस रचना-यात्रा में उनके साथ रहती है, जिसके परिणामस्वरूप न सिर्फ एक पठनीय कथा हमारे सामने होती है, बल्कि जीवन का भी एक अछूता पक्ष हम देख पाते हैं।
यह उनकी सम्पूर्ण कहानियों का संकलन है जिसमें उनकी अब तक की सभी कहानियों को शामिल कर लिया गया है; वे भी जो अभी तक किसी संकलन में नहीं आ पाई थीं। अपनी कहानियों के बारे में उनका कहना है कि इन कहानियों ने ‘मुझे अपने चारों ओर, और व्यापक समाज में फैली हुईं असमानताओं और उनसे जूझते आदमी व उसके आन्तरिक और बाहरी विस्थापन को समझने की दृष्टि दी।’
इन कहानियों से गुजरना एक नई तरह की दुनिया से गुजरना है, ख़ासतौर पर संरचना के स्तर पर अलका जी की कहानियों को पढ़ना एक भिन्न अनुभव है। यहाँ हम न सिर्फ कहानी पढ़ते हैं, बल्कि उसके बनने की प्रक्रिया से भी साक्षात्कार करते हैं।
एक संग्रहणीय संचयन!
Fengshui
- Author Name:
Kabir Sanjay
- Book Type:

-
Description:
कबीर संजय की कहानियाँ अछूते अनुभवों, विषयों और ब्योरों का खजाना हैं, ऐसा उनके पहले संग्रह ‘सुरखाब के पंख’ को पढ़ते हुए महसूस हुआ था। यह नया संग्रह उस अहसास को दुबारा पुष्ट करता है। उनकी कहानियाँ आपको आपकी ही परिचित दुनिया में किसी नए दरवाजे से दाखिल कराती हैं और अक्सर ऐसे धूल-अँटे कोनों तक ले जाती हैं जो कहानी विधा के लिए अड्डेबाजी के पसन्दीदा ठिकाने नहीं रहे। गरज कि उनके विषय और ब्योरे विचित्र होने के अर्थ में नहीं, उपेक्षित होने के अर्थ में अछूते हैं। अक्सर वे कहानीकार को अपने बचपन और कैशोर्य की स्मृतियों में भटकते हुए हाथ लगते हैं और वह जब उन्हें साफ-सुथरा करके आपके सामने पेश करते हैं तो आप वैसी ही उत्तेजना अनुभव करते हैं जैसी अपनी किसी खोई हुई अनमोल वस्तु के मिल जाने पर होनी चाहिए। इस संग्रह की एक कहानी ‘थप्पड़’ में वाचक कहता है, ‘बचपन में ज्यादा कुछ कहा नहीं। बस हर वक्त चुप ही रहा। इसलिए अब मन कहता है कि हर वक्त कुछ न कुछ कहता रहूँ। अगर थोड़ा ज्यादा भी हो जाए तो आप लोग बुरा नहीं मानेंगे, इसका मुझे भरोसा है।’ अगर यह वाचक की ही नहीं, कबीर संजय की भी अपनी बात है, तो कहना चाहिए कि भरोसा लाज़िमी है। उन्हें कहानी कहना आता है और वे जैसी अकृत्रिम, अतिरेकों से रहित, रवाँ जुबान में कहानी कहते हैं, उन्हें कौन नहीं सुनना चाहेगा!
—संजीव कुमार
Muthbher
- Author Name:
Dhruv Gupt
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कवि, ग़ज़लगो तथा सम्पादक ध्रुव गुप्त का कहानी के क्षेत्र में आगमन एक सुखद घटना है। ‘मित्र’ में प्रकाशित उनकी कहानी ‘नाच’ ने विषय के चयन, कथा गठन के कौशल, कथा की ज़मीनी पकड़ और भाषा की जीवन्तता के कारण मुझे आश्चर्यचकित किया था। इस दौरान कुछ अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उनकी कहानियाँ भी नई ज़मीन तोड़ती हुई प्रतीत हुईं।
‘मुठभेड़’ ध्रुव गुप्त का पहला कहानी-संग्रह है, लेकिन हाथ के नएपन का एहसास इन कहानियों में कहीं नहीं। पेशे से पुलिस अधिकारी ध्रुव गुप्त ने अपने अनुभव संसार की प्रखरता को अपने कवि मन की संवेदनशीलता और काव्यात्मक भाषा में ढालकर अपनी कहानियों को निखारा और एक नया स्वाद प्रदान किया है। इन कहानियों में हमारे समय का यथार्थ पूरे तीखेपन के साथ व्यक्त हुआ है। संग्रह की प्रायः सभी कहानियाँ हमारे मन में एक टीस पैदा करती हैं। व्यवस्था की बदतरी और सामाजिक विकृतियों के प्रति हमें सजग बनाती हैं। हमें सोचने को बाध्य करती हैं।
इस संग्रह की पाँच कहानियाँ पुलिस ज़मीन की कहानियाँ हैं जो कथाकार का अनुभव जगत भी है। ‘मुठभेड़’ में जब माहौल की विसंगतियाँ एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी को अमानवीय बनाती हैं तो सचमुच मन कचोट कर रह जाता है। यह बाहरी संघर्ष की ही नहीं, आन्तरिक संघर्ष की भी कथा है। इसी तरह ‘हत्यारा’ और ‘कांड’ कानूनी दाव-पेच के कारण न्याय न दिला पाने की एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी की आन्तरिक पीड़ा को बेहद मर्मस्पर्शी तरीक़े से व्यक्त करती हैं।
‘समय और समाज का सच तथा संवेदना का नया आख्यान’ मेरी समझ से कहानियों की कसौटी है। ध्रुव गुप्त की कहानियाँ निःसन्देह इस कसौटी पर खरी उतरती हैं।
—मिथिलेश्वर
Bahurupiya Shahar
- Author Name:
Shweta Sharda
- Book Type:

-
Description:
हर पल शहर के नक़्शे बदलते हैं। अपनी अन्दरूनी ऊर्जाओं, हुनर और काल्पनिक शक्तियों से लोग अपनी रोज़मर्रा में चलती समय की रेखाओं को आकार देते चलते हैं। दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों और पुनर्वास कॉलोनियों में रहते ऐसे सैकड़ों कारीगर हैं, जिनकी जीने की ज़िद्द और चाहतें ज़िन्दगी के अनुभव बनकर क़िस्सों का रूप लेती हुई हमारे रोज़ाना में घुलती हैं। सुनने-सुनाने की इन संस्कृतियों में रहते हुए हमने बचपन से अपने माहौल से सोचने के साधन सींचे हैं। यहाँ अंकुरित हुए ‘बहुरुपिया शहर’ ने दिल्ली के नांगला माँची कॉलोनी के ढहते ढाँचों और घेवरा पुनर्वास कॉलोनी के बनते आकार के बीच अपना रूप लिया है।
पिछले कुछ सालों से एलएनजेपी कॉलोनी, दक्षिणपुरी और नांगला माँची में रहनेवाले लगभग ढाई सौ युवक-युवतियाँ अपने माहौल की बौद्धिक ज़िन्दगी के पहलुओं को अपनी ज़िन्दगी में गहरा करने में तत्पर हैं। ये साझा समूह अपने रियाज़ और क्रियाओं से कॉलोनियों के फैलाव और हममें से हर एक के निजी जीवन के बीच एक साँस लेती परत बनाता आया है। इसमें शहर को समझने के कई सवाल और सोच पनपते हैं। ‘बहुरुपिया शहर’ इस साझे सन्दर्भ का एक प्रतिरूप है। इसके हर लेख में हमारे इन सभी साथियों की सोच के सायों की ठंडक, उनके सवालों की गूँज और उनके रियाज़ से उठती चुनौतियों की उत्तेजना है।
Sookha Tatha Anya Kahaniyan
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
निर्मल वर्मा की ‘सूखा’ कहानी ने अपने समय में कई तरह की बहसों को जन्म दिया था जिनमें एक यह भी थी कि इस कहानी के रूप में निर्मल जी ने एक नई कथा-भूमि, अनुभव के एक नये इलाक़े में प्रवेश किया है।
इस संग्रह (प्रथम प्रकाशन 1995) की अन्य कई कहानियों को भी अध्येताओं और पाठकों ने इसी दृष्टि से देखा। ये निर्मल जी की कथा-यात्रा में नये मोड़ का संकेत देती हैं।
‘सूखा’ में मध्यवर्गीय ज़िन्दगी के अंधकार, घुटन और भावनात्मक सूखे को उन्होंने गहरी संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्त किया है।
निर्मल जी की कथा संवेदना शुरू से ही विशिष्ट रही है। वे नई कहानी के प्रथम नागरिक हैं। छठे दशक में हिन्दी कहानी को नया रूप देने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका रही। कहानियों के सर्वथा नये कथ्य और शिल्प के द्वारा उन्होंने हिन्दी कहानी को एक नई ज़मीन दी, जिसे यथार्थ के सूक्ष्मतर पक्ष को अंकित करने की सामर्थ्य के लिए जाना गया। मानव-सम्बन्धों के कई रूप उन्होंने सबसे पहले रेखांकित किये, जिसके केन्द्र में उनके भीतर निहित ऊब, वितृष्णा और संत्रास था। इसके लिए जिस साहस की ज़रूरत थी, उसे उन्होंने अकसर तीखी आलोचनाओं के सामने भी नहीं छोड़ा।
उनकी कहानियों में हम अपना ही जीवन बार-बार घटित होता हुआ देखते हैं और हर बार नये सिरे से जीवन-स्थितियों की पहचान गहरी होती चलती है।
Sandigdh
- Author Name:
Tejendra Sharma
- Rating:
- Book Type:


- Description: पंद्रह बेहतरीन कहानियों का संग्रह।
Aadminama
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

- Description: ‘आदमीनामा’ इमरजेंसी के बाद प्रकाशित काशीनाथ सिंह का एक बहुचर्चित संग्रह है। इसमें समाज, राजनीति, भूख, बेरोज़गारी, स्वार्थ, भ्रष्टाचार, अर्थ का अवमूल्यन, क्रान्तिकारिता के नाम पर छल, आपातकाल का तांडव, प्रतिबद्धता, प्रतिरोध आदि का जो जीवन्त यथार्थ है, वह अपने समय का बड़ा बयान है जिससे लोकतांत्रिक परिप्रेक्ष्य में बहुत कुछ समझा और सीखा जा सकता है। देखा जा सकता है कि इस संग्रह में अपनी क़िस्सागोई के लिए काशीनाथ सिंह के पास जो दृष्टि और भाषा की धार है, वह किस तरह ज़मीनी और सरोकारपूर्ण है। और इस बात का सशक्त उदाहरण हैं ये कहानियाँ—‘सूचना’, ‘निधन’, ‘‘माननिय’ होम मनिस्टर के नाम’, ‘आदमी का आदमी’, ‘मीसाजातकम्’, ‘लाल किले के बाज’, ‘मुसइ चा’, ‘सुधीर घोषाल’ आदि। इस संग्रह का एक बड़ा आकर्षण है ‘कहानी की वर्णमाला और मैं’। इसमें काशीनाथ सिंह ने अपने रचना-विकास को जिस ईमानदारी और आत्मीयता के साथ व्यक्त किया है, वह अनुकरणीय तो है ही, एक मिसाल भी कि जीवन और क़लम के बीच न फ़र्क़ ठीक, न फाँक। कोई दो राय नहीं कि अपने आस्वाद में ही नहीं, नई साज-सज्जा में भी ‘आदमीनामा’ संग्रह पाठकों के लिए एक बार पुन: उपलब्धि साबित होगा!
Phoolo Ka kurta
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘फूलो का कुर्ता’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘आतिथ्य’, ‘भवानी माता की जय’, ‘शिव-पार्वती’, ‘ख़ुदा की मदद’, ‘प्रतिष्ठा का बोझ’, ‘डरपोक कश्मीरी’, ‘धर्मरक्षा और ज़िम्मेवारी’।
Vey Bahattar Ghante
- Author Name:
Rajesh Maheshwari
- Book Type:

-
Description:
राजेश माहेश्वरी की कहानियाँ अपनी बनावट में जितनी भिन्न हैं, उतना ही इन कहानियों का रसास्वादन भिन्न है। संग्रह के नाम को सार्थक करनेवाली कहानी ‘वे बहत्तर घंटे’ मानवीय करुणा और त्याग की भावना से ओतप्रोत है। कहानी में गुजरात में आए भयंकर अकाल का चित्रण मार्मिक है। ऐसी कठिन परिस्थिति में गौ-रक्षा के लिए वहाँ के लोगों की तत्परता न केवल सराहनीय है, बल्कि दिल को छू लेनेवाली है। वहीं 'माँ' कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो अनाथ बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं। कहानी ‘मित्रता’ हमेशा से चली आ रही हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल को कुछ नए ही तरह से पुन: क़ायम करती है। राजस्थान के परिवेश में बुनी गई कहानी ‘पनघट’ हमारे समाज की घृणित कर देनीवाली सच्चाई को बिना किसी लाग-लपेट के सीधे शब्दों में प्रस्तुत करती है। अन्य कहानियाँ अपनी सरलता लिए पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में सक्षम हैं।
संकलन की ये छोटी-छोटी कहानियाँ बाग़ के उन छोटे-छोटे फूलों की तरह हैं जो खिलकर बागान को ख़ुशनुमा बना देते हैं और देर तक जिनकी ख़ुशबुएँ हमें तरो-ताज़ा करती रहती हैं।
Maati
- Author Name:
Shailendra Sagar
- Book Type:

-
Description:
शैलेन्द्र सागर का यह कहानी-संग्रह समय के अलक्षित किंतु असहनीय आतंक को अद्भुत रचनात्मक दक्षता के साथ अभिव्यक्त करता है। लेखक ने मानो यथार्थ की केंचुल उतार कर उसे और चमकदार बना दिया है। परिचित जीवन में अप्रत्याशित का अन्वेषण करते हुए शैलेन्द्र सागर ने संबंधों, आस्थाओं और मूल्यों के आत्मसंघर्ष को शब्दबद्ध किया है। समकालीन समाज का कलह एवं कोलाहल इन कहानियों में पार्श्व-संगीत की भाँति अनुभव किया जा सकता है। ये कहानियाँ जाने-अनजाने जीवन के शाश्वत प्रश्नों से टकराती हैं। कई बार चरित्रों के अंतर्द्वंद्व से छनती दार्शनिकता पाठक को मन के अगाध में उतरने का अवसर देती है।
इसे कहानीकार का कौशल कहा जाएगा कि कथा-रस का पूर्ण परिपाक तथा प्रतिबद्ध रचनाकर्म का अनुशासन यहाँ संभव हुआ है। मध्यवर्ग की विसंगतियाँ, राजनीति के दारुण सच, जीवन की अतृप्त कामनाएँ और रागरंजित संसार में रक्तरंजित संवेदनाएँ इन कहानियों की अंतर्वस्तु का हिस्सा हैं। शैलेन्द्र सागर
ने शिल्प की प्रयोगधर्मिता के स्थान पर ‘निरायास विन्यास’ को अंगीकार किया है।
यही ‘सहज शिल्प’ इन समस्त कहानियों का सौंदर्य है। ये कहानियाँ एक अर्थवान प्रतिवाद का पक्ष निर्मित करती हैं।
Holi
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: Book
Waqt Ek Chabuk Hai
- Author Name:
Rameshraaj
- Book Type:

- Description: व्यंग और अन्य कहानी संग्रह
Jugani
- Author Name:
Bhavana Shekhar
- Book Type:

-
Description:
अपनी दूसरी पुस्तक ‘जुगनी’ में पन्द्रह कहानियों के माध्यम से भावना शेखर ने आसपास घटती साधारण घटनाओं को भी असाधारण बनाने की अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है। सरल भाषा में परिपक्व भावनाओं को गूँथा गया है। अधिकांश कहानियाँ नारी पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती हैं और सफलतापूर्वक उनके अन्तर्मन में झाँकने का प्रयास करती हैं। भावना शेखर नारी-मन की कुशल चितेरी हैं—कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।
सदियों से दमित-कुंठित और शोषित नारी का चित्रण करना लेखिका का अभीष्ट नहीं वरन् अन्याय से लोहा लेती नारी को अन्ततः विजयी दर्शाना इन्हें अवश्य प्रिय लगता है। प्रायः हर कहानी एक ‘पॉजिटिव नोट’ पर समाप्त होती है।
वृन्दा हो या नीलांजना, देव या जुगनी—पात्रों का चरित्र-चित्रण तो प्रभावशाली है ही, पुरुष और नारी पात्रों की देहयष्टि का वर्णन भी लेखिका बेबाकी से कर जाती हैं—चाहे वह ‘त्रिकोण’ का हेमन्त हो या ‘वन्ध्या’ की अम्बिका या गोगो या ‘मलेच्छन’ की नैन्सी।
भावना शेखर के लेखन में प्रकृति के साथ पात्रों का सहज ही साहचर्य स्थापित हो जाता है। पहाड़ों से अपने जुड़ाव के कारण वे पाठकों को भी प्रकृति-भ्रमण की ओर बरबस खींच लेती हैं। अपनी कहानियों के माध्यम से न केवल बचपन में बार-बार लौटती हैं, अपितु सम्पूर्ण मानव जीवन की गतिविधियों पर एक दर्शनशास्त्री की तरह अपनी निश्छल टिप्पणी भी देती हैं।
संक्षेप में, पुस्तक की सभी कहानियाँ धारदार और असरदार हैं। अतः निस्सन्देह पठनीय और संग्रहणीय हैं।
—डॉ. नरेन्द्रनाथ पांडेय
Katha Jagat Ki Baghi Muslim Auratein
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

-
Description:
‘मुसलमान औरत’ नाम आते ही घर की चारदीवारी में बन्द या क़ैद, पर्दे में रहनेवाली एक ‘ख़ातून’ का चेहरा उभरता है। अब से कुछ साल पहले तक मुसलमान औरतों का मिला-जुला यही चेहरा ज़ेहन में महफ़ूज़ था। घर में मोटे-मोटे पर्दों के पीछे जीवन काट देनेवाली या घर से बाहर ख़तरनाक ‘बुर्कों’ में ऊपर से लेकर नीचे तक ख़ुद को छुपाए हुए।
समय के साथ काले-काले बुर्कों के रंग भी बदल गए, लेकिन कितनी बदलीं मुस्लिम औरत या बिलकुल ही नहीं बदलीं! क़ायदे से देखें, तो अब भी छोटे-छोटे शहरों की औरतें बुर्का-संस्कृति में एक न ख़त्म होनेवाली घुटन का शिकार हैं, लेकिन घुटन से बग़ावत भी जन्म लेती है और मुसलमान औरतों के बग़ावत की लम्बी दास्तान रही है। ऐसा भी देखा गया है कि ‘मज़हबी फ़रीज़ों’ से जकड़ी, सौमो-सलात की पाबन्द औरत ने यकबारगी ही बग़ावत या जेहाद के बाज़ू फैलाए और खुली आज़ाद फ़िजा में समुद्री पक्षी की तरह उड़ती चली गई।
लेखन के शुरुआती सफ़र में ही इन मुस्लिम महिलाओं ने जैसे मर्दों की वर्षों पुरानी हुक्मरानी के तौक़ को अपने गले से उतार फेंका था। ये महज़ इत्तेफ़ाक़ नहीं है कि मुस्लिम महिलाओं ने जब क़लम सॅंभाली तो अपनी क़लम से तलवार का काम लिया। इस तलवार की ज़द पर पुरुषों का, अब तक का समाज था। वर्षों की ग़ुलामी थी। भेदभाव और कुंठा से जन्मा, भयानक पीड़ा देनेवाला एहसास था। संग्रह में शामिल कहानियों में इस बात का ख़ास ख़याल रखा गया है कि कहानी में नर्म, गर्म बग़ावत के संकेत ज़रूर मिलते हों। संग्रह की कुछ कहानियाँ तो पूरी-पूरी बगावत का ‘अलम’ (झंडा) लिए चलती नज़र आती हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी भी हैं, जहाँ बस दूर से इस एहसास को छुआ भर गया है।
निःसन्देह ये कहानियाँ औरतों की अपने अस्तित्व की लड़ाई की दास्ताँ बयान करती हैं जो तरक़्क़पसन्द पाठकों को बेहद प्रभावित करेंगी।
Mansarover : Vols. 1-8
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

-
Description:
जब हम एक बार लौटकर हिन्दी कहानी की यात्रा पर दृष्टि डालते हैं और पिछले सत्तर-अस्सी वर्षों के सामाजिक विकास की व्याख्या करते हैं, तो अगर कहना चाहें तो बहुत सुविधापूर्वक कह सकते हैं कि कहानी अब तक प्रेमचन्द से चलकर प्रेमचन्द तक ही पहुँची है। अर्थात् सिर्फ़ प्रेमचन्द के भीतर ही हिन्दी कहानी के इस लम्बे समय का पूरा सामाजिक वृत्तान्त समाहित है। समय की अर्थवत्ता जो सामाजिक सन्दर्भों के विकास से बनती है, वह आज भी, बहुत साधारण परिवर्तनों के साथ जस की तस बनी हुई है। आप कहेंगे कि क्या प्रेमचन्द के बाद समय जहाँ का तहाँ टिका रह गया है? क्या समय का यह कोई नया स्वभाव है? नहीं, ऐसा नहीं। फिर भी सन्दर्भों के विकास की प्रक्रिया जो सांस्थानिक परिवर्तनों से ही रेखांकित होती है और समय ही उसका कारक है, वह नहीं के बराबर हुई। आधारभूत सामाजिक बदलाव नहीं हुआ। इस लम्बे काल में नया समाज नहीं बन पाया। धार्मिक अन्धविश्वास और पारम्परिक कुंठाएँ जैसी की तैसी बनी रहीं। भूमि-सम्बन्ध नहीं बदले। अशिक्षा और सामाजिक कुरीतियों का अन्धकार लगातार छाया रहा।
यत्र-तत्र परिस्थितियों और परिवेश के साथ ही सामान्य सामाजिक परिवर्तन अथवा मनोवैज्ञानिक बारीकियों को छोड़ दें तो शिल्प के क्षेत्र में भी जहाँ सीधे-सादे वाचन में ‘पूस की रात’, ‘कफ़न’, ‘सद्गति’ जैसी कहानियाँ वर्तमान हों, कोई परिवेश अथवा परिवर्तन की बारीक लक्षणा और चरित्रांकन की गहराई के लिए किसी दूसरी कहानी का नाम ले तो भी इन कहानियों को छोड़कर नहीं ले सकता। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक सन्दर्भ तो जैसे प्रेमचन्द की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है।
—मार्कण्डेय
Janane ki Batein (Vol. 8)
- Author Name:
Deviprasad Chattopadhyay
- Book Type:

- Description: Janane ki Batein Vol. 8 about Fiction: Stories
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...